पत्नी से जबरन बनाए गए शारीरिक संबंध नहीं है दुष्कर्म- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
क्या है खबर?
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक विवाहिता द्वारा अपने पति के खिलाफ जबरन यौन संबंध बनाने को लेकर दर्ज कराए गए दुष्कर्म के मामले में सुनवाई करते हुए चौंकाने वाला फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा कि कानूनी तौर पर विवाहित पत्नी के साथ बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध बनाए गए यौन संबंध बलात्कार या अपराध नहीं है। हालांकि, पत्नी की उम्र 15 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने पति को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया।
प्रकरण
पत्नी ने पति के खिलाफ दर्ज कराया था दुष्कर्म और प्रताड़ना का मामला
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बेमेतरा जिला निवासी एक महिला ने अपने पति पर उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन शारीरिक संबंध बनाने और दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था। शिकायत में कहा था कि साल 2017 में उसका विवाह हुआ था।
विवाह के बाद से ही पति और और परिवार वालों ने उसके साथ क्रूरता और दहेज प्रताड़ना शुरू कर दी। इतना ही नहीं पति ने उसके साथ कई बार जबरन अप्राकृतिक शारीरिक संबंध भी बनाए।
जानकारी
बेमेतरा के सेशन कोर्ट ने पति पर तय किए थे आरोप
महिला की शिकायत के आधार पर बेमेतरा सेशन कोर्ट ने पति पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498, 376, 377 व 34 के तहत आरोप तय किए थे। पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इन आरोपों को चुनौती दी थी।
सुनवाई
कोर्ट ने जबरन शारीरिक संबंधों को नहीं माना अपराध
मामले में जस्टिस एनके चंद्रवंशी की पीठ ने IPC की धारा 375 के अपवाद II पर भरोसा करते हुए कहा, "किसी पुरुष द्वारा अपनी 15 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन क्रिया करना बलात्कार या अपराध नहीं है।"
उन्होंने कहा, "इस मामले में शिकायतकर्ता आवेदक नंबर एक की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है। ऐसे पति किया यौन कृत्य दुष्कर्म का अपराध नहीं माना जाएगा, भले ही वह इच्छा के विरुद्ध हो।"
दोषी
कोर्ट ने पति को अपा्रकृतिक कृत्यों के लिए माना दोषी
पत्नी से किए अप्राकृतिक कृत्यों के संबंध में कोर्ट ने कहा कि उसे आवेदक के खिलाफ धारा 498-A/34 के तहत आरोप तय करने में कोई कमी नहीं लगती है।
अदालत ने धारा 377 के तहत आरोपों को बरकरार रखते हुए कहा कि किसी भी तरह से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध है। इसमें अपराधी का प्रमुख इरादा अप्राकृतिक यौन संतुष्टि प्राप्त करना है और बार-बार पीड़ित के यौन अंग में किसी वस्तु को सम्मिलित करन सुख प्राप्त करना होता है।
पुनरावृत्ति
मुंबई की कोर्ट ने भी दिया था ऐसा ही फैसला
बता दें कि गत 14 अगस्त को मुंबई की सेशन कोर्ट ने भी एक विवाहिता द्वारा पति के खिलाफ जबरन यौन संबंध बनाने के मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था।
कोर्ट ने कहा था कि वैवाहिक जीवन में पत्नी से जबरन बनाए गए यौन संबंध को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता है। आरोपी के महिला का पति होने के कारण यह मामला कानूनी जांच के लायक नहीं है। ऐसे में कोर्ट ने आरोपी पति को जमानत दे दी थी।
जानकारी
केरल हाई कोर्ट ने जबरन संबंधों को माना था तलाक का आधार
इस महीने की शुरुआत में केरल हाई कोर्ट ने जबरन शारीरिक संबंध बनाने के मामले में कहा था कि पति द्वारा बनाए गए जबरन संबंध तलाक का वैध आधार है। भले भारत में इसके लिए सजा नहीं दी जाती है, लेकिन यह क्ररूता मानी जाएगी।