CBI ने हेराफेरी को लेकर NSE के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम को गिरफ्तार किया
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) आनंद सुब्रमण्यम को साल 2018 में एक्सचेंज में हुई हेराफेरी के मामले में गुरुवार देर रात चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें शुक्रवार को सक्षम न्यायालय में पेश किया जाएगा। वह NSE की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और प्रबंध निदेशक (MD) चित्रा रामकृष्ण के मुख्य सलाहकार (CSO) थे। गिरफ्तारी से पहले CBI ने उनसे तीन दिन तक पूछताछ की थी।
NSE के को-लोकेशन घोटाले से जुड़ा है मामला
CBI के अधिकारियों ने बताया कि यह गिरफ्तारी 2018 के NSE के को-लोकेशन घोटाले के मामले में हुई है। इसमें कुछ चुनिंदा ब्रोकर्स को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया था। जांच में सामने आया था कि ओपीजी सिक्योरिटीज नामक ब्रोकरेज फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए उसे को-लोकेशन सुविधा तक पहुंच दी गई थी। इस सुविधा में मौजूद ब्रोकर्स को बाकियों की तुलना में समय पहले ही सारा डाटा मिल जाता है। इसके जरिए करोड़ों की हेराफेरी हुई थी।
साल 2013 से हुई थी घोटोल की शुरुआत
CBI का मानना है इस घोटाले की शुरुआत साल 2013 में चित्रा के CEO और MD बनने से पहले हुई थी। चित्रा के इस पद पर आने के बाद भी यह घोटाला चलता रहा था और तब आनंद उनका सबसे करीबी सहयोगी बन चुका था।
चित्रा ने सुब्रमण्यम को नौकरी देने के लिए बनाया था नया पद
CBI ने बताया कि यह पूरी कार्रवाई भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की हालिया जांच के बाद की जा रही है। इसमें SEBI ने कहा है कि 2013 में NSE की तत्कालीन CEO और MD चित्रा ने सुब्रमण्यम को CSO नियुक्त किया था, जबकि वहां ऐसा कोई पद नहीं था। सुब्रमण्यम उस समय 15 लाख सालाना पैकेज पर कहीं और काम कर रहे थे, लेकिन चित्रा ने उन्हें 1.38 करोड़ का पैकेज देकर CSO बना दिया।
पति-पत्नी को एक साथ मिली थी नियुक्ति
SEBI के अनुसार, चित्रा ने सुब्रमण्यम की नियुक्ति के दिन ही उनकी पत्नी सुनीता आनंद को भी 60 लाख रुपये के पैकेज पर चेन्नई के क्षेत्रीय कार्यालय में सलाहकार नियुक्त किया था। कुछ समय बाद पति-पत्नी के पैकेज में भारी बढ़ोतरी कर दी गई। कंपनी ने एक अप्रैल, 2014 को सुनीता का वेतन 72 लाख रुपये कर दिया और फिर एक अप्रैल, 2015 को 1.15 करोड़ रुपये तथा एक अप्रैल, 2016 को 1.33 करोड़ रुपये कर दिया गया।
पूछताछ में चित्रा ने कही किसी योगी से सलाह लेने की बात
मामले में SEBI ने पूर्व CEO और MD चित्रा तथा पूर्व CEO रवि नारायण से भी पूछताछ की थी। चित्रा ने बताया था कि उन्होंने सुब्रमण्यम की नियुक्ति के लिए हिमालय के किसी योगी से सलाह ली थी और उसी की सलाह पर नया पद सृजित कर उन्हें नियुक्ति दी थी। गत दिनों NSE के पूर्व चेयरमैन अशोक चावला ने SEBI को पत्र लिखकर कहा था कि रहस्यमयी हिमालय का योगी कोई और नहीं बल्कि स्वयं सुब्रमण्यम हो सकते हैं।
NSE ने 2016 में चित्रा को किया था बर्खास्त
बता दें NSE ने ट्रेडिंग घोटाले और पद के दुरुपयोग के आरोप में साल 2016 में चित्रा को बर्खास्त कर दिया था। उसके बाद से ही SEBI इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है और अब इसमें कई खुलासे हो रहे हैं।
SEBI के आदेश पर CBI ने दर्ज की FIR
इस मामले में SEBI के आदेश पर CBI ने दिल्ली स्थित OPG सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक और प्रमोटर संजय गुप्ता और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। FIR में कहा गया था कि 2010 से 2014 के बीच गुप्ता ने NSE के अज्ञात अधिकारियों के साथ आपराधिक साजिश से NSE सर्वर आर्किटेक्चर का दुरुपयोग किया और SEBI के कई अधिकारियों को भी रिश्वत दी। इसके अलावा आयकर विभाग ने चित्रा और सुब्रमण्यम के घरों पर छापे मारे थे।
CBI ने कार्रवाई से पहले की थी SEBI अधिकारियों से मुलाकात
बता दें कि सुब्रमण्यम के खिलाफ कार्रवाई से पहले CBI के अधिकारियों ने SEBI के अधिकारियों से मुलाकात की थी और इस मामले की बारीकियों को समझा था। CBI अधिकारियों ने यह जानने की कोशिश की कि कैसे चित्रा मार्केट और रेग्युलेटर की महत्वपू्र्ण जानकारी किसी तीसरे शख्स को शेयर कर रही थीं। उस तीसरे शख्स के बारे में चित्रा का कहना है कि वह एक बाबा हैं जो हिमालय में रहते हैं। उन्हें उस योगी से प्रेरणा मिलती है।
CBI ने पूछताछ में सहयोग नहीं करने पर किया सुब्रमण्यम को गिरफ्तार
CBI के अधिकारियों ने बताया कि मामले में गत दिनों अप्रैल 1994 से मार्च 2013 तक NSE के CEO रहे रवि नारायण और अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक CEO और MD रही चित्रा से पूछताछ की थी। इसके बाद 18 फरवरी को भी सुब्रमण्यम को भी पूछताछ के लिए बुलाया था। तीन दिन तक पूछताछ के बाद भी उन्होंने सहयोग नहीं किया। ऐसे में 21 फरवरी को तो उन्हें छोड़ दिया, लेकिन गुरुवार रात को उन्हें गिरफ्तार कर लिया।