एयर इंडिया में 100 फीसदी शेयर बेचेगी सरकार, जानें क्या हैं इस बार की शर्तें
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने एयर इंडिया के 100 फीसदी शेयर बेचने का फैसला किया है।
सरकार रणनीतिक विनिवेश के तहत एयर इंडिया एक्सप्रेस में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और ज्वाइंट वेंचर AISATS में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी।
सफल बोली लगाने वाले को एयरलाइन का मैनेजमेंट कंट्रोल भी ट्रांसफर किया जाएगा। एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की अंतिम तिथि 17 मार्च रखी गई है और योग्य बोलीदाताओं की जानकारी 31 मार्च को सार्वजनिक की जाएगी।
एयरलाइन
क्या है एयर इंडिया एक्सप्रेस और AISATS?
AISATS एयर इंडिया और सिंगापुर एयरलाइंस का संयुक्त उद्यम है जिसमें दोनों की बराबर की हिस्सेदारी है।
यह हवाई अड्डों पर विमानों के खड़े होने और उनके रखरखाव इत्यादि की सेवाएं देती है। विश्वस्तरीय सुविधा देने के लिए इसकी शुरुआत की गई थी।
वहीं सरकार एयर इंडिया एक्सप्रेस के भी सारे शेयर बेचेगी। यह एयर इंडिया की सब्सिडियरी है, जो सस्ती उड़ानों का संचालन करती है।
हालांकि, भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है।
एयर इंडिया का विनिवेश
एयर इंडिया को बेचने की दूसरी कोशिश
2018 के बाद एयर इंडिया को बेचने की यह दूसरी कोशिश है। कंपनी पर 60,074 करोड़ रुपये कर्ज है।
सरकार ने 2018 में 76 प्रतिशत शेयर बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की थी। उस समय शर्तें रखी गई थीं कि खरीदार को कुल 33,392 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी।
इसके अलावा एयरलाइन के मैनेजमेंट पर सरकार का कंट्रोल रहता। इन शर्तों के आधार पर सरकार को कोई खरीदार नहीं मिला, जिसके बाद शर्तें आसान की गई हैं।
शर्तों में राहत
इस बार क्या शर्तें रखी गई हैं?
पिछली बार खरीदार न मिलने के कारण सरकार ने शर्तों में कुछ राहत दी है। इस बार खरीदार को 23,286 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। साथ ही मैनेजमेंट का कंट्रोल खरीदार के पास जाएगा।
कोई भी रजिस्टर्ड प्राइवेट, पब्लिक लिमिटेड कंपनी, कॉर्पोरेट बॉडी या फंड भारतीय कानून के तहत कंपनी की बोली लगा सकेंगे। इसके लिए बोलीदाता का नेटवर्थ 3,500 करोड़ रुपये होना जरूरी है। बोली निजी और कंसोर्टियम के तौर पर भी लगाई जा सकती है।
जानकारी
स्वामी जाएंगे कोर्ट
भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'यह सौदा पूरी तरह देश विरोधी है और मुझे कोर्ट जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। हम परिवार की बेशकीमती चीज को नहीं बेच सकते।'
शुरुआत
जेआरडी टाटा ने शुरू की थी एयरलाइन
एयर इंडिया का पुराना नाम टाटा एयरलाइन्स है। इसकी शुरुआत 1932 में जेआरडी टाटा ने की थी। वे देश केे पहले शख्स थे, जिनके पास विमान उड़ाने का लाइसेंस था।
आजादी से एक साल पहले 1946 में टाटा एयरलाइन्स का नाम बदलकर एयर इंडिया किया गया।
आजादी के बाद 1953 को इसका राष्ट्रीयकरण हुआ। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एयर इंडिया और घरेलू उड़ानों के लिए इंडियन एयरलाइन्स बनाई गई।
फिलहाल एयर इंडिया में कुल 13,629 से ज्यादा कर्मचारी हैं।