कोरोना वायरस: चीन ने हफ्तों तक WHO से छिपाए रखी जरूरी जानकारी- रिपोर्ट
पूरी दुनिया में लगभग 63 लाख लोगों को अपनी चपेट में और 3.75 लाख लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस के कारण चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सवालों के घेरे में है। अमेरिका समेत कई देश चीन पर समय रहते जानकारी न देने और संगठन पर पर्याप्त कदम न उठाने के आरोप लगा रहे हैं। इसी बीच एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि चीन ने लंबे समय तक WHO से जानकारियां छिपाई रखी।
चीन ने जिनोम की जानकारी साझा करने में लगाया समय- रिपोर्ट
एसोसिएट प्रेस (AP) ने आंतरिक दस्तावेज, ईमेल और दर्जनों इंटरव्यू के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है कि भले ही WHO जनवरी में कोरोना वायरस के खिलाफ कदमों और वायरस का जेनेटिक मैप 'तुरंत' साझा करने के लिए चीन की तारीफ कर रहा था, लेकिन हकीकत कुछ और थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि वायरस के जीनोम की जानकारी मिलने के एक सप्ताह बाद भी चीन ने इसे किसी के साथ साझा नहीं किया।
वैक्सीन और दवा के लिए जिनोम की जानकारी जरूरी
वायरस के जीनोम की जानकारी मिलने के बाद ही इसके टेस्ट, दवा और वैक्सीन पर काम शुरू होता है। चीन में कई लैब ने काफी पहले वायरस के जीनोम को पहचान लिया था, लेकिन सरकार ने इसकी जानकारी सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
समय पर मिलती जानकारी तो कम हो सकता था खतरा
AP के मुताबिक, बाद में जब 11 जनवरी को एक लैब ने एक वायरोलॉजी वेबसाइट पर इसकी जानकारी साझा की, तब चीन ने वायरस के जीनोम के बारे में दुनिया को बताया। यहां तक की चीन ने दो सप्ताह तक WHO को भी ऐसी पर्याप्त जानकारियां नहीं दी, जिसकी उसे जरूरत थी। अगर ये जानकारियां समय पर सामने आतीं तो इनके आधार पर कदम उठाकर कोरोना वायरस का खतरा कम किया जा सकता था।
वैश्विक आपातकाल घोषित होने तक 200 गुना बढ़ गया खतरा
AP की रिपोर्ट में कहा गया है कि WHO भले ही सार्वजनिक तौर पर चीन की तारीफ कर रहा था, लेकिन इसके अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित थे कि वह पर्याप्त जानकारी साझा नहीं कर रहा है। आकंड़ों के मुताबिक, चीन में 2 जनवरी को जब इस वायरस की पहचान की गई तब से लेकर 30 जनवरी तक, जब इसे WHO ने वैश्विक आपातकाल घोषित किया, इसका प्रकोप 100-200 गुणा तक बढ़ गया था।
ऐसे हुई वायरस की पहचान की शुरुआत
पिछले साल दिसंबर के अंत में वुहान के डॉक्टरों ने देखा कि अस्पतालों में कुछ ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिन्हें असामान्य निमोनिया है। इसकी जांच के लिए कमर्शियल लैब में सैंपल भेजे गए। 27 दिसंबर को विजन मेडिकल्स ने इस नए वायरस के जिनोम को मिलाया और पाया कि यह कई मामलों में SARS जैसा है। उन्होंने वुहान के स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद अधिकारियों ने इसकी चेतावनी देते हुए आंतरिक नोटिस जारी किए।
चीन की सरकार ने वायरोलॉजिस्ट को जानकारी देने से रोका
इसके तीन दिन बाद जानी-मानी वायरोलॉजिस्ट और वुहान इंस्टीट्यूट की डिप्टी डायरेक्टर शी झेंगली को इस बीमारी के बारे में जानकारी दी गई। 2 जनवरी तक उनकी टीम ने इस वायरस के जीनोम का पता लगा लिया। AP की रिपोर्ट में लिखा है कि जब इस जानकारी को दुनिया के साथ साझा करने की बारी आई तो दूसरा खेल शुरू हो गया। चीनी सरकार ने झेंगली को चेतावनी देते हुए इसकी जानकारी साझा करने से रोक दिया।
जानकारी मिलने के बावजूद चीन ने लोगों को अलर्ट नहीं किया- रिपोर्ट
5 जनवरी को दो और लैब में इस वायरस के जीनोम की पहचान कर ली गई। इन्होंने सरकार को चेताया कि यह वायरस संक्रामक हो सकता है। इसके बावजूद लोगों को अलर्ट नहीं किया गया। धीरे-धीरे इलाके में असामान्य निमोनिया के मामले बढ़ते गए। इसी दौरान थाईलैंड में अधिकारियों ने वुहान से गई ऐसी महिला की पहचान की, जिसमें कोरोना वायरस के लक्षण थे, लेकिन वायरस के जिनोम की जानकारी नहीं होने के कारण इसकी पुष्टि नहीं हो पाई।
12 जनवरी की चीन ने साझा की जिनोम की जानकारी
11 जनवरी को एक लैब ने वायरस के जीनोम की जानकारी वेबसाइट पर डाल दी। इसके बाद चीनी सरकार हरकत में आई और उसने भी अगले दिन ऐसी जानकारी साझा कर दी। 20 जनवरी को चीनी प्रशासन ने चेतावनी जारी कि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। इसी दौरान WHO की स्वतंत्र विशेषज्ञों की आपातकालीन समिति की एक हफ्ते में दो बैठकें हुईं। इन्होंने आपातकाल लागू करने की सिफारिश न देने का फैसला किया।
जानकारी नहीं मिलने पर चिंतित थे WHO के अधिकारी- रिपोर्ट
दूसरी तरफ WHO के अधिकारी इस बात से चिंतित थे कि चीन इस खतरनाक प्रकोप की जानकारी नहीं दे रहा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत उसे ऐसा करना जरूरी है। उन्हें यह भी चिंता था कि इससे WHO पर भी सवाल उठेंगे।
WHO प्रमुख ने नहीं किया संगठन की चिंताओं का जिक्र
AP के मुताबिक, इसी बीच WHO प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस और शीर्ष वैज्ञानिकों ने बीजिंग की असामान्य यात्रा की। इसके अंत में WHO की एक और बैठक हुई और 30 जनवरी को कोरोना वायरस को वैश्विक आपातकाल घोषित कर दिया गया। ऐसा करते समय टेड्रोस ने WHO की पुरानी चिंताओं का कोई जिक्र नहीं किया और कोरोना वायरस के खिलाफ समय से कदम उठाने के लिए चीन का शुक्रिया करते हुए कहा उसने संक्रमण रोकने के लिए शानदार काम किया है।