सऊदी अरब: तबलीगी जमात पर प्रतिबंध, समाज के लिए खतरा और आतंकवाद का दरवाजा बताया

सऊदी अरब ने इस्लामिक संगठन तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसे समाज के लिए खतरा बताते हुए सरकार ने कहा कि यह आतंकवाद का एक दरवाजा है। सरकार ने मस्जिदों को शुक्रवार की नमाज के दौरान लोगों को जमातियों से मिलने-जुलने को लेकर चेताने का निर्देश भी दिया है। सरकार ने मस्जिदों से तबलीगी जमात से समाज को क्या खतरे हैं, इसके बारे में लोगों को सूचित करने को भी कहा है।
मामले पर जारी किए गए अपने निर्देश में सऊदी अरब के इस्लामी मामलों के मंत्री डॉ अब्दुल्लातिफ अल अल-शेख ने कहा है कि जो मस्जिदें शुक्रवार की नमाज कराती हैं, उन्हें अगले शुक्रवार को उपदेश का समय लोगों को तबलीगी और दा'वाह समूह के खिलाफ चेतावनी जारी करने के लिए आवंटित करने का निर्देश दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इसमें इस संगठन की पथभ्रष्टता और खतरों के बारे में बताने वाला घोषणापत्र भी शामिल होना चाहिए।
निर्देश के अनुसार, तबलीगी जमात के खिलाफ आदेश में इसकी सबसे बड़ी गलतियों के बारे में बताना होगा। इसके अलावा इसे समाज के लिए खतरा घोषित करने का निर्देश भी दिया गया है। मस्जिदों को बयान जारी कर लोगों को ये बताने को भी कहा गया है कि सऊदी अरब में तबलीगी जमात और दा'वाह समूह की सदस्यता रखना प्रतिबंधित है। सऊदी सरकार ने अचानक से ये कदम क्यों उठाया है, अभी इसकी वजह साफ नहीं है।
तबलीगी जमात एक अंतरराष्ट्रीय सुन्नी इस्लामिक संगठन है जो मुस्लिमों को सुन्नी इस्लाम के शुद्ध रूप का पालन करने के लिए उत्साहित करता है। तबलीगी का मतलब 'अल्लाह की कही बातों का प्रचार' और जमात का अर्थ 'लोगों का समूह' है। इसकी शुरुआत आजादी से पहले 1926 में इस्लामी वि्दवान मौलाना मोहम्मद इलियास ने की थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। यह संगठन भारतीय उपमहाद्वीप में काफी प्रभावशाली है।
तबलीगी जमात कोरोना वायरस की शुरूआत में भारत में विवादों में रह चुकी है। महामारी की शुरूआत के समय जमात ने दिल्ली में निजामुद्दीन स्थित मरकज मस्जिद में एक बड़ा कार्यक्रम किया था जिसमें देश-विदेश के 1,400 लोग शामिल हुए थे। ये कार्यक्रम कोरोना संक्रमण का केंद्र बन गया था और इसमें शामिल हुए सैकड़ों लोगों को संक्रमित पाया गया था। मामले में आयोजकों के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया था, हालांकि कोर्ट ने ज्यादातर मामले खारिज कर दिए।