क्या सुनाई देने लगी है मंदी की आहट? एलन मस्क समेत कई लोगों ने जताई चिंता
क्या अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मंदी की आहट सुनाई देने लगी है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि टेस्ला और जेपीमॉर्गन चेज समेत कई बड़ी कंपनियों के प्रमुख इसे लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। इसके अलावा आसमान छू रही महंगाई और बेरोजगारी और दूसरी तरफ रिकॉर्ड स्तर तक टूट चुका शेयर बाजार लोगों को और चिंतित कर रहा है। हालांकि, कुछ लोग आशावादी बने हुए हैं और इन चिंताओं को खारिज कर रहे हैं।
सबसे पहले समझिये क्या है मंदी?
जब अर्थव्यवस्था में लगातार लंबी अवधि तक गिरावट रहती है तो इसे मंदी कहते हैं। यह अर्थव्यवस्था के चरम पर होने से शुरू होती है और निचले स्तर तक जाने तक जारी रहती है। लगातार कई तिमाहियों में जब अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज होती है तो मंदी का संकेत मिलने लगता है। मंदी आने पर शेयर बाजारों में गिरावट रहती है। कंपनियां लोगों को निकालना शुरू कर देती है और बेरोजगारी बढ़ जाती है।
क्या हैं मौजूदा हालात?
अमेरिका में इन दिनों महंगाई की दर 40 सालों में सबसे ज्यादा बनी हुई है। मई में यहां महंगाई दर 8.6 प्रतिशत दर्ज की गई थी। मंहगाई बढ़ने के कारण यहां भोजन समेत सारी चीजें महंगी हो गई हैं। शेयर बाजार की बात करें तो यह भी तेजी से टूट रहा है। नैस्डैक इस साल 28 फीसदी तक गिर चुका है। अगर स्टॉक हालिया उच्च स्तर से 20 फीसदी से अधिक गिर जाए तो यह नेगेटिव सेटिमेंट का संकेत है।
इन कारकों से भी बढ़ रही चिंता
यूक्रेन-रूस युद्ध और फिर से सिर उठाती कोरोना वायरस महामारी चिंता की आग में घी डालने का काम कर रही है। अमेरिका में कंज्यूमर सेंटिमेंट इस महीने अपने अब तक के निचले स्तर पर पहुंच गया है। महंगाई और खासकर गैस और खाने की बढ़ती कीमतें लोगों की परेशानी बढ़ा रही है। अमेरिका की इन स्थितियों का वैश्विक व्यापार भी असर पड़ रहा है और दूसरे देशों में लोग मंदी को लेकर बात करने लगे हैं।
अहम बैठक जारी, आज जारी होंगे नतीजे
मंगलवार को फेडरल रिजर्व की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई थी। तमाम विश्लेषक मान रहे हैं कि महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए फेडरल बैंक आज ब्याज दरों में बदलाव की घोषणा करेगा। कुछ जानकारों का मानना है कि ब्याज दरों में आधे प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, कुछ मान रहे हैं कि दरों में 0.75 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह 28 सालों की उच्चतम बढ़ोतरी होगी।
सब लोगों को नहीं मंदी की आशंका
रिकॉर्ड महंगाई के बावजूद कई लोगों को उम्मीद है कि फिलहाल मंदी का खतरा नहीं है। यहां महंगाई बड़ी चिंता बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद लोग छुट्टियों और बाहर खाने पर दबकर पैसा खर्च कर रहे हैं। इसी तरह लेबर मार्केट भी मजबूत बनी हुई है। एयरलाइन कंपनियों की बात करें तो हवाई टिकटों की मांग भी अच्छी बनी हुई है और एयरलाइन कंपनियां भविष्य में अच्छे दिनों की उम्मीद लगा रही हैं।
2008 के संकट की आ रही याद
मौजूदा स्थिति ने कुछ लोगों को 2008 की मंदी की याद दिला दी है। जब अमेरिका में बैंकिंग फर्म डूबने से शुरू हुई मंदी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था। इस मंदी से निकलने में दुनिया को लंबा समय लगा था।
भारत पर क्या असर होगा?
आर्थिक जगत पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि फेडरल रिजर्व की फैसलों के बाद भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ सकती है। इससे बाजार में और गिरावट आएगी। पिछले कुछ समय से भारतीय बाजार दबाव में हैं। बता दें कि 2008 में जब अमेरिका में लेहमैन ब्रदर्स दिवालिया हुई, तब भारतीय बाजारों में भारी गिरावट देखी गई थी। उस वक्त भारतीय बाजारों में 55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।