ये है दुनिया का सबसे दुर्लभ खनिज, पूरे विश्व में इसका सिर्फ एक ही मणि पत्थर
अंतरराष्ट्रीय खनिज संघ ने पूरी दुनिया में तकरीबन 6,000 खनिजों को खोजा है और उन्हें मान्यता दी है। इन्ही में से एक क्यावथाइट नामक खनिज दुनिया का सबसे दुर्लभ खनिज माना जाता है, जिसका पूरी दुनिया में सिर्फ एक टुकड़ा ही मौजूद है। इस खनिज का वजन इसके आकार से कई ज्यादा है, जो इसे अब तक का सबसे दुर्लभ खनिज बनाता है। आइए आपको इस नायाब खनिज के बारे में विस्तार से बताते हैं।
क्या है क्यावथाइट?
क्यावथाइट एक पारदर्शी लाल-नारंगी रंग का खनिज है। इसका वजन सिर्फ 1.61 कैरेट यानी 0.3 ग्राम है। इसका रासायनिक फॉर्मूला Bi3+Sb5+O4 है। इसमें Bi बिस्मथ और Sb एंटीमनी है। ये दोनों भी दुर्लभ हैं और बिस्मथ की वजह से क्यावथाइट का घनत्व पानी से आठ गुना से अधिक होता है और यह छोटे आकार का होने के बावजूद भारी होता है। ये पृथ्वी पर उपलब्ध इकलौता बिस्मथ-एंटीमनी ऑइसाइड है। इसे लॉस एंजिल्स के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में रखा गया है।
कैसे मिला दुर्लभ खनिज?
क्यावथाइट का इकलौता मणि पत्थर म्यांमार के मोगॉक के पास मिला था। कुछ रूबी शिकारियों को यह मणि मिली थी, लेकिन उन्हें इसकी दुर्लभता और खासियत के बारे में जानकारी नहीं थी। इस वजह से उन्होंने इसे बाजार में बेच दिया। इसके बाद 2010 में मोगॉक में यांगून यूनिवर्सिटी के पूर्व जियोलॉजिस्ट डॉक्टर क्यावथू ने इस मणि को देखा और उन्हें यह कुछ अलग लगी, इसलिए उन्होंने इसे खरीद लिया। वह अक्सर अध्ययन के लिए पत्थर खरीदते रहते हैं।
कैसे पड़ा क्यावथाइट का नाम?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस खनिज को डॉ क्यावथू ने खोजा था, इसलिए इसका नाम उनके नाम पर क्यावथाइट रखा गया था। डॉ क्यावथू ने अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय खनिज संघ के विशेषज्ञों के साथ मिलकर क्यावथाइट को नए खनिज के रूप में मान्यता देने के लिए इस पर काम किया था। इसके बाद साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय खनिज संघ ने इसे मान्यता दी और 2017 में इसका वैज्ञानिक ब्योरा जारी किया गया।
क्या है क्यावथाइट की कीमत?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनिया में सिर्फ क्यावथाइट का एक ही मणि पत्थर मौजूद है, इसलिए इसकी बिक्री नहीं की जा सकती है। इस वजह से इसकी सटीक कीमत लगाना मुश्किल है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, भारत के एशिया से टकराव के बाद म्यांमार में ही सबसे ज्यादा ऐसे खनिज पाए गए हैं, जो बेहद दुर्लभ श्रेणी में आते हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों को अभी भी म्यांमार की वास्तविक खनिज संपत्ति के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।