मलेरिया से लड़ने का JNU के वैज्ञानिकों ने खोजा अनोखा तरीका
मच्छर से पैदा होने वाली बीमारियों में से एक मलेरिया के कारण भारत में हर साल हजारों जानें जाती हैं। इस बीमारी से लड़ने के लिए कई दवाएं पहले से मौजूद हैं, लेकिन कुछ मामलों में वो काम नहीं कर पातीं। अब जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय (JNU) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एंटीट्यूमर दवा के जरिये मलेरिया से लड़ने का एक नया तरीका खोजा है। इस तरीके में लिपिड को टारगेट कर मलेरिया का इलाज होगा।
लीवर और ब्लड में दुष्प्रभाव दिखाता है मलेरिया वायरस
लिपिड कोशिका का एक आवश्यक घटक है और मलेरिया के वायरस अपनी वृद्धि और विकास के लिए इन लिपिड के अणुओं का भी सहारा लेते हैं। एंटीट्यूमर एजेंट उन कोशिकाओं को मारते हैं, जो तेजी से विभाजित होती हैं और कैंसर के उपचार में उपयोग में लाई जाती हैं। मच्छर से पैदा होने वाली मलेरिया एक वायरस के कारण होती है, जो पहले लीवर कोशिकाओं में और फिर लाल रक्त कोशिकाओं में अपना दुष्प्रभाव कई गुना बढ़ाती जाती है।
वायरस के पोषण के स्त्रोत को खत्म कर देगी दवा- शोध
अमेरिका स्थित रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, मनुष्यों को चार प्रकार के मलेरिया परजीवी संक्रमित करते हैं। इनमें प्लाज्मोडियम, फाल्सीपेरम, पी विवैक्स, ओवले और पी मलेरिया हैं। JNU में स्पेशल सेंटर फॉर मॉलीक्यूलर मेडिसिन की प्रोफेसर शैलजा सिंह के नेतृत्व में टीम ने एंटीट्यूमर एजेंट का परीक्षण किया और पाया कि इसने परजीवी के उस स्त्रोत को ही समाप्त कर दिया, जहां से वो पोषण पाता है और अंतत: इसकी मृत्यु हो गई।
आर्टेमिसिनिन आधारित कीमोथेरेपी के बाद भी मुश्किल होता है बचाना
इस खोज से जुड़े नतीजे अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी के इंपैक्ट जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि व्यावहारिक रूप से सभी मलेरिया रोधी दवाओं के प्रतिरोध का विकास वर्तमान मलेरिया उन्मूलन और उन्मूलन प्रयासों के लिए एक चुनौती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मलेरिया के खिलाफ आर्टेमिसिनिन आधारित कीमोथेरेपी की सफलता के बावजूद कई बच्चों को अभी भी बचाना मुश्किल होता है और वो गंभीर मलेरिया से मर जाते हैं।
ज्ञात एंटी-ट्यूमर दवा का किया गया इस्तेमाल
ऐसे में मलेरिया के परजीवी को पोषण प्रदान करने वाले को ही टारगेट करने की थेरेपी ही मलेरिया परजीवियों को टारगेट करने वाली दवा का विकल्प हो सकती है। नई चिकित्सा का उद्देश्य परजीवी के पोषण को खत्म कर मलेरिया का इलाज करना है। टीम ने एक बयान में कहा, "हमने मलेरिया परजीवी के विकास और संचरण के लिए जरूरी लिपिड को टारगेट करने के लिए एक पहले से खोजी जा चुकी एंटी-ट्यूमर दवा का इस्तेमाल किया है।"