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    PFI ने बनाई थी प्रधानमंत्री मोदी की बिहार रैली में खलल डालने की योजना
    PFI ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में खलल डालने की योजना बनाई थी

    PFI ने बनाई थी प्रधानमंत्री मोदी की बिहार रैली में खलल डालने की योजना

    लेखन मुकुल तोमर
    Sep 24, 2022
    02:47 pm

    क्या है खबर?

    प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पूछताछ में विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक सदस्य ने स्वीकार किया है कि संगठन ने 12 जुलाई को बिहार में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में खलल डालने की योजना बनाई थी।

    हालांकि पुलिस की मुस्तैदी के कारण संगठन अपनी इस योजना को अमलीजामा नहीं पहना सका।

    पूछताछ में PFI के आतंकी गतिविधियों की फंडिंग के लिए करोड़ों रुपये इकट्ठा करने की बात भी सामने आई है।

    रिपोर्ट

    प्रधानमंत्री की रैली को खराब करने के लिए लगाए गए थे ट्रेनिंग कैंप

    इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, केरल से आने वाले PFI के सदस्य शफीक पायथ ने ED की पूछताछ में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की रैली को कैसे खराब किया जाए, इसके लिए PFI ने एक ट्रेनिंग कैंप भी लगाया था। इसके साथ ही बैनर और पोस्टर्स के साथ प्रदर्शन करने की तैयारी भी की गई थी।

    हालांकि पुलिस ने प्रधानमंत्री के दौरे से पहले ही दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार करके पूरी साजिश को नाकाम कर दिया।

    जानकारी

    आतंकी गतिविधियों के लिए PFI ने इकट्ठा किए थे लगभग 120 करोड़ रुपये

    पूछताछ के दौरान ED को यह भी पता चला कि देशभर में आतंकी गतिविधियों की फंडिंग करने के लिए PFI ने लगभग 120 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे। ये राशि भारत के कई राज्यों के साथ-साथ कई बाहरी देशों से भी प्राप्त की गई थी।

    छापे

    गुरुवार को गिरफ्तार किए गए थे PFI के 100 से अधिक नेता

    बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गुरुवार को 13 राज्यों में PFI और उसकी राजनीतिक इकाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के ठिकानों पर छापा मारते हुए संगठन के 100 से अधिक शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया था।

    चरमपंथी ट्रेनिंग कैंप आयोजित करने, युवाओं को प्रतिबंधित संगठनों में शामिल करने के लिए कट्टरपंथी बनाने और आतंकी फंडिंग के आरोपों में ये छापे मारे गए थे।

    खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर ये कार्रवाई की गई थी।

    प्रतिबंध

    PFI पर लटक रही प्रतिबंध लगने की तलवार

    इस कार्रवाई के बाद से ही PFI पर प्रतिबंध लगने की तलवार लटक रही है। कर्नाटक सरकार ने तो इस दिशा में कार्रवाई भी शुरू कर दी है, वहीं केंद्र सरकार इस पर विचार कर रही है।

    कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पिछले काफी समय से PFI पर प्रतिबंध लगाने की मांग हो रही है। सत्तारूढ़ भाजपा उस पर हिंदू संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगा चुकी है।

    परिचय

    क्या है PFI?

    PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है और यह खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है।

    यह संगठन पहली बार 22 नवंबर, 2006 को केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के मुख्य संगठन के रूप में अस्तित्व में आया था।

    उस दौरान संगठन ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस आयोजित कर सुर्खियां भी बटोरी थीं।

    पिछले दिनों देश में हुई कई सांप्रदायिक हिंसाओं में उसका नाम आ चुका है।

    आरोप

    PFI पर क्या आरोप हैं?

    PFI और SDPI शुरू से ही गृह मंत्रालय के फोकस में रही हैं। दोनों संगठनों के खिलाफ खुफिया जानकारी मिली है कि इन्हें पश्चिम एशियाई देशों कतर, कुवैत, तुर्की और सऊदी अरब से अवैध रूप से पैसा मुहैया कराया जा रहा है।

    ये संगठन इस पैसे का इस्तेमाल न केवल देश भर में आतंकी गतिविधियों के लिए बल्कि युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए भी कर रहे हैं। संगठन के मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे इस्लामी संगठन से भी संबंध रहे हैं।

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