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    मांग बढ़ने पर किराया नहीं बढ़ा सकेंगी ऐप-आधारित टैक्सी कंपनियां, सरकार ने कसी लगाम

    मांग बढ़ने पर किराया नहीं बढ़ा सकेंगी ऐप-आधारित टैक्सी कंपनियां, सरकार ने कसी लगाम

    लेखन भारत शर्मा
    Nov 27, 2020
    09:42 pm

    क्या है खबर?

    देश में ओला और उबर जैसी ऐप-आधारित टैक्सी कंपनियां अब मांग बढ़ने पर किराए में मनमाफिक बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगी।

    ऐप-आधारित टैक्सी कंपनियों की इस मनमानी से लोगों को होने वाली परेशानी को देखते हुए मोदी सरकार ने इन पर नकेल कस दी है।

    इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने गुरुवार को मोटर व्हीकल एग्रीगेटर दिशा-निर्देश, 2020 जारी कर दिए हैं। इसके बाद अब किराया बढ़ाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की जा सकेगी।

    स्थिति

    अब तक यह थी स्थिति

    बता दें कि वर्तमान में देश में ओला और उबर सहित कई ऐप-आधारित टैक्सी कंपनियां लोगों को टैक्सी सेवा उपलब्ध करा रही हैं।

    ये टैक्सी कंपनियां कम ट्रैफिक वाली स्थिति में तो यात्रियों से सामान्य किराया वसूलते हैं, लेकिस किसी त्योहार, कार्यक्रम या अन्य पीक ऑवर्स में किराए को अचानक बढ़ा देते हैं।

    ऐसे में लोगों को बहुत कम दूरी के लिए भी बहुत अधिक किराया चुकाना पड़ता है। इसको लेकर कई बार शिकायतें भी की जा चुकी हैं।

    आदेश

    अब पीक ऑवर्स में महज 1.5 गुना किराया बढ़ा सकेंगी कंपनियां

    द प्रिंट के अनुसार परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी किए गए मोटर व्हीकल एग्रीगेटर दिशा-निर्देश, 2020 के तहत अब टैक्सी एग्रिगेटर पीक ऑवर्स में संबंधित राज्य सरकार द्वारा शहरी टैक्सी के लिए निर्धारित किए गए बेस किराए से 1.5 गुना अधिक तक किराया बढ़ा सकेंगे।

    इसके अलावा सामान्य समय में एग्रिगेटर बेस किराए से 50 प्रतिशत कम किराया वसूलेंगे। जिन राज्यों में बेस किराया निर्धारित नहीं है, वहां कंपनियाों को 25-30 रुपयें तक किराया बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी।

    जानकारी

    बिना सरकारी हस्तक्षेप के संचालित हो रही ऐप-आधारित टैक्सी सेवा

    बता दें कि साल 2019 तक देश में सभी ऐप-आधारित टैक्सी सेवा बिना किसी सरकार हस्तक्षेप के ही संचालित हो रही थी। इसके बाद सरकार ने मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 में इन्हें शामिल किया था, लेकिन दिशा-निर्देश जारी नहीं किए थे।

    लाइसेंस

    बिना लाइसेंस के नहीं चला सकेंगे ऐप-आधारित टैक्सी सेवा

    नए दिशा-निर्देशों के तहत अब देश में ऐप-आधारित टैक्सी सेवा शुरू करने के लिए संबंधित राज्य के परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना होगा। इसके बिना संचालन पर कार्रवाई की जाएगी।

    ऐसे में राज्यों को भी इन सेवाओं के संचालन के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

    इन नियमों में ऐप-आधारित टैक्सी सेवा में यात्रा करने के दौरान यात्रियों और महिला कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कई सख्त नियम बनाए गए हैं।

    जुर्माना

    लाइसेंस मानदंडों के उल्लंघन पर लगेगा एक लाख रुपये का जुर्माना

    मोटर व्हीकल एग्रीगेटर दिशा-निर्देश, 2020 के तहत अब लाइसेंस के नियमों का उल्लंघन करते हुए टैक्सी सेवा संचालित करने पर संबंधित कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

    लाइसेंस के लिए चालक या मोटर वाहन मालिकों के संघ द्वारा गठित सहकारी समिति अधिनियम, 1912 के तहत आवेदक को कंपनी अधिनियम, 1956 या 2013 या सहकारी समिति के तहत पंजीकृत होना होगा। इसके अलावा कंपनियों को भारत में एक पंजीकृत कार्यालय भी खोलना होगा।

    फीस

    पांच लाख रुपये होगी लाइसेंस की फीस

    ऐप-आधारित टैक्सी सेवा का लाइसेंस लेने के लिए कंपनी को पांच साल के लिए पांच लाख रुपये फीस चुकानी होगी।

    इसके अलावा कंपनी को टैक्सी चालक का पूरा बायोडाटा रखने के साथ पुलिस सत्यापन भी कराना होगा। इसमें चालक के खिलाफ पिछले तीन साल में शराब पीकर वाहन चलाने का कोई भी मामला नहीं होना चाहिए।

    इसके अलावा कंपनी को सभी वाहनों में 24 घंटे GPS सेवा को चालू रखने के साथ यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उठानी होगी।

    जुर्माना

    राइड कैंसिल करने पर लगेगा 10 प्रतिशत जुर्माना

    नए दिशा-निर्देशों के तहत अब किसी भी एग्रिगेटर के चालक के बुकिंग लेने के बाद बिना किसी वैध कारण के बुकिंग कैंसिल करने पर 100 रुपये के कम के किराए पर 10 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा।

    इसी तरह यदि सवारी बिना किसी कारण के बुकिंग कैंसिल करती है तो उस पर भी 10 प्रतिशत जुर्माना लगेगा।

    इसी तरह प्रत्येक राइड का 80 प्रतिशत किराया चालक को तथा 20 प्रतिशत किराया एग्रिगेटर के पास जाएगा।

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