क्या आपको पता है ऑटोमैटिक गियरबॉक्स कितने प्रकार के होते हैं?
आपने मैनुअल और ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के बारे में तो सुना ही होगा। ऑटोमैटिक गियरबॉक्स वाली गाड़ियों में गियर नहीं लगाना पड़ता और इन्हे चलना भी बेहद आसान है। बता दें कि ऑटोमैटिक गियरबॉक्स कई प्रकार के होते हैं। इसलिए इनमें से किसी एक विकल्प को चुनने में ग्राहक भ्रमित हो सकते हैं। अगर आप भी ऑटोमैटिक गाड़ियां लेने की योजना बना रहे हैं तो हम आपके लिए ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के प्रकार के बारे में जानकारी लेकर आए हैं।
क्या होता है ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन?
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली कारों में क्लच नहीं दिया जाता है। ये कारें सिर्फ एक्सेलरेटर और ब्रेक के साथ आती हैं। ऑटोमेटिक कारों में बहुत ही सिंपलीफाइड गियरबॉक्स दिया जाता है जिसमें चार- पार्क मोड, रिवर्स मोड, न्यूट्रल मोड और ड्राइव मोड मिलते हैं, जिनकी मदद से आप इस कार को चला सकते हैं। आपको बस मोड सेलेक्ट करके गाड़ी को एक्सेलरेटर करना है। इसके बाद कार खुद ही सेलेक्ट कर लेती है कि उसे किस स्पीड में चलना है।
ऑटोमेटेड मैनुअल ट्रांसमिशन (AMT)
भारत में ऑटोमेटेड मैनुअल ट्रांसमिशन (AMT) गियरबॉक्स का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला वेरिएंट है। मैनुअल ट्रांसमिशन तकनीक के समान AMT में सेंसर और एक्चुएटर्स हैं जो क्लच और गियर बदलने का काम करते हैं। गियरशिफ्ट को पूरा करने के लिए AMT गियरबॉक्स कार के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECU) से जुड़े हाइड्रोलिक्स का उपयोग करता है। मारुति सुजुकी और रेनो जैसी कंपनियां अपने वाहनों में AMT गियरबॉक्स का इस्तेमाल 2010 से कर रही हैं।
कन्टिन्यूस्ली वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT)
कन्टिन्यूस्ली वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT) एक सिंगल स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स है, जो आकार में तो कॉम्पैक्ट है और इसे बनाना बेहद सरल है। इस गियरबॉक्स में दो पुली का इस्तेमाल किया गया है, जो V-आकार के ड्राइव बेल्ट के माध्यम से जुड़े हैं। ये काफी स्मूथ होते हैं और जल्दी खराब नहीं होते। सबसे पहले इस गियरबॉक्स का उपयोग टोयोटा और निसान जैसी जापानी कंपनियों ने अपनी स्पोर्ट्स कारों में किया था।
ड्यूल क्लुथ ट्रांसमिशन (DCT)
डुअल क्लच ट्रांसमिशन (DCT) दो क्लच पैक के साथ काम करता है। इसमें उपलब्ध एक क्लच सम संख्या वाले गियर को और दूसरा विषम संख्या वाले गियर को नियंत्रित करता है। उदाहरण के तौर पर जब पहला गियर लगा होता है तो सम क्लच उपयोग में होता है और दूसरे गियर के दौरान विषम क्लच काम करता है। यह प्रक्रिया इतनी तेज होती है की ड्राइवर को भी पता नहीं चल पाता कि गियर कब बदल रहे हैं।
इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (iMT)
इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (iMT) गियरबॉक्स की पेशकश सबसे पहले हुंडई ने अपनी कुछ चुनिंदा कार के पेट्रोल वेरिएंट में की थी। इसमें क्लच ऑटोमैटिक रूप से संचालित होता है और ड्राइवर को अपशिफ्ट या डाउनशिफ्ट की स्थिति में गियर लीवर को मैन्युअल रूप से संचालित करना होता है। आपको बता दें कि भारतीय बाजार में iMT गियरबॉक्स का इस्तेमाल टर्बो-पेट्रोल वेरिएंट वाले हुंडई i20, वेन्यू और किआ सॉनेट में किया जाता है।
टॉर्क कन्वर्टर
टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ऑटोमैटिक गियरबॉक्स है। यह थोड़े महंगे होते हैं, लेकिन इनकी परफॉरमेंस सबसे अच्छी होती है। वहीं, इनकी वजह से तेल की खपत भी कम होती है। टॉर्क कन्वर्टर से जुड़ा एक पंप गियरबॉक्स के चारों ओर ट्रांसमिशन फ्लुइड भेजता है और पंखे को घुमाता है। जिससे गियर बदलने में मदद मिलती है। इस गियरबॉक्स में टॉर्क भी अधिक जनरेट होगा है और कार बेहतर परफॉरमेंस देती है।