अफगानिस्तान से धीमे निकासी अभियान के कारण नीदरलैंड की विदेश मंत्री ने इस्तीफा दिया
नीदरलैंड की विदेश मंत्री सिग्रिड काग ने अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के अभियान में तेजी न दिखा पाने के कारण इस्तीफा दे दिया है। संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जिस पर अधिकतर सदस्यों ने काग के खिलाफ मतदान किया। संसद ने पाया कि तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के अभियान को काग और उनका मंत्रालय ठीक ढंग से संभाल नहीं पाया था।
प्रधानमंत्री ने इस्तीफे को बताया बड़ा नुकसान
अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के तुरंत बाद काग ने अपने पद इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, "संसद ने फैसला किया है कि कैबिनेट जिम्मेदार तरीके से काम नहीं कर पाया। मैं इस फैसले को स्वीकार करते हुए इसकी जिम्मेदारी लेती हूं।" संसद के 78 सदस्यों ने काग के खिलाफ और 72 सदस्यों ने उनके पक्ष में मतदान किया था और इस तरह अविश्वास प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया। प्रधानमंत्री मार्क रट्ट ने उनके इस्तीफे को बड़ा नुकसान बताया है।
सरकार की प्रतिक्रिया धीमी रही- काग
बुधवार को संसद में हुई बहस के दौरान काग ने माना कि अफगानिस्तान में लगातार खराब होती स्थिति के बावजूद सरकार की प्रतिक्रिया धीमी रही। इसका मतलब हुआ है कि समय रहते हुए पर्याप्त नागरिकों और नीदरलैंड के मददगारों को अफगानिस्तान से नहीं निकाला जा सका। इसके अलावा मीडियाकर्मियों और NGO में काम करने वाले अफगान नागरिकों को भी वहां से नहीं निकाला जा सका था। बता दें, नीदरलैंड की सेना करीब 2,100 लोगों को अफगानिस्तान से निकाल पाई थी।
मई में विदेश मंत्री बनी थीं काग
विदेशी व्यापार और विकास सहयोग मंत्री काग ने इसी साल मई में विदेश मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाला था। पूर्व में संयुक्त राष्ट्र में रहते हुए वो कई पदों पर अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। 2015 में काग ने बतौर अंडर-सेक्रेटरी-जनरल सीरिया में एक मिशन का नेतृत्व किया था, जो रसायनिक हथियारों को खत्म करने के लिए गया था। इसके अलावा उन्होंने लेबनान में भी संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया है।
अपनी पार्टी का नेतृत्व करती रहेंगी काग
स्थानीय मीडिया की खबरों में कहा गया है कि काग अपनी D66 पार्टी का नेतृत्व करती रहेंगी। उनकी पार्टी प्रधाननंत्री रट्ट की पार्टी पीपल्स पार्टी फॉर फ्रीडम एंड डेमोक्रेसी के साथ गठबंधन की चर्चा कर रही है।
अफगानिस्तान से चला था बड़ा निकासी अभियान
पिछले महीने तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से हजारों लोगों को निकालकर दूसरे देश पहुंचाया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे इतिहास के सबसे मुश्किल निकासी अभियानों में से एक करार दिया था। तालिबान और आतंकी हमलों के खतरों के बीच अलग-अलग देश सैन्य विमानों के जरिये लोगों को निकालने में जुटे थे। 31 अगस्त तक अमेरिका समेत लगभग सभी ने निकासी अभियान बंद कर दिया था। अब धीरे-धीरे फिर से लोगों को निकाला जा रहा है।