#NewsBytesExplainer: क्या है G-7 समूह, जिसके शिखर सम्मेलन में शामिल होने जापान पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी?
क्या है खबर?
19 मई से 21 मई तक जापान के हिरोशिमा में G-7 समूह के देशों का 49वां शिखर सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है।
इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई देशों के बड़े नेता शामिल हो रहे हैं। इस दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा संभव है।
आइए आज G-7 के इतिहास और इसकी अहमियत के बारे में जानते हैं।
g7
क्या है G-7?
G-7 यानी ग्रुप ऑफ सेवन, मतलब 7 देशों का समूह। ये दुनिया के 7 सबसे विकसित और अमीर देशों का समूह है।
वर्तमान में इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।
भारत इस समूह का हिस्सा नहीं है, लेकिन बतौर मेहमान देश के रूप में भारत को आमंत्रित किया गया है।
इससे पहले भी 9 बार बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और मोदी G-7 की बैठक में शामिल हो चुके हैं।
कैसे बना
कैसे बना था G-7?
G-7 समूह के बनने की शुरुआत 1973 में तेल संकट के दौरान हुई थी।
दरअसल, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अरब पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (OAPEC) देशों ने युद्ध में इजरायल का समर्थन करने वाले देशों के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे कई देशों में तेल संकट बढ़ गया था।
इससे निपटने के लिए पश्चिमी देशों ने एक समूह बनाया, जिसमें शुरुआत में 6 देश थे। 1976 में कनाडा के शामिल होने के बाद ये समूह G-7 बन गया।
उद्देश्य
G-7 के गठन का उद्देश्य क्या था?
मूल रूप से G-7 का गठन तेल संकट से निपटने के लिए किया गया था, लेकिन समय के साथ-साथ समूह के उद्देश्यों का दायरा बढ़ता गया।
वर्तमान में G-7 देशों के बीच अर्थव्यवस्था, राजनीति और आर्थिक नीति समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा होती है।
हर साल इस समूह का शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाता है, जिसमें भारत जैसे समूह के सदस्य न रहे विकासशील देशों को भी आमंत्रित किया जाता है।
काम
कैसे काम करता है G-?
हर साल G-7 का शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता सदस्य देश बारी-बारी से करते हैं। यह सम्मेलन 2 दिन तक चलता है।
अध्यक्ष देश सम्मेलन से पहले पूरे साल अलग-अलग बैठकें भी करते हैं। इनमें सदस्य देशों के मंत्री, अधिकारी, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।
सदस्य देशों के वित्त मंत्री 6 महीने में एक बार जरूर मिलते हैं। इस दौरान वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
ताकत
क्या है G-7 समूह की ताकत?
आंकड़ों के लिहाज से देखें तो G-7 समूह दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था के 43.4 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
ये समूह दुनिया की कुल आबादी के 11.1 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व भी करता है। इस लिहाज से G-7 को काफी मजबूत माना जाता है।
गरीब देशों की मदद और स्वास्थ्य संबंधी मामलों से निपटने के लिए G-7 समूह की तारीफ होती है। पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने में भी G-7 का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।
विरोध
G-7 का क्यों होता है विरोध?
G-7 समूह के देशों पर अपने हित साधने के आरोप लगते रहे हैं। भारत और चीन जैसे बड़े देशों को इसका सदस्य नहीं बनाना समूह देशों की मनमानि को दर्शाता है।
सदस्य देशों पर 'अमीर देशों का समूह' होने के आरोप भी लगते हैं, जो मनमानी से फैसले लेते हैं। 2014 में समूह से रूस को निकाले जाने पर किसी की राय नहीं ली गई थी।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप G-7 को 'पुराना पड़ चुका समूह' बता चुके हैं।
भारत
समूह की बैठकों में क्यों शामिल होता है भारत?
भारत के लिए ये समूह अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रखने का एक मंच है। सम्मेलन के दौरान अलग-अलग देशों के बीच बैठकें भी होती हैं। ऐसे में भारत के लिए ये अलग-अलग देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात का मौका भी होता है।
चीन के नजरिए से भी भारत के लिए ये समूह अहम है। बैठक के दौरान भारत, अमेरिका और जापान जैसे चीन को लेकर समान सोच वाले देश एक मंच पर आते हैं।