#NewsBytesExplainer: कैसे होता है फिल्मों में सेट का निर्माण, कौन करता है डिजाइन? जानिए सबकुछ
क्या है खबर?
बॉलीवुड हो या हॉलीवुड, हर इंडस्ट्री में एक फिल्म का निर्माण करने में कई लोगों का हाथ होता है। पर्दे पर महज कलाकार नजर आते हैं, लेकिन फिल्म को बनाने में पूरी टीम की मेहनत होती है।
फिल्म के निर्माण में सबसे ज्यादा जरूरी होता है एक अच्छे सेट का होना, जिसे पर्दे पर भव्य दिखाने के लिए करोड़ों रुपये भी खर्च किए जाते हैं।
आइए जानते हैं कौन होते हैं सेट डिजाइनर और सेट कैसे बनाया जाता है।
जानकारी
कौन होते हैं सेट डिजाइनर?
सेट डिजाइनर की जिम्मेदारी कहानी के अनुसार सेट को डिजाइन करना होता है। हर फिल्म में जिस भी सीन को दिखाया जाता है, उसमें सितारों के आसपास नजर आ रही चीजें क्या होंगी और उन्हें किस जगह रखा जाएगा, उसका फैसला डिजाइनर ही लेता है।
विस्तार
सबसे पहले होती है जगह की तलाश
फिल्म की शूटिंग कहां होनी है इसके लिए निर्देशक की पसंद के अनुसार सबसे पहले जगह की तलाश होती है।
फिल्म में दिखाए जाने वाले घर, महल या कोई कॉलेज ज्यादातर स्टूडियो में तैयार होते हैं।
इसे तैयार करने का काम सेट डिजाइनर का होता है, जो प्रोडक्शन डिजाइन विभाग में आता है।
कई बार अगर सेट कहानी के अनुसार मेल नहीं खाता तो असली लोकेशन पर जाकर शूटिंग होती है और कहानी के अनुसार वहां बदलाव किए जाते हैं।
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स्क्रिप्ट को ध्यान में रखकर बनाया जाता है सेट
फिल्म के सेट का निर्माण करने के लिए सबसे जरूरी है उसकी स्क्रिप्ट को ध्यान में रखना। स्क्रिप्ट में लिखी कहानी और किरदारों को ध्यान में रखकर एक ऐसी जगह बनाई जाती है, जो उस कहानी के साथ एकदम सटीक बैठे।
इसके लिए डिजाइनर को फिल्म से जुड़ी हर छोटी से छोटी चीज के बारे में शोध करना होता है ताकि वह हूबहू उस कल्पना की तरह उभरे जो कहानी पढ़कर सामने आती है।
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फिल्म की अवधि और जगह के आधार पर होता है निर्माण
सेट का निर्माण करने से पहले उस जगह का दौरा किया जाता है, जहां इसे बनाया जाना है।
सेट की आवश्यकता होने तक मौसम, मिट्टी और समय सीमा पर शोध किया जाता है ताकि फिल्म बनाने के दौरान कोई गड़बड़ न हो।
किसी फिल्म के लिए 3-6 महीने के लिए सेट चाहिए होता हो तो टीवी शो के लिए कभी-कभी 8-10 साल भी हो जाते हैं।
ऐसे में सेट को इन सभी बातों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है।
उदाहरण
ऐसे समझें
अगर किसी फिल्म की गोवा में बीच के पास शूटिंग होनी है तो ऐसा सेट बनाया जाएगा, जो तेज हवाओं और बारिश का सामना कर सके और साथ ही पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए।
अगर पानी के अंदर सेट बनाना है तो यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी ऐसा चीज का इस्तेमाल न किया जाए जो पर्यावरण और समुद्री जीवन के लिए खतरनाक हो इसलिए ज्यादातर ऐसे सेट बनाए जाते हैं जो कुछ महीनों बाद खुद घुल जाए।
विस्तार
क्यों जरूरी है अच्छा सेट होना?
प्रोडक्शन डिजाइन विभाग हर फिल्म में सबसे महत्वपूर्ण विभागों में से एक है। सेट डिजाइनर के साथ प्रोडक्शन डिजाइनर एक बेहतरीन सेट बनाने का प्रयास करते हैं। उनका उद्देश्य दर्शकों को ऐसा महसूस कराना होता है कि वे कहानी का हिस्सा हैं।
किसी भी फिल्म को देखते समय जितने जरूरी सितारे हैं, उतने ही जरूरी सेट भी हैं। सेट किसी सीन को बेहतर बना सकता है तो उसे कमजोर भी कर सकता है। ऐसे में अच्छा सेट होना जरूरी है।
सेट निर्माण
करोड़ों में बने इन फिल्मों के सेट
प्रभास की 'आदिपुरुष' का बजट VFX में बदलाव के बाद 600 करोड़ पहुंच गया है, जिसमें से करोड़ों रुपये सेट के निर्माण पर खर्च हुए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 'जोधा अकबर' के सेट पर मेकर्स ने 12 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसी तरह 'कलंक' पर 15 करोड़ तो 'देवदास' पर 12 करोड़ खर्च हुए।
संजय लीला भंसाली की 145 करोड़ों में बनी 'बाजीराव मस्तानी' के सेट को बनाने में ही 8 से 9 महीने का समय लग गया था।
परिचय
ये हैं भारत के कुछ बेहतरीन सेट डिजाइनर
साबू सिरिल भारत के सबसे महंगे प्रोडक्शन डिजाइनर हैं। उन्हें अपने करियर में 4 बार सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन डिजाइन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। वह 'बाहुबली: द बिगिनिंग' का भी हिस्सा थे।
नितिन चंद्रकांत देसाई भी बेहतरीन डिजाइनर हैं, जिन्हें भी 4 बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। उन्होंने 'देवदास', 'लगान', 'स्वदेस' सहित कई फिल्मों में काम किया है।
'गुरु', 'ओमकारा' और 'रंग दे बसंती' का हिस्सा रहे समीर चंदा को भी 4 बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।