दिल्ली: सड़कों पर पैदल और साईकिल से चलने वालों की सुविधा बढ़ाने के लिए नई पहल
दिल्ली सरकार ने सड़क सुरक्षा में सुधार और दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम करने के लिए राजघाट पर 'टेक्टिकल अर्बनिज्म ट्रायल' शुरू किया है। राजघाट चौराहे को पैदल चलने वालों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए फिर से डिजाइन किया गया है। यह शहर में दुर्घटना-संभावित हिस्सों पर 'जीरो फैटलिटी कॉरिडोर' स्थापित करने की सरकार की पहल का एक हिस्सा है। आइये जानते हैं इस बारे में क्या कुछ पता चला है।
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने किया उद्घाटन
टेक्टिकल अर्बनिज्म ट्रायल का उद्घाटन करते हुए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि शहर में 20 ऐसे स्थानों को ध्यान में रखा गया है। ये सभी दुर्घटना संभावित स्थान हैं और यहां आये दिन दुर्घटनाओं के मामले सामने आते रहते हैं।
सड़क हादसों में आएगी कमी
राजघाट पर बने टेक्टिकल अर्बनिज्म ट्रायल को प्लास्टिक बैरियर, स्प्रिंग पोस्ट जैसे अन्य उपकरणों इस्तेमाल करके घेरा गया है ताकि यातायात के लिए साइकिल चालकों और पैदल चलने वालों की दुर्घटनाओं के खतरे को कम किया जा सके और पैदल चलने वालों के लिए चलने की जगह बढ़ाई जा सके। अगर यह ट्रायल सफल रहा तो सरकार इसे शहर के अन्य 20 स्थानों पर लॉन्च करेगी और माना जा रहा है कि इससे सड़क हादसों में कमी आएगी।
इन जगहों पर भी होगा टेक्टिकल अर्बनिज्म ट्रायल
सरकार द्वारा चुने गए अन्य 20 जगहों में मुकुंदपुर चौक, निरंकारी कॉलोनी/गोपालपुर रेड लाइट, आजादपुर चौक, मजनू का टीला, बुराड़ी चौक, सरिता विहार मेट्रो स्टेशन, नेहरू प्लेस, खेल गांव, गांधी विहार बस स्टैंड और कश्मीरी गेट जैसे इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। यातायात कमिश्नर ताज हसन के अनुसार, हर साल दिल्ली में लगभग 1,200 से 1,500 लोग सड़क हादसों के शिकार होते हैं और यह संख्या हर साल बढ़ती जाती है।
इन संगठनों के साथ काम कर रही है दिल्ली सरकार
राजघाट चौराहे पर यह परियोजना दिल्ली यातायात पुलिस और गैर सरकारी संगठनों (NGO) सेवलाइफ फाउंडेशन और स्वयं के सहयोग से शुरू की गई है। इस पर सरकार के 'जीरो फैटलिटी कॉरिडोर' (ZFC) प्रोजेक्ट के तहत काम किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य शहर के सबसे अधिक दुर्घटना वाले हिस्सों पर हादसों को रोकना, मोटर चालकों को जागरूक करना और पैदल अथवा साइकिल चालकों के लिए सड़कों को सुरक्षित बनाना है।
भारत में सड़क दुर्घटनाएं
भारत में दुनिया के एक फीसदी वाहन हैं पर सड़कों पर वाहन दुर्घटनाओं के चलते विश्वभर में होने वाली मौतों में 11 प्रतिशत मौत भारत में होती हैं। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। भारत में सालाना करीब 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 1.5 लाख लोगों की मौत होती है। पिछले एक दशक में भारतीय सड़कों पर 13 लाख लोगों की मौत हुई है और करीब 50 लाख लोग घायल हुए हैं।