लेम्बोर्गिनी 2028 में लॉन्च कर सकती है अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार, जानिए कंपनी की योजना
जर्मनी की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी लेम्बोर्गिनी इस समय अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार पर काम कर रही है। कंपनी अपनी पहली इलेक्ट्रिक गाड़ी को 2028 में लॉन्च करने की योजना बना रही है और कंपनी के CEO स्टीफन विंकलमैन ने इस बात की पुष्टि की है। बता दें कि यह कंपनी की एक नई इलेक्ट्रिक गाड़ी होगी, जो कंपनी की लाइनअप में उपलब्ध सभी गाड़ियों से अलग होगी। आइये जानते हैं इस बारे में क्या जानकारी मिली है।
फॉक्सवैगन के साथ मिलकर यह कार बना रही लेम्बोर्गिनी
जानकारी के अनुसार, कंपनी की अपकमिंग इलेक्ट्रिक कार को फॉक्सवैगन के स्केलेबल सिस्टम प्लेटफॉर्म (SSP) पर बनाए जाने की संभावना है। उरुस SUV के समान ही लेम्बोर्गिनी अपनी इस इलेक्ट्रिक कार को फॉक्सवैगन के साथ साझेदारी करके बनाएगी। इस कार के बारे में बात करते हुए विंकलमैन ने कहा कि कंपनी की अपकमिंग इलेक्ट्रिक कार में 4-सीटर केबिन मिलेगा। इसमें 2 दरवाजे और ऑफरोडिंग के लिए ग्राउंड क्लीयरेंस भी अधिक होगा।
2030 में भारत में लॉन्च होगी लेम्बोर्गिनी की इलेक्ट्रिक कार
लेम्बोर्गिनी अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार साल 2028 में वैश्विक बाजार में लेकर आएगी और भारत में इसे 2030 में लॉन्च किया जा सकता है। देश में लेम्बोर्गिनी की सेल्स में अच्छी बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस वजह से कंपनी अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार को भारतीय बाजार में भी लॉन्च करने की योजना पर काम कर रही है। बता दें कि कंपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों से पहले हाइब्रिड गाड़ियां भारतीय बाजार में उतारेगी।
वर्तमान में हाइब्रिड गाड़ियों पर काम कर रही है कंपनी
लेम्बोर्गिनी 2024 तक भारत में उपलब्ध अपनी सभी गाड़ियों को हाइब्रिड वेरिएंट में उतारने वाली है। कुछ समय पहले ही लेम्बोर्गिनी इंडिया के प्रमुख शरद अग्रवाल ने इस बात की पुष्टि की थी। वर्तमान में कंपनी लेम्बोर्गिनी एवेंटाडोर के हाइब्रिड मॉडल की टेस्टिंग कर रही है। इसमें 6.5-लीटर का नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन मिलेगा, जो 770hp की पावर जनरेट करने में सक्षम होगा। ट्रांसमिशन के लिए इंजन को 7-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स से जोड़ा जा सकता है।
फेरुचियो लेम्बोर्गिनी ने की थी इस कंपनी की शुरुआत
जानकारी के लिए आपको बता दें कि लेम्बोर्गिनी कंपनी की शुरुआत फेरुचियो लेम्बोर्गिनी ने की थी। उनका जन्म 1916 में इटली के किसान परिवार में हुआ था। बचपन से उन्हें गाड़ियों का शौक था। 16 साल की उम्र में मैकेनिकल इंजीनियर की पढाई का फैसला किया। पढाई के बाद उन्हें एयरफोर्स में नौकरी मिल गई, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद वो नौकरी छोड़कर घर आ गए और लेम्बोर्गिनी नाम से 1947 में एक गैराज खोला।