
डिजिटल पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल नहीं करने वाले कारोबारों पर रोजाना लगेगा हजारों का जुर्माना
क्या है खबर?
डिजिटल इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए सरकार नया नियम लागू करने जा रही है।
अब 50 करोड़ रुपये से अधिक के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों को अपने सभी ग्राहकों को डिजिटल पेमेंट सेवा देना जरूरी है।
अगर कंपनियां एक फरवरी, 2020 से ये सेवा शुरू नहीं करती हैं तो उन पर रोजाना 5,000 रुपये की दर से जुर्माना लगेगा।
ऐसी दुकानों, फर्म और कंपनियों को 31 जनवरी तक अपने यहां डिजिटल पेमेंट सिस्टम शुरू करना होगा।
सर्कुलर
31 जनवरी तक शुरू करनी होगी सेवा
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) के सर्कुलर के मुताबिक, तय समय में यह सेवा शुरू नहीं करने वाले व्यापारियों पर फाइनेंस एक्ट के सेक्शन 271DB के तहत कार्रवाई की जाएगी।
30 दिसंबर को जारी किए गए सर्कुलर के मुताबिक, अगर कोई व्यापारी 1 फरवरी, 2020 तक डिजिटल पेमेंट सर्विस शुरू नहीं करेगा तो उस पर फाइनेंस एक्ट के तहत रोजाना 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
यह कदम कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा रहा है।
प्रावधान
कानून में किया गया था नया प्रावधान
डिजिटल इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए कुछ समय पहले इनकम टैक्स में नया प्रावधान किया गया था।
इसके तहत 50 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाले व्यापार में इलेक्ट्रॉनिक्स माध्यम से पेमेंट स्वीकार करना अनिवार्य किया गया था।
RuPay और UPI को मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) के बिना ऐसी ट्रांजेक्शन के लिए निर्धारित किया गया है।
MDR वो प्रतिशत होता है जो व्यापारी किसी डिजिटल ट्रांजेक्शन पर बैंक को चुकाता है। इसका भार ग्राहक पर पड़ता है।
बदलाव
वित्त मंत्री ने की थी अहम घोषणाएं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में BHIM UPI, UPI-QR कोड, आधार पे और कुछ डेबिट कार्ड को लॉ-कोस्ट डिजिटल पेमेंट मोड में श्रेणी में रखने की घोषणा की थी। इन पर MDR लागू नहीं होता।
बीते सप्ताह को वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के सालाना टर्नओवर वाले व्यापार से एक जनवरी, 2020 से MDR हटा लिया जाएगा।
गौरतलब है कि सरकार लगातार डिजिटल इकॉनमी को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
जानकारी
कोशिशों के बावजूद नहीं बढ़ रहे डिजिटल ट्रांजेक्शन
सरकार ने की तमाम कोशिशों के बावजूद इकॉनमी में कैश फ्लो की रफ्तार नहीं घट रही है। लगभग 90 फीसदी ट्रांजैक्शन कैश में होते हैं। नोटबंदी के बाद डिजिटल ट्रांसफर में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन फिर से कैश के इस्तेमाल मेे इजाफा हो रहा है।