बैंक अकाउंट खाली करने के लिए कौन से तरीके आजमाते हैं स्कैमर्स? RBI ने दी जानकारी
क्या है खबर?
बैंकिंग से जुड़े ऑनलाइन फ्रॉड्स तेजी से बढ़ रहे हैं और साइबर अपराधी अलग-अलग तरीके आजमाकर यूजर्स को फंसाते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 40 पेज की एक बुकलेट रिलीज की है, जिसमें बताया गया है कि वे तरीके कौन-कौन से हैं, जिनकी मदद से स्कैमर्स आपका अकाउंट खाली करने की कोशिश कर सकते हैं।
ऐसे स्कैम्स की मदद से यूजर्स की बैंक लॉगिन डीटेल्स चोरी कर ली जाती हैं और उनके अकाउंट से रकम ट्रांसफर हो जाती है।
बुकलेट
अपनी जानकारी सुरक्षित रखना जरूरी
केंद्रीय बैंक ने 'BE(A)WARE' नाम की बुकलेट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि यूजर्स को अपनी पर्सनल जानकारी सुरक्षित रखनी चाहिए।
इसमें लिखा है कि पैसों से जुड़ा लेन-देन करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है और स्कैमर्स कैसे सेंसिटिव डाटा चुराने की कोशिश कर सकते हैं।
ज्यादातर यूजर्स की लापरवाही के चलते ही उन्हें बैंकिंग फ्रॉड का शिकार बनना पड़ता है।
आइए जानते हैं कि किस तरह के खतरों से बचकर रहना जरूरी है।
लिंक्स
मालिशियस और फेक लिंक्स से बचकर रहें
इंटरनेट यूजर्स को स्कैम में फंसाने का सबसे आसान तरीका उससे मालिशियस लिंक पर क्लिक करवाना होता है।
RBI के मुताबिक, फ्रॉड करने वाले कई बार असली जैसी दिखने वाली फेक वेबसाइट तैयार करते हैं।
इस फेक बैंकिंग या ई-कॉमर्स वेबसाइट पर लॉगिन करते ही यूजर की लॉगिन डीटेल्स चोरी हो जाती हैं और उनका गलत इस्तेमाल हो सकता है।
ऐसे मालिशियस लिंक्स सोशल मीडिया, मेसेजिंग ऐप्स, पॉप-अप्स, ईमेल्स और दूसरे तरीकों से फैलाए जाते हैं।
ऐप्स
अनजान मोबाइल ऐप्स के जरिए स्कैम
मालिशियस मोबाइल ऐप्स के जरिए डिवाइस का ऐक्सेस लेने, हैकिंग और डाटा चोरी जैसे काम किए जा सकते हैं।
इन ऐप्स को भी सोशल मीडिया और मेसेजिंग ऐप्स में असली और काम की ऐप्स की तरह प्रचारित किया जाता है।
इनके डिवाइस में इंस्टॉल होते ही अटैकर को ऐक्सेस मिल जाता है।
स्कैमर्स स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स और UPI-आधारित पेमेंट ऐप्स की मदद से भी ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड्स को अंजाम दे रहे हैं।
सर्च इंजन
लोकप्रिय सर्च इंजन पर फेक डीटेल्स
स्कैमर्स को पता है कि लोग बैकिंग से जुड़ी जानकारी गूगल और याहू जैसे लोकप्रिय सर्च इंजन्स पर खोजते हैं।
सर्च रिजल्ट्स में फेक कस्टम केयर नंबर या वेबसाइट लिंक जैसी जानकारी देकर भी यूजर्स को फंसाया जाता है।
उदाहरण के लिए, बैंक अकाउंट होल्डर असली समझकर किसी बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करता है, जहां स्कैमर उससे कार्ड डीटेल्स और अन्य जानकारी मांगकर फ्रॉड को अंजाम देते हैं।
QR कोड
QR कोड्स स्कैन करते वक्त भी रहें सतर्क
कोविड-19 जैसे दौर में कॉन्टैक्टलेस पेमेंट जैसी जरूरतों के चलते QR कोड्स की जरूरत बढ़ी है।
किसी रेस्तरां में मेन्यू देखने से लेकर बिल का भुगतान करने तक QR कोड स्कैन करने का विकल्प मिल रहा है।
स्कैमर्स पेमेंट ऐप्स से अपने फेक QR कोड्स स्कैन करने को कह सकते हैं और यूजर्स को फंसा सकते हैं।
इस तरह ट्रांसफर की गई रकम स्कैमर्स के अकाउंट में पहुंच जाती है।
चार्जर
फोन का चार्जिंग पोर्ट भी है जरिया
स्कैमर्स ने मोबाइल डिवाइसेज को नुकसान पहुंचाने और डाटा चोरी का एक तरीका खोज निकाला है, जिसे 'जूस जैकिंग' कहते हैं।
यूजर जब फोन को अनजान चार्जिंग पोर्ट से कनेक्ट करता है तो चार्जिंग के दौरान उसका डिवाइस इन्फेक्ट कर दिया जाता है।
पब्लिक प्लेसेज जैसे मॉडल्स, बस स्टॉप या रेलवे स्टेशन पर ऐसे पोर्ट्स के मामले सामने आ चुके हैं।
अटैकर डाटा चोरी से लेकर ईमेल, SMS ऐक्सेस करने और सेव्ड पासवर्ड्स इस्तेमाल करने जैसे काम कर सकता है।
सलाह
खुद को सुरक्षित रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स
अपने ब्राउजिंग सेशन के दौरान किसी भी संदिग्ध लिंक या पॉप-अप पर क्लिक ना करें।
ऑनलाइन भुगतान करने से पहले सुरक्षित पेमेंट गेटवे (https:// URL या इससे पहले लॉक का आइकन) जरूर देखें।
अपने पिन, पासवर्ड्स, CVV, कार्ड नंबर और OTP कभी भी शेयर ना करें। उपलब्ध होने पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल लॉगिन के वक्त करें।
साथ ही ईमेल में आई अनजान फाइल्स या थर्ड-पार्टी ऐप्स डाउनलोड करने की भूल ना करें।