क्या होता है ट्रैक्शन कंट्रोल और यह कैसे कार ड्राइविंग को सुरक्षित बनाता है?
आजकल ज्यादातर कंपनियां अपने कारों को सुरक्षित बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा फीचर्स दे रही हैं। इन्ही सुरक्षा फीचर्स में से एक फीचर है ट्रैक्शन कंट्रोल। सेफ्टी फीचर्स के रूप में पाया जाने वाला ट्रैक्शन कंट्रोल पहले सिर्फ लग्जरी कारों में देखने को मिलता था, लेकिन अब हर रेंज की कारों में आपको ये फीचर मिल जाएगा। तो चलिए जानते हैं कि ट्रैक्शन कंट्रोल क्या होता है और यह कैसे काम करता है।
क्या होता है ट्रैक्शन कंट्रोल?
ट्रैक्शन कंट्रोल वह ऑटो सुरक्षा है जो टायरों और सड़क के बीच फिसलन को कम करता है और खतरनाक परिस्थितियों में ट्रैक्शन को बनाए रखने में मदद करता है। दूसरे शब्दों में यह आपके कार के व्हील्स को कंट्रोल खोने से बचाता है जिससे गाड़ी अनियंत्रित न हो सके। जब सड़कें गीली होती है तो अक्सर कार टायर्स स्लिप करते हैं या ज्यादा तेजी के साथ घूमने लगते हैं। उस समय यह फीचर दुर्घटना से बचाता है।
कैसे काम करता है ट्रैक्शन कंट्रोल?
एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) की तरह ही ट्रैक्शन कंट्रोल व्हील सेंसर का उपयोग करके काम करता है। जब एक पहिया अन्य पहियों की तुलना में काफी अधिक घूमता है, तब इस सेंसर की मदद से इसका पता लगाया जाता है। इसके बाद कार की इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण प्रणाली काम करना शुरू कर देती है और इसे रोकने के लिए कार्रवाई करती है। इसके साथ ही कार का ऑन-बोर्ड कंप्यूटर इंजन की पावर को थोड़ा कम कर देता है।
ट्रैक्शन कंट्रोल की वार्निंग लाइट का क्या मतलब है?
ट्रैक्शन कंट्रोल फिसलन वाली जगह पर स्पीड को कम तो करता ही है, साथ ही यह आगे आने वाले खतरे के लिए डैशबोर्ड पर वार्निंग सिग्नल लाइट भी दिखाता है। अगर आपकी गाड़ी तेज स्पीड में नहीं है तो भी यह बर्फ और सड़क पर तेल या ढीली सतह के कारण वार्निंग सिग्नल देता है। यदि आप लाइट को अक्सर देख रहे हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके टायर को बदलने की आवश्यकता है।
इस स्थिति में ट्रैक्शन कंट्रोल को बंद करना है बेहतर
वैसे तो ट्रैक्शन कंट्रोल को हर समय ऑन रखना सही माना जाता है, लेकिन गाड़ी बर्फीली जगह या कीचड़ में फंस जाए तो ऐसे स्थिति में ट्रैक्शन कंट्रोल को बंद कर देना सही रहता है। उस समय बाहर निकलने के लिए पहियों को घूमने देना चाहिए और उपलब्ध ग्रिप का उपयोग करना चाहिए। अगर इस समय ट्रैक्शन कंट्रोल ऑन रहेगा तो यह इंजन की पावर पर असर डालेगा और हो सकता है कि आपकी कार का इंजन सीज होज जाए।