इलेक्ट्रिक वाहनों में आग की घटनाओं को लेकर सरकार गंभीर, लाएगी नई बैटरी नीति
हाल ही के दिनों में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की कई घटना सामने आई है, जिसे गंभीरता से लेते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए थे। अब खबर है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी के लिए स्टैंडर्ड को फिक्स करने और दिशानिर्देश स्थापित करने की योजना बना रही है। इस नई बैटरी नीति के तहत बैटरी मैनेजमेंट और सेल जांच की प्रक्रिया में बदलाव की जाएगी।
EV बैटरी पॉलिसी के लिए लाई जाएगी गाइडलाइन
परिवहन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि आग लगने की खतरे की वजह से विभाग ने EV निर्माताओं को उनके मौजूदा वाहनों में सुधार के लिए मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया है। साथ ही प्रस्तावित बैटरी नीति पर भी काम शुरू हो गया है। इसके तहत बैटरी परफॉर्मेंस टेस्टिंग और विनिर्माण स्टैंडर्ड के साथ-साथ हीट रजिस्टेंस से जुड़े नियमों को भी शामिल किया जाएगा। इस तरह नए मानक स्टोरेज क्षमता, रिचार्ज स्टैंडर्ड जैसे अन्य सेफ्टी फीचर्स पर जोर देंगे।
कमिटी कर रही है जांच
आग लगने की घटनाओं का पता लगाने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों को रिकॉल करने के बजाए इस मामले में DRDO और भारतीय विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट का इंतजार किया है। बता दें कि सरकार ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के तहत आने वाले सेंटर फॉर फायर, एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी को इलेक्ट्रिक गाड़ियों में आग लगने की परिस्थितियों की जांच करने और इसके बचाव के उपायों का सुझाव देने के लिए कहा है।
इन कारणों से बनाई जा रही है बैटरी पॉलिसी
बैटरी पॉलिसी लाने की वजह इलेक्ट्रिक स्कूटरों में होनी वाली लगातार घटनाएं हैं। पहली घटना ओला S1 प्रो स्कूटर में हुई थी, जिसमें सड़क किनारे खड़े स्कूटर के बैटरी के डिब्बे से धुआं निकलता देखा गया जो बाद में भीषण आग में बदल गया। वहीं, अन्य घटना में एक ओकिनावा इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लग गई, जिसमें पिता और पुत्री की मौत हो गई थी। इसके आलवा जितेंद्र EV के 40 में से 20 इलेक्ट्रिक स्कूटर में जल चुके हैं।
विशेषज्ञों ने दिया है सुझाव
विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस मुद्दे को हल करने के लिए EV की बैटरी डिजाइन को अधिक फ्यूज और सुरक्षा प्रावधानों के साथ बनाया जाना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। इसके आलवा बैटरी निर्माण के लिए कोबाल्ट की जगह पर ज्यादा स्थिर तत्व के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है, क्योंकि कोबाल्ट एक अस्थिर तत्व है और इस तरह के आग का कारण बन सकता है।