इस साल वैश्विक निवेशकों के 20 लाख करोड़ डूबे, भारतीय GDP के छह गुने के बराबर
क्या है खबर?
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह समय अच्छा नहीं चल रहा है और महंगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी समस्याओं ने इसकी कमर तोड़ रखी है।
शेयर बाजार में भी पिछले कुछ महीने से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है और इस साल अब तक निवेशकों के 20 लाख करोड़ डॉलर यानि लगभग 1,600 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं।
आगे भी निवेशकों को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है और ये गिरावट जारी रह सकती है।
नुकसान
कितना बड़ा है निवेशकों को हुआ नुकसान?
इस साल वैश्विक बाजार में निवेशकों को हुआ नुकसान कितना अधिक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से लगभग छह गुना अधिक है। भारत की GDP 3.2 लाख करोड़ डॉलर है।
इसके अलावा निवेशकों को हुआ यह नुकसान दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिकी की GDP (23 लाख करोड़ डॉलर) के लगभग बराबर है और 100 लाख करोड़ डॉलर की वैश्विक GDP का 20 प्रतिशत है।
आगे की स्थिति
मंदी की आहट के कारण जारी रहेगी गिरावट
तमाम विश्लेषणों और विशेषज्ञों की मानें तो निवेशकों का नुकसान यही नहीं थमने वाला है और वैश्विक मंदी की आशंका के चलते आने वाले महीनों में दुनियाभर के शेयर बाजार और नीचे गिर सकते हैं।
अर्थशास्त्रियों ने यूक्रेन में हो रहे युद्ध और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए बढ़ाई जा रही ब्याज की दरों के कारण अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी आने की आशंका जताई है। इसके वैश्विक मंदी का स्वरूप लेने की पूरी संभावना है।
मंदी
क्यों जताई जा रही मंदी की आशंका?
अमेरिका और भारत समेत दुनियाभर में इस समय महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। अमेरिका में इन दिनों महंगाई दर पिछले 40 सालों में सबसे ज्यादा है और खाने की चीजों समेत तमाम उत्पाद महंगे हो गए हैं।
इस महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका और अन्य देशों के बैंक ब्याज दर बढ़ा रहे हैं, ताकि लोगों के पास कम पैसा हो और कम खर्च करें।
इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुरस्त पड़ने और मंदी आने की आशंका है।
भारत
भारत की क्या स्थिति?
भारत की स्थिति खराब बनी हुई है। निवेशक देश से पैसा निकाल रहे हैं और रुपये की कीमत में गिरावट और बढ़ती महंगाई ने स्थिति को और खराब कर दिया है। इसमें कुछ सुधार होने की उम्मीद नहीं है।
जनवरी में भारतीय रुपया एक डॉलर के मुकाबले 74 पर था और अब ये लगभग 80 पर पहुंचने वाला है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस गिरावट को रोकने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी तक सारी कोशिशें नाकाम रही हैं।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
जब किसी देश या दुनिया की अर्थव्यवस्था में लगातार दो तिमाही तक गिरावट दर्ज की जाती है तो इसे आर्थिक मंदी कहा जाता है। मंदी में शेयर बाजार में गिरावट और बेरोजगारी आदि बढ़ने लगती हैं। कोविड से पहले 2008 में भी मंदी आई थी।