#NewsBytesExpainer: देश में हाइब्रिड गाड़ियों की मांग बढ़ी, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आगे का रास्ता कैसा?
भारत में हाइब्रिड वाहनों को काफी पसंद किया जा रहा है। ग्राहक इलेक्ट्रिक कारों की बजाय हाइब्रिड कारों को पसंद कर रहे हैं। यही वजह है कि हाइब्रिड गाड़ियों की बिक्री भी EVs की तुलना में अधिक है। इस बात का ध्यान रखते हुए कार कंपनियां इस साल 29 इलेक्ट्रिक मॉडल की तुलना में 51 नए हाइब्रिड मॉडल लॉन्च कर चुकी हैं। आइये जानते हैं कि इससे EV के लिए भविष्य क्या होगा।
क्या होती हैं हाइब्रिड गाड़ियां?
हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक गाड़ियां 2 तरह के पावरट्रेन से मिलकर बनी होती हैं। इसमें एक सामान्य ईंधन वाला इंजन होता है और दूसरी बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक मोटर होती है। इस तरह इन कारों को एक समय पर पेट्रोल या डीजल और दूसरे समय में इलेक्ट्रिक कार की तरह चलाया जा सकता है। भारत में अभी जो हाइब्रिड कारें मौजूद हैं वो लिक्विड फ्यूल के तौर पर पेट्रोल का इस्तेमाल करती हैं।
EVs की तुलना में क्यों पसंद की जा रहीं हाइब्रिड गाड़ियां?
इस समय देश में उपलब्ध हाइब्रिड गाड़ियां अपनी विश्वसनीयता, परफॉर्मेंस और कम मेंटेनेंस कॉस्ट के कारण लोगों को अधिक पसंद आ रही हैं। दूसरी तरफ सीमित रेंज, चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की कमी और महंगे EV बीमा की वजह से ग्राहक नई इलेक्ट्रिक कार खरीदने में संकोच कर रहे हैं। इसके अलावा हाइब्रिड गाड़ियों की कीमत भी कम है। एक हाइब्रिड कार की औसत कीमत 16.98 लाख रुपये और इलेक्ट्रिक कार की कीमत 17.71 लाख रुपये है।
क्या कहते हैं इस साल के बिक्री के आंकड़े?
देश में इस साल जनवरी से नवंबर तक कुल 38,50,092 पैसेंजर वाहनों की बिक्री हुई है, जिसमें माइल्ड हाइब्रिड गाड़ियों की 4,06,692 यूनिट्स और प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कार की 79,605 यूनिट्स की बिक्री हुई है। इसके अलावा इस दौरान 89,137 यूनिट्स इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है। इस तरह साल 2023 में नवंबर तक पैसेंजर वाहनों की कुल बिक्री में EV की हिस्सेदारी 2.3 प्रतिशत और हाइब्रिड गाड़ियों की हिस्सेदारी 12.6 प्रतिशत है।
2028 तक होगी EVs की 10 लाख यूनिट्स की बिक्री
भारत में 2017 के बाद से मांग में EVs की मांग में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है, लेकिन अगले साल सामान्य मांग की उम्मीद है। टाटा मोटर्स ने भी कहा है कि 2024 में उच्च बेस लागत के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री सामान्य रहेगी। कंपनी का कहना है कि नए लॉन्च और चार्जिंग ढांचे के विस्तार के कारण इलेक्ट्रिक कारों की वार्षिक बिक्री 2028 तक 10 लाख यूनिट तक पहुंच जाएगी।
EVs को लेकर कार कंपनियां क्या कर रही हैं?
ऑटोमोबाइल कंपनियां EV के लिए कई तरह की योजनाएं बना रही हैं। टाटा, महिंद्रा और MG इस समय नई इलेक्ट्रिक गाड़ियां लॉन्च करने की तैयारी में हैं। अमेरिका स्थित टेस्ला, फिक्सर और वियतनाम स्थित विनफास्ट जैसी कई इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां भी भारत में प्रवेश करने की योजनाओं पर काम कर रही हैं। इसके अलावा फॉक्सवैगन और स्कोडा अगले 2-3 वर्षों में EV लॉन्च की योजना बना रही हैं। इस बीच मारुति सुजुकी और टोयोटा भी अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियां उतारेंगी।
हाइब्रिड वाहनों को सही मान रहे जानकार
इलेक्ट्रिक कार को पर्यावरण के लिए सही माना जा रहा है, लेकिन कई जानकारों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों से भी पर्यावरण को काफी नुकसान है। दरअसल, इलेक्ट्रिक गाड़ियां बिजली से चार्ज होती हैं, जिन्हे बनाने में काफी प्रदूषण होता है। कई लोग EVs के बजाय हाइब्रिड कार को पर्यावरण के लिए सही मान रहे हैं। इन्हे चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि इसकी बैटरी कार के ईंधन से चलने पर खुद ही चार्ज हो जाती है।
इस बारे में कार कंपनियों का क्या है मानना
हाल ही में सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के वार्षिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऑटो उद्योग को पावरट्रेन तकनीकों की एक श्रृंखला के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के कंट्री हेड और कार्यकारी उपाध्यक्ष विक्रम गुलाटी ने कहा कि भारत को वैकल्पिक ईंधन प्रौद्योगिकियों की जरूरत है।'' मारुति सुजुकी के चेयरमैन RC भार्गव की मानें तो ग्राहक हाइब्रिड गाड़ियों को EVs की तुलना में अधिक स्वच्छ मानते हैं।
कौन-सी बातें इलेक्ट्रिक गाड़ियों के विकास में बाधा बन रही?
इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी चुनौती उनकी चार्जिंग की है। भारत की 90 प्रतिशत गाड़ियां सड़कों पर पार्क होती हैं। ऐसे में हर गाड़ी के लिए चार्जिंग की सुविधा पहुंचा पाना संभव नहीं है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन लगाना सबसे बड़ी चुनौती है। बैटरी का निर्माण भी कठिन है। वर्तमान में बैटरियां दूसरे देशों से मंगाई जाती हैं, जिससे इनकी कीमतें बढ़ जाती हैं और ग्राहकों पर EVs के लिए अधिक पैसे देने होते हैं।
EVs का क्या है भविष्य?
भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार अभी केवल शुरू हुआ है और इसके बाजार की सही जानकारी के लिए हमें 8 से 10 सालों तक का इंतजार करना होगा। इसके अलावा हाईड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों और हाइब्रिड गाड़ियों को भविष्य की गाड़ियों के रूप में भी सफल माना जा रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होता कि भविष्य में गाड़ियों में एक नहीं बल्कि मल्टी-पावरट्रेन का विकल्प देखने को मिलेंगे।