आपसी झड़प में मुल्ला गनी बरादर के मारे जाने की खबरें, तालिबान ने कीं खारिज
क्या है खबर?
तालिबान ने आपसी झड़प में अपने उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के मारे जाने की खबरों को खारिज किया है। संगठन के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ट्वीट करते हुए कहा कि बरादर के मारे जाने या जख्मी होने की खबरें पूरी तरह से झूठी हैं।
तालिबान के दूसरे प्रवक्ता डॉ एम नईम ने मुल्ला बरादर का ऑडियो मैसेज भी जारी किया है जिसमें वे अपने मरने की अफवाहों को खारिज कर रहे हैं।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
आज सुबह से ही सोशल मीडिया पर ऐसे ट्वीट्स वायरल हो रहे हैं जिनमें मुल्ला बरादर के मारे जाने का दावा किया जा रहा है। इन ट्वीट्स के अनुसार, सत्ता बंटवारे को लेकर हक्कानी नेटवर्क और मुल्ला बरादर के तालिबानी गुट में झड़प हो गई जिसमें बरादर मारा गया। इनमें अनस हक्कानी के घायल होने का दावा भी किया जा रहा है।
कुछ मीडिया चैनल्स ने भी बरादर के मरने की खबरें प्रकाशित की हैं।
प्रतिक्रिया
तालिबान ने कहा- पूरी तरह से बेबुनियाद हैं बरादर की मौत की खबरें
अब तालिबान ने ट्वीट करते हुए इन खबरों को खारिज किया है। उसके प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ट्वीट करते हुए कहा, 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान के उप प्रधानमंत्री ने ऑडियो मैसेज में उन दावों को खारिज किया है जिनमें एक संघर्ष में उनके मारे जाने या जख़्मी होने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह से झूठी और बेबुनियाद खबर है।'
दूसरे प्रवक्ता डॉ नईम ने भी इन अफवाहों को खारिज किया है।
परिचय
कौन हैं मुल्ला बरादर?
मुल्ला बरादर अभी तालिबान सरकार का उप प्रधानमंत्री है और उसी ने दोहा में अमेरिका के साथ तालिबान की वार्ता का नेतृत्व किया था।
वह तालिबान के उन चार संस्थापक सदस्यों में शामिल है जिन्होंने 1994 में तालिबान का गठन किया था। वह तालिबान के सबसे बड़े नेता रहे मुल्ला मोहम्मद उमर का सबसे भरोसेमंद साथी था और संगठन का दूसरा सबसे बड़ा नेता था।
बरादर 1996-2001 तालिबान शासन के दौरान अफगानिस्तान का उप रक्षा मंत्री भी रहा है।
जेल
आठ साल पाकिस्तान की जेल में रहा है मुल्ला बरादर
मुल्ला बरादर पर संयुक्त राष्ट्र (UN) ने प्रतिबंध लगा रखे थे और उसके यात्रा करने और हथियार खरीदने पर प्रतिबंध था।
फरवरी, 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने एक संयुक्त अभियान में उसे कराची से गिरफ्तार किया और वह लगभग आठ साल जेल में बंद रहा।
2018 में तालिबान के साथ शांति वार्ता शुरू करने के लिए अमेरिका ने उसे रिहा करने का निर्देश दिया था। वह शांति वार्ता का समर्थक रहा है।
विरोध
पाकिस्तान के विरोध के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाया बरादर
मुल्ला बरादर के पहले तालिबान सरकार का प्रमुख बनने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन पाकिस्तान उसे पसंद नहीं करता और इसी कारण उसे प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं मिली।
पाकिस्तान को उस पर भरोसा नहीं है और वह उनके खिलाफ हक्कानी नेटवर्क का समर्थन करता है। हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का इशारों पर काम करता है और उसे सरकार में हिस्सेदारी दिलाने के लिए खुद ISI प्रमुख फैज हमीद काबुल आए थे।