जिस जिले में है करतारपुर साहिब, उसमें चल रहे आतंकी कैंप- खुफिया इनपुट
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवल जिले में आतंकी गतिविधियों का पता लगाया है। नरोवल वही जिला है, जहां पर करतारपुर साहिब गुरुद्वारा स्थित है। यह जानकारी करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन से एक सप्ताह पहले आई है। बता दें कि करतापुर कॉरिडोर के जरिए भारतीय श्रद्धालु करतारपुर साहिब के लिए जाएंगे। यह कॉरिडोर भारत के गुरुदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक साहिब को पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा को जोड़ता है।
नरोवल कैंप में ट्रेनिंग ले रहे हैं बड़ी मात्रा में आतंकी
TOI के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी है कि नरोवल, शकरगढ़ और मुरीदके में आतंकी ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं। इन कैंपों में बड़ी मात्रा में आतंकी रुके हुए हैं, जिन्हें यहां ट्रेनिंग दी जा रही है। पंजाब के सीमाई इलाकों की सुरक्षा समीक्षा करने के लिए हुई सभी शीर्ष सुरक्षा एजेंसियों की बैठक में यह मामला सामने आया था। इन एजेंसियों ने चिंता जताई कि करतारपुर साहिब के जरिए आतंकी संगठन भारत-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं।
भारतीय सीमा में आ रहे पाकिस्तानी मोबाइल नेटवर्क
खुफिया एजेंसियां इस बात को लेकर भी चिंतित है कि पाकिस्तान के मोबाइल नेटवर्क भारतीय सीमा के तीन-चार किलोमीटर अंदर तक सिग्नल पकड़ रहे हैं। एजेंसियों को डर है कि पाकिस्तानी सिम की मदद से ड्रग तस्कर या दूसरे देश विरोधी तत्व इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। सीमा सुरक्षा में लगी एक एजेंसी ने पंजाब पुलिस से राज्य में पाकिस्तान सिम रखने और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
9 नवंबर को होगा करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन
आगामी 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया जाएगा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की तरफ से और इमरान खान पाकिस्तान की तरफ से इसका उद्घाटन करेंगे। उसी दिन 575 श्रद्धालुओं का पहला जत्था करतारपुर साहिब जाएगा। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस जत्थे का नेतृत्व करेंगे, वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, हरदीप पुरी, हरसिमरत कौर और पंजाब के कई सांसद और विधायक भी इसका हिस्सा होंगे। इससे अगले दिन यह कॉरिडोर आम लोगों के खुल जाएगा।
रोजाना 5,000 श्रद्धालु जा सकेंगे करतारपुर
दोनों देशों के बीच समझौते के तहत रोजाना 5,000 तीर्थयात्री इस कॉरिडोर के जरिए करतारपुर जा सकेंगे। इसके लिए वीजा और पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी। यह आजादी के बाद दोनों देशों के बीच बना पहला वीजा और पासपोर्ट फ्री कॉरिडोर है। हालांकि, पाकिस्तान 10 और 12 नवंबर को करतारपुर साहिब जाने वालों को छोड़कर हर श्रद्धालु से 20 डॉलर (लगभग 1,400) रुपये की फीस लेगा। यात्रा पर गए श्रद्धालु करतारपुर को छोड़कर किसी दूसरी जगह पर नहीं जा सकेंगे।
क्यों खास है करतारपुर साहिब?
सिख धर्म मानने वाले लोगों के लिए करतारपुर साहिब बेहद खास है। माना जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव 1522 में करतारपुर आए थे। उनकी जिंदगी के आखिरी 18 साल यहीं गुजरे थे। कहा जाता है कि करतारपुर में जिस जगह पर गुरु नानक देव की मौत हुई थी, वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था। पाकिस्तान में मौजूद करतारपुर भारत से महज चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।