#NewsBytesExplainer: मणिपुर में देखते ही गोली मारने के आदेश, जानें क्यों सुलग रहा है राज्य
क्या है खबर?
मणिपुर में बुधवार रात आदिवासियों के प्रदर्शन के बाद हिंसा भड़क उठी है। इसके बाद 5 दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं, 8 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है और देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए हैं।
हालात का जायजा लेने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से फोन पर बात की है।
समझते हैं मणिपुर में हिंसा की वजह क्या है।
बुधवार
राज्य में बुधवार को क्या हुआ?
राज्य में बुधवार को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) ने आदिवासी एकता मार्च बुलाया था। इस दौरान सैकड़ों की तादाद में आदिवासी इकट्ठे हुए और प्रदर्शन उग्र हो गया।
स्थिति बिगड़ती देख प्रशासन ने गैर-आदिवासी बहुल 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है।
पूरे राज्य में 5 दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। सरकार ने पुलिस और सुरक्षाबलों को प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं।
जानकारी
कहां-कहां लगाया गया है कर्फ्यू?
प्रशासन ने इंफाल पश्चिम, जिरिबाम, काकचिंग, थौबल, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, तेंगनोपाल, कांगपोकपी में कर्फ्यू लगाया है। 8 जिलों के स्थानीय प्रशासन ने इस संबंध में अलग-अलग आदेश जारी किए हैं।
तैनात
सेना और असम रायफल्स की तैनाती
हिंसा पर काबू पाने के लिए राज्य में भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवानों की तैनाती की गई है। प्रशासन ने करीब 4,000 लोगों को राहत शिविरों में भेजा है।
पूरे राज्य में सुरक्षाबल फ्लैग मार्च कर रहे हैं, वहीं रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की 5 कंपनियों को वायुसेना के विशेष विमान से एयरलिफ्ट कर इंफाल भेजा गया है।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 15 कंपनियों को तैयार रखा गया है।
अमित शाह
गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री से की बात
गृह मंत्री शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से फोन पर बात कर हिंसाग्रस्त इलाकों के हालात की जानकारी ली है।
मुख्यमंत्री ने उन्हें जमीनी हालात और शांति बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी है।
बीरेन सिंह ने आज सुबह एक वीडियो मैसेज जारी कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
शीर्ष महिला मुक्केबाज मैरी कॉम ने भी हिंसा की कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की हैं।
वजह
क्यों भड़की हिंसा?
दरअसल, हिंसा के पीछे की वजह गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग से जुड़ा है। मैतेई समुदाय खुद के लिए ST दर्जे की मांग कर रहा है। इसके लिए समुदाय ने मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
आदिवासी समुदाय इस मांग का विरोध कर रहा है। इसी के चलते आदिवासी समुदाय ने बुधवार को मार्च का आह्वान किया था, जिसमें हिंसा भड़क उठी।
मांग
कई साल से ST दर्जे की मांग कर रहा है मैतेई समुदाय
मणिपुर में करीब 55 प्रतिशत आबादी मैतेई समुदाय की है।
राज्य के कानून के मुताबिक, इस समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है। इस वजह से ये लोग मणिपुर घाटी के आसपास ही रहते हैं।
समुदाय का कहना है कि बांग्लादेश और म्यांमार के लोग बड़ी संख्या में लोग अवैध तरीक से राज्य में आ गए हैं, इसलिए इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
विरोध
मैतेई समुदाय की मांग का विरोध क्यों कर रहा है आदिवासी समुदाय?
आदिवासी समुदाय को डर है कि अगर मैतेई समुदाय को ST वर्ग का दर्जा मिला तो वे उनकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे। इसी वजह से इस मांग का विरोध किया जा रहा है।
ATSUM ने कल मार्च से पहले कहा था, "राज्य के जनप्रतिनिधि खुले तौर पर मैतेई समुदाय की मांग का समर्थन कर रहे हैं। आदिवासी हितों की सामूहिक रक्षा करने के लिए उचित उपाय किए जाने की जरूरत है।"
जानकारी
हाई कोर्ट ने मांग पर विचार करने का दिया था निर्देश
मणिपुर हाई कोर्ट ने मैतेई समुदाय की मांग पर राज्य सरकार को विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार को मैतेई समुदाय की मांग पर विचार कर 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा था।
स्थिति
मणिपुर में आबादी की सामाजिक स्थिति
मणिपुर में मुख्य रूप से तीन समुदाय रहते हैं- मैतेई, नागा और कुकी। इनमें से नागा और कुकी को आदिवासी का दर्जा मिला है और वे राज्य के पहाड़ी इलाकों में रह सकते हैं।
मैतेई गैर-आदिवासी समुदाय है और ये केवल मणिपुर घाटी में बस सकते हैं। मैतेई लोगों का कहना है कि केवल नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का नहीं, बल्कि जमीन, संस्कृति और पहचान का मसला है।