बजट 2022: काम की बढ़ती मांग के बीच मनरेगा के बजट में 25 प्रतिशत की कटौती
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से मंगलवार को पेश किए गए आम बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम कर परिवार का पेट पालने वालों को बड़ा झटका लगा है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए मनरेगा के अनुमानित बजट में 25 प्रतिशत की कटौती कर दी है। चौंकाने वाली बात यह है कि महामारी में मनरेगा के प्रति बढ़ती लोगों की निर्भरता के बाद भी सरकार ने यह कदम उठाया है।
सरकार ने मनरेगा के लिए आवंटित किया 73,000 करोड़ का बजट
NDTV के अनुसार, सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मनरेगा को 73,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जो कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के संशोधित बजट 98,000 करोड़ से करीब 25.52 प्रतिशत यानी 25,000 करोड़ रुपये कम है। पिछले साल भी सरकार ने मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था, लेकिन काम की बढ़ती मांग के कारण सरकार को इसे बाद में बढ़ाकर 98,000 करोड़ करना पड़ा था।
सरकार को हर बार करना पड़ रहा है बजट में संशोधन
सरकार ने कोरोना महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 की शुरुआत में मनरेगा के लिए 61,500 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया था, लेकिन लॉकडाउन में लोगों के बेरोजगार होने के कारण इसमें रोजगार मांगा था। इसके चलते सरकार को वर्ष के बीच में 50,000 करोड़ का बजट बढ़ाना पड़ा था। इसके बाद भी सरकार ने चालू वित्त वर्ष में बजट बढ़ाने की जगह उसे 34 प्रतिशत कम करते हुए 73,000 करोड़ ही रखा था।
चालू वित्त वर्ष में खर्च हो चुके हैं 98,000 करोड़
चालू वित्त वर्ष में सरकार द्वारा मनरेगा को दिया गया 73,000 करोड़ का बजट भी कम पड़ गया है। काम की बढ़ती मांग के कारण सरकार अब तक 98,000 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, जबकि वर्ष खत्म होने में दो महीने बाकी है।
कोरोना महामारी के कारण बढ़ रही है मनरेगा में काम की मांग
बता दें कोरोना वायरस महामारी के बीच मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब तबके के लोगों के रोजगार का प्रमुख जरिया बनकर उभरी है। दिसंबर 2018 में 1.9 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम मांगा था, लेकिन दिसंबर 2019 में सह संख्या 1.7 करोड़ पर आ गई थी। उसके बाद कोरोना महामारी में लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। ऐसे में दिसंबर 2020 में काम मांगने वाले परिवारों की संख्या 2.7 करोड़ पर पहुंच गई।
चालू वित्त वर्ष में आई है काम मांगने वालों की कमी
हालांकि, चालू वित्त वर्ष में ज्यादा समय तक लॉकडाउन नहीं रहने से मनरेगा में काम मांगने वालों की संख्या में मामूली कमी नजर आई है। दिसंबर 2021 तक मनरेगा में काम मांगने वाले परिवारों की संख्या 2.4 करोड़ पर आ गई थी।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
बता दें कि मनरेगा के तहत ग्रामीण भारत में प्रत्येक परिवार को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। इस पर होने वाले खर्च 90 प्रतिशत केंद्र सरकार और 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है। इसी तरह 100 दिन से अधिक का रोजगार देने पर उसका पूरा खर्च राज्य सरकार को वहन करना पड़ता है। यह अधिनियम कोरोना वायरस महामारी में बेरोजगार हुए लोगों के लिए जीने का सहारा बनकर सामने आया है।
विशेषज्ञों ने की थी बजट को बढ़ाने की मांग
बता दें कि चालू वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत रोजगार के दिन 294.04 करोड़ रहे हैं। यह इससे पहले के तीन सालों के मुकाबले ज्यादा है। इसको देखते हुए विशषज्ञों ने सरकार से बजट में मनरेगा का बजट बढ़ाकर 1.5 लाख करोड़ रुपये करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पिछले तीन सालों से काम मांगने वालों की संख्या लगातार बढ़ी है। ऐसे में बजट बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन इसके बाद भी सरकार ने कटौती कर दी।