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    अफगानिस्तान: तालिबान ने दो और राज्यों की राजधानियों पर किया कब्जा
    तालिबान ने दो और प्रांतों की राजधानियों पर किया कब्जा

    अफगानिस्तान: तालिबान ने दो और राज्यों की राजधानियों पर किया कब्जा

    लेखन मुकुल तोमर
    Aug 08, 2021
    03:56 pm

    क्या है खबर?

    अफगानिस्तान में तालिबान के कदम बढ़ते ही जा रहे हैं और आज उसने देश के दो और प्रांतों की राजधानी पर कब्जा कर लिया। आतंकियों ने आज चंद घंटों के अंतराल पर कुंदुंज प्रांत की राजधानी कुंदुंज शहर और सर-ए पुल प्रांत की राजधानी सर-ए पुल शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया।

    इससे पहले तालिबान शुक्रवार को निमरोज की राजधानी जरांज और शनिवार को जावजान प्रांत की राजधानी शेबर्गन पर भी कब्जा कर चुका है।

    बयान

    स्थानीय निवासियों ने की दोनों शहरों पर तालिबान के कब्जे की पुष्टि

    तालिबान ने बयान जारी करते हुए कहा, "भीषण लड़ाई के बाद भगवान की कृपा से मुजाहिद्दीनों ने कुंदुंज की राजधानी पर कब्जा कर लिया है। मुजाहिद्दीनों ने सर-ए-पुल शहर, सरकारी इमारत और यहां के सभी प्रतिष्ठानों पर भी कब्जा कर लिया है।"

    कुदुंज और सर-ए-पुल के नेताओं और निवासियों ने तालिबान के इस दावे की पुष्टि की है। कुदुंज के एक स्थानीय निवासी ने कहा कि शहर में पूर्ण अराजकता फैली हुई है।

    बयान

    सर-ए-पुल में सरकारी अधिकारियों और सुरक्षा बलों ने ली बैरकों में शरण

    सर-ए-पुल की महिला अधिकार कार्यकर्ता परवीना आजिमी ने AFP को बताया कि सरकारी अधिकारियों और बचे हुए सुरक्षा बलों ने शहर से तीन किलोमीटर दूर स्थित बैरकों में शरण ली है। उनकी मदद के लिए एक प्लेन भी आया, लेकिन लैंड नहीं कर सका।

    अहमियत

    कुदुंज पर कब्जा तालिबान की बड़ी जीत

    कुदुंज पर तालिबान के कब्जे को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है और यह तालिबान का मुख्य निशाना रहा है। उसने 2015 और 2016 में भी कुछ समय के लिए इस शहर पर कब्जा कर लिया था, लेकिन वह ज्यादा समय तक इसे अपने नियंत्रण में नहीं रख सका।

    अफगान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सरकारी बल इलाकों को फिर से अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रहे हैं और कमांडोज ने इसके लिए अभियान लॉन्च किया है।

    खतरा

    उत्तरी इलाकों पर तालिबान का कब्जा अफगान सरकार के लिए खतरा

    कुदुंज और सर-ए-पुल दोनों उत्तर अफगानिस्तान में हैं और उत्तरी इलाकों को हाथ से निकलने देना अफगान सरकार के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

    इस इलाके को तालिबान विरोधी ताकतों को गढ़ माना जाता रहा है और 1990 के दशक के तालिबान शासन का यहां कड़ा विरोध हुआ था।

    इलाके में कई मिलिशिया सक्रिय हैं और सरकार इनके साथ मिलकर तालिबान को टक्कर देने की सोचती है। यहां से बड़ी संख्या में लोग अफगान सेना में भी जाते हैं।

    अन्य शहर

    हेरात और लश्कर गाह के बाहर भी भीषण लड़ाई

    तालिबान पश्चिम में हेरात और दक्षिण में लश्कर गाह और कंधार जैसे बेहद महत्वपूर्ण इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश भी कर रहा है। इन शहरों के बाहर भीषण लड़ाई चल रही है।

    इन इलाकों में मिलिशिया सरकारी बलों के साथ मिलकर तालिबान को रोकने का काम कर रहे हैं।

    अमेरिकी वायुसेना ने सरकार की मदद के लिए कई एयर स्ट्राइक भी की हैं और ऐसे ही स्ट्राइक में शेबर्गन में शनिवार को 200 से अधिक तालिबानी आतंकी मारे गए।

    पृष्ठभूमि

    अफगानिस्तान में महीनों से चल रहा है सेना और तालिबान में संघर्ष

    गौरतलब है कि अमेरिकी सेना की वापसी के बीच अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सेना के बीच संघर्ष चल रहा है।

    माना जा रहा है कि तालिबान देश के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा कर चुका है और उसने कहा है कि अगर वो चाहे तो दो हफ्ते में पूरे देश पर कब्जा कर चुका है।

    देश में स्थिति तेजी से गृह युद्ध में तब्दील हो गई है जो एक अच्छी खबर नहीं है।

    हिंसा

    आम नागरिकों पर भी हमला कर रहा तालिबान, भारतीय पत्रकार की नृशंसता से हत्या

    तालिबान ने खुद में बदलाव का चोला भी उतार फेंका है और वो आम नागरिकों पर भी हमला कर रह है। एक गांव में तो उसने दर्जनों सैकड़ों निहत्थे आम लोगों की हत्या कर दी।

    यही नहीं उसने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करने वाले भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की पहचान करने के बाद नृशंसता से हत्या की।

    इसके अलावा अफगान सरकार के मीडिया विभाग के प्रमुख दवा खान मिनापाल की भी शुक्रवार को हत्या कर दी गई।

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