जल्द आ सकते हैं मोटरसाइकिल पर बच्चों की सवारी से जुड़े नए नियम, ड्राफ्ट जारी
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए यातायात नियमों की घोषणा की है। इसके लिए केंद्र सरकार ने चार साल से कम उम्र के बच्चों को मोटरसाइकिल पर ले जाते समय नए सुरक्षा नियमों के पालन करने के ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। ऐसा पहली बार होगा, जब केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR), 1989 में संशोधन करके इस तरह के नियम लाए जा रहे हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।
क्या है नया नियम?
बच्चों की सुरक्षा के लिए लाए जा रहे इन नियमों के तहत मोटरसाइकिल चालकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नौ महीने से चार साल के बीच के बच्चे मोटरसाइकिल पर सवारी करते हुए क्रैश हेलमेट या सुरक्षा मानकों को पूरा करने वाले साइकिल हेलमेट पहनकर ही राइड करें। साथ ही चालक को चार साल से कम उम्र के बच्चों को बाइक पर ले जाते समय 40 किमी प्रति घंटे से कम स्पीड पर दोपहिया वाहन चलाना पड़ेगा।
हार्नेस लगाना भी होगा जरूरी
नए नियम के तहत कहा गया है कि चार साल की उम्र तक के बच्चों को दोपहिया पर ले जाते समय सवार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चा हार्नेस से बंधा हो। यह हार्नेस चालक के साथ जुड़ा होगा ताकि बच्चे के गाड़ी से गिरने की कोई संभावना न रह सके। हार्नेस का मतलब एक सेफ्टी बेल्ट होता है, जो चालक या सवार द्वारा पहने जाने वाले शॉल्डर लूप्स के साथ बंधा होता है।
कैसा होना चाहिए हार्नेस?
सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए सड़क और परिवहन मंत्रालय ने हार्नेस की क्वालिटी तय की है। हार्नेस हल्का, एडजेस्टेबल वाटरपूफ और टिकाऊ होना चाहिए। यह हेवी डेन्सिटी वाले फोम के साथ नायलॉन या मल्टीफिलामेंट नायलॉन का बना होना चाहिए और 30 किलो तक वजन रखने में सक्षम होना चाहिए। इसके साथ ही भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक होगा, जहां मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे बच्चों की सुरक्षा के लिए नियम बनाए जा रहे है।
मोटरसाइकिल दुर्घटनाओं में होती हैं ज्यादा मौतें
2014 की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क दुर्घटना को एक से चार साल तक के बच्चों की मृत्यु के 15 मुख्य कारणों में से एक माना गया है और पांच से नौ साल के बच्चे की मृत्यु का दूसरा कारण है। वहीं, यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल हाईवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, 2004 में मोटरसाइकिल चालकों की सड़क दुर्घटना कार दुर्घटना की तुलना में 35 गुना अधिक और घायल होने की संभावना आठ गुना अधिक थी।