#NewsBytesExplainer: हाइड्रोजन कारें क्या हैं और ये कैसे काम करती हैं?
पिछले कुछ सालों से सरकार और ऑटोमोबाइल कंपनियां इलेक्ट्रिक कारों पर जोर दे रही हैं। जल्द ही देश में अधिक संख्या में इलेक्ट्रिक कारें नजर आएंगी। हर ऑटोमोबाइल कंपनी या तो इलेक्ट्रिक कार ला चुकी है या फिर लाने की तैयारी में है। इसी बीच हाइड्रोजन से चलने वाली कार पर भी काम शुरू हो गया है। ये भी इलेक्ट्रिक पावरट्रेन के साथ आती हैं। अब सवाल उठता है कि हाइड्रोजन गाड़ियां होती क्या हैं और कैसे चलती हैं?
क्या होती हैं हाइड्रोजन कारें?
हाइड्रोजन कार में हाइड्रोजन का इस्तेमाल फ्यूल के रूप में होता है। अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने के लिए भी इसी फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की तरह इनमें भी बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर लगी होती है। हालांकि, इन्हे चार्ज नहीं किया जाता। ये हाइड्रोजन फ्यूल की मदद से पावर जनरेट करती हैं और चलती हैं। एक बार हाइड्रोजन फ्यूल खत्म होने पर इसे वापस भरवाया जा सकता है।
कैसे काम करती है हाइड्रोजन गाड़ियां?
हाइड्रोजन कारों में हाइड्रोजन से पावर जनरेट करने के लिए फ्यूल सेल की जरूरत पड़ती है, जो इलेक्ट्रिसिटी पैदा करते हैं। आसान भाषा में कहें तो ये फ्यूल सेल वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन और इसके ईंधन टैंक में भरे हाइड्रोजन के बीच केमिकल रिएक्शन के माध्यम से इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करते हैं, जिससे गाड़ी चलने लगती है। बता दें कि इसमें एक पावर कंट्रोल यूनिट भी लगा होता है, जो बची हुई इलेक्ट्रिसिटी को बैटरी में स्टोर करता है।
क्या महंगा होगा हाइड्रोजन फ्यूल?
रिपोर्ट्स की मानें तो हाइड्रोजन कार में प्रति किलोमीटर का खर्च तकरीबन 2 रूपये के आस-पास आता है। ऑटो सेक्टर के जानकारों का कहना है कि हाइड्रोजन का ट्रांसपोर्टेशन महंगा है। ऐसे में हाइड्रोजन फ्यूल की कीमतें भी अधिक होंगी। हालांकि, किसी भी हाइड्रोजन गाड़ी में हाइड्रोजन फ्यूल को भरवाने में 5 मिनट से भी कम का समय लगेगा। पेट्रोल या डीजल की तरह ही हाइड्रोजन को हाइड्रोजन पंप से भरवाया जा सकता है।
हाइड्रोजन फ्यूल के फायदे
जानकारी के लिए आपको बता दें कि हाइड्रोजन फ्यूल के कई फायदे हैं। हाइड्रोजन फ्यूल पर्यावरण के लिए बेहतर है और इस वजह से इसे ग्रीन फ्यूल भी कहा जाता है। यह पावरफुल फ्यूल है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी से ज्यादा पावर जनरेट करते है। इनसे लंबी दूरी की यात्रा तय की जा सकती है। हाइड्रोजन फ्यूल को बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जा सकता है। इसके लिए विशेष कौशल या तकनीकी की आवश्यकता नहीं होती।
हाइड्रोजन फ्यूल के नुकसान
हाइड्रोजन फ्यूल के कई नुकसान भी हैं। हाइड्रोजन एक ज्वलनशील गैस है। इस वजह से हाइड्रोजन का इस्तेमाल वाहनों आदि में करना अभी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। हाइड्रोजन फ्यूल का उत्पादन करना तो आसान है, लेकिन बड़े मात्रा में इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए इसमें अधिक लागत आने की उम्मीद है। इसके अलावा हाइड्रोजन फ्यूल को स्टोर करना, पेट्रोल या डीज़ल से कही ज्यादा मुश्किल है।
हाइड्रोजन गाड़ियों का क्या भविष्य है?
वर्तमान में हाइड्रोजन गाड़ियों का इस्तेमाल करना एक अच्छा विकल्प माना जा रहा है। इस समय हाइड्रोजन फ्यूल की कीमत करीब 30 रुपये प्रति लीटर है। इसकी मदद से साधारण डीजल या पेट्रोल कार के तुलना में अधिक दूरी तय की जा सकती है। हालांकि, एक हाइड्रोजन कार की कीमत आज के समय 50-60 लाख रुपये के आस-पास है, जो कि काफी अधिक है। इसलिए यह एक आम ग्राहक के बजट से भी बाहर है।
हाइड्रोजन गाड़ियों पर काम कर रही सरकार
टोयोटा और इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (ICAT) साथ मिलकर हाइड्रोजन आधारित एडवांस फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEV) के एक पायलट परियोजना पर काम कर रही हैं। इस परियोजना में भारतीय सड़कों और जलवायु परिस्थितियों के हिसाब से दुनिया के सबसे उन्नत FCEV टोयोटा मिराई पर अध्ययन किया जाएगा। पिछले साल ही नितिन गडकरी ने इसका उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य हाइड्रोजन FCEV तकनीक के बारे में जागरूकता फैलाना है।
इलेक्ट्रिक कार से कितनी बेहतर हैं हाइड्रोजन गाड़ियां
बता दें कि इलेक्ट्रिक कार में बड़े साइज की लीथियम आयन बैटरी लगी होती है, जो इलेक्ट्रिक मोटर को पावर देती है। इन्हे समय-समय पर चार्ज किया जाता है। हालांकि, हाइड्रोजन गाड़ियों के साथ ऐसा नहीं है। इसमें छोटी बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इसमें हाइड्रोजन फ्यूल टैंक भी होता है जिसमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगे होते हैं। इन्हे चार्ज करने की नहीं होती। ये हाइड्रोजन की मदद से पावर जनरेट करते हैं।
भारतीय बाजार में उपलब्ध हाइड्रोजन कार
पिछले साल ही टोयोटा की हाइड्रोजन कार मिराई सामने आई थी। इस गाड़ी नाम सिंगल टैंक में 1,359 किलोमीटर चलने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है। टोयोटा मिराई के पास EPA सर्टिफिकेट भी है, जिसके अनुसार यह कार फुल टैंक पर 650 किलोमीटर की माइलेज देती है। हालांकि, इस गाड़ी को अभी भारत में लॉन्च नहीं किया गया है। इसके अलावा रेनो, निसान और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां भी हाइड्रोजन गाड़ियां बना रही हैं।