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    'फाइव आइज' संगठन कैसे काम करता है और निज्जर मामले को लेकर क्यों चर्चा में है?
    निज्जर हत्या मामले में फाइव आइज संगठन खूब चर्चा में है

    'फाइव आइज' संगठन कैसे काम करता है और निज्जर मामले को लेकर क्यों चर्चा में है?

    लेखन आबिद खान
    Oct 17, 2024
    12:43 pm

    क्या है खबर?

    खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

    कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों के शामिल होने की बात कही है। इस मामले पर ट्रूडो ने फाइव आइज नामक संगठन से मदद मांगी है निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों की कथित संलिप्तता की जानकारी भी संगठन के साथ साझा की है।

    आइए इस संगठन के बारे में जानते हैं।

    फाइव आइज संगठन

    क्या है फाइव आइज संगठन?

    फाइव आइज 5 देशों के बीच एक गठबंधन है, जिसका मकसद आपस में एक-दूसरे के साथ खुफिया जानकारियां साझा करना हैं। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा शामिल हैं।

    समझौते के तहत, ये देश एक-दूसरे से खुफिया, सिग्नल इंटेलीजेंस (SIGINT), सुरक्षा, भू-स्थानिक और रक्षा संबंधी गुप्त जानकारियां साझा करते हैं। इस संगठन को दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसियों का नेटवर्क कहा जाता है।

    इसका नेतृत्व अमेरिका करता है।

    इतिहास

    क्या है फाइव आइज का इतिहास?

    संगठन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के आसपास से मानी जाती है। तब अमेरिका और ब्रिटेन एक तरफ थे, जिन्हें एलाइड फोर्स कहा जाता था।

    1941 में इन दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों ने जानकारी साझा करना शुरू की। युद्ध खत्म होने के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा और 1946 में दोनों देशों ने UKUSA संधि कर ली।

    1948 में इस संगठन में कनाडा और 1956 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हो गए।

    कामकाज

    कैसे काम करता है संगठन?

    फाइव आइज देश अति-संवेदनशील स्टोनघोस्ट नेटवर्क के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जानकारी साझा करते हैं।

    इसके अलावा संगठन की इंटेलिजेंस ओवरसाइट एंड रिव्यू काउंसिल भी है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खुफिया और सुरक्षा महानिरीक्षक, कनाडा के संचार सुरक्षा प्रतिष्ठान आयुक्त कार्यालय और सुरक्षा और खुफिया समीक्षा समिति, न्यूजीलैंड के खुफिया वारंट आयुक्त और खुफिया और सुरक्षा महानिरीक्षक कार्यालय, ब्रिटेन के जांच शक्ति आयुक्त कार्यालय और अमेरिका के खुफिया समुदाय महानिरीक्षक कार्यालय शामिल हैं।

    चर्चा

    निज्जर मामले में क्यों चर्चा में है फाइव आइज? 

    प्रधानमंत्री ट्रूडो ने बताया है कि निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों की संलिप्तता के आरोपों से जुड़ी सारी जानकारी उन्होंने फाइव आईज के साथ साझा की थी।

    उन्होंने कहा था, "पिछली गर्मियों की शुरुआत से ही हमने अपने फाइव आईज भागीदारों के साथ मिलकर काम किया है, खास तौर पर अमेरिका के साथ, जहां पन्नू की हत्या के प्रयास में भारत के समान व्यवहार का सामना करना पड़ा है। हम अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे।"

    खुफिया जानकारी 

    अमेरिका ने दी थी कनाडा को खुफिया जानकारी

    सितंबर, 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, निज्जर की हत्या के बाद अमेरिकी जासूसी एजेंसियों ने कनाडा के साथ खुफिया जानकारी साझा की थी।

    इस आधार पर कनाडा ने भारतीय अधिकारियों की संचार माध्यमों से हुई बातचीत को इंटरसेप्ट किया और खुफिया जानकारी जुटाई।

    इसके बाद निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ होने का आरोप लगाया। तब प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भी स्वीकार किया था कि उन्हें फाइव आइज संगठन से खुफिया जानकारी मिली है।

    रूख

    विवाद पर संगठन के देशों का क्या रुख है?

    विवाद को लेकर अमेरिका भारत के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर है। अमेरिका ने भारत से कनाडा के आरोपों की जांच करने और मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है।

    ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

    न्यूजीलैंड के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने आरोपों के बारे में चिंता जताई है।

    ब्रिटेन ने कहा कि वो इस मामले पर कनाडा के संपर्क में है।

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