
ब्राजील में ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन के ट्रायल में शामिल शख्स की मौत
क्या है खबर?
ब्राजील में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी की कोरोना वायरस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में एक वालंटियर के मरने का मामला सामने आया है। जांचकर्ताओं से डाटा मिलने के बाद ब्राजील की राष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी एजेंसी (NHSA) ने बुधवार को ये जानकारी दी।
हालांकि वैक्सीन के ट्रायल को रोका नहीं गया है और ये चलता रहेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिस शख्स की मौत हुई, उसे वैक्सीन की खुराक नहीं दी गई थी।
बयान
सोमवार को मिली थी वालंटियर की मौत की जानकारी- NHSA
NHSA ने अपने बयान में कहा कि उसे सोमवार को वालंटियर की मौत की जानकारी मिली थी और एस्ट्राजेनेका की आंतरिक समिति ने ट्रायल को जारी रखने की सिफारिश की थी। इसके बाद एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय समिति ने भी डाटा की जांच की और ट्रायल जारी रखने की सिफारिश की।
वहीं एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ता ने गोपनीयता का हवाला देते हुए अधिका जानकारी देने से इनकार किया, हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे ट्रायल रोकना पड़े।
बयान
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा- स्वतंत्र समीक्षा के बाद जारी रखे जा रहे ट्रायल
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी अपने बयान में वालंटियर की मौत की एक स्वतंत्र समिति द्वारा समीक्षा की पुष्टि की है। इसमें लिखा है, "ब्राजील में इस मामले की कड़ी समीक्षा में क्लिनिकल ट्रायल में कोई समस्या नहीं पाई गई है और ब्राजीली रेगुलेटर के साथ-साथ एक स्वतंत्र समीक्षा में ट्रायल को जारी रखने की सिफारिश की गई है।"
बता दें कि ब्राजील में ये ट्रायल NHSA की निगरानी में हो रहे हैं।
रिपोर्ट
ब्राजीली अखबार ने कहा- वालंटियर को नहीं दी गई थी वैक्सीन की खुराक
ब्राजील के अखबार 'ओ ग्लोबो' ने अनाम सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि मरने वाला वालंटियर 28 वर्षीय फिजीशियन था जो रियो डि जेनेरियो में कोरोना वायरस मरीजों का इलाज करता था।
रिपोर्ट के अनुसार, वालंटियर उस समूह में था जिसे वैक्सीन की खुराक नहीं दी गई थी और उसकी कोविड-19 से मौत हो गई।
बता दें कि ट्रायल में आधे लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जाती है और आधे लोगों को अन्य कुछ दिया जाता है।
रुकावट
वालंटियर के बीमार पड़ने के बाद सितंबर में रोका गया था वैक्सीन का ट्रायल
बता दें कि इससे पहले सितंबर में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस कोरोना वायरस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को एक वालंटियर के बीमार पड़ने के बाद रोकना पड़ा था।
बाद में की गई समीक्षा में इस बीमारी का वैक्सीन से कोई संबंध नहीं पाया गया था जिसके बाद ब्रिटेन और भारत समेत अन्य कई देशों में इसके ट्रायल को दोबारा शुरू कर दिया गया था। हालांकि अमेरिका में इसका ट्रायल अभी भी रुका हुआ है।
स्थिति
अगले साल तक बाजार में आ सकती है वैक्सीन
कोरोना वायरस वैक्सीन की रेस में सबसे आगे चल रही ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन को चिपैंजी में कॉमल कोल्ड करने वाले एडिनोवायरस की मदद से बनाया गया है और शुरूआती ट्रायल्स में ये सुरक्षित साबित हो चुकी है। अभी भारत समेत तमाम देशों में इसका तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है।
नवंबर या दिसंबर में इन अंतिम चरण के ट्रायल्स का नतीजा आ सकता है और अगले साल की शुरूआत तक ये उपलब्ध हो सकती है।