मास्को में अफगानिस्तान पर कल होगी बैठक, दूसरी बार आमने-सामने होंगे भारत और तालिबान के प्रतिनिधि
रूस के आमंत्रण पर बुधवार को मास्को में अफगानिस्तान मसले पर होने वाली मास्को फॉर्मेट वार्ता में भारत का शामिल होना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव पद के दो अधिकारियों के इस बैठक में शामिल होने की संभावना है। खास बात यह है कि इस बैठक में तालिबान भी हिस्सा लेगा। ऐसे में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत और तालिबान के प्रतिदिन दूसरी बार आमने-सामने होंगे।
मास्को फॉर्मेट वार्ता में शामिल होंगे 10 देश
बता दें कि रूस द्वारा बुलाई गई इस बैठक में 10 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इनमें रूस के अलावा अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और भारत शामिल होंगे। अफगानिस्तान के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए साल 2017 में मॉस्को फॉर्मेट की शुरुआत की गई थी। साल 2018 में हुई इस बैठक में भारत की ओर से पूर्व राजनयिक शामिल हुए थे, लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद पहली बार भारत इसमें हिस्सा ले रहा है।
अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने पर रहेगा जोर
न्यूज 18 के अनुसार, बुधवार को होने वाली बैठक में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद वहां के सैन्य और राजनीतिक हालातों पर चर्चा की जाएगी। रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस बैठक में अफगानिस्तान में समावेशी सरकार को लेकर भी विस्तृत चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही अफगानिस्तान में मानवीय संकट से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कोशिशों पर भी विशेष जोर दिया जाएगा।
उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी करेंगे तालिबानी प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व
तीसरी मास्को फॉर्मेट वार्ता में तालिबानी प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता अंतरिम अफगान सरकार के उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी करेंगे। अफगानिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल काहर बाल्खी ने मंगलवार को ट्विटर पर इसकी जानकारी दी है। बाल्खी के बयान के अनुसार, तालिबान के प्रतिनिधि मास्को दौरे में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ साझा हितों के मुद्दों पर बातचीत करेंगे। इसमें सभी देशों से तालिबान का मान्यता देने पर जोर दिया जाएगा।
अमेरिका ने किया वार्ता में शामिल होने से इनकार
इधर, अमेरिका ने वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, 'हम आगे भी उस फोरम में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन हम इस सप्ताह हिस्सा लेने की स्थिति में नहीं हैं।'
कतर में हुई थी भारत और तालिबान की पहली वार्ता
बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत और तालिबान के प्रतिनिधियों ने गत 31 अगस्त को पहली बार कतर में वार्ता की थी। उस दौरान तालिबान के नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भारत के राजदूत दीपक मित्तल से मुलाकात की थी। उस दौरान भारत ने अफगानिस्तान में फंसे भारतीय की सकुशल वापसी और तालिबान की जमीन का भारत विरोधी और आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने पर जोर दिया था।