#NewsBytesExplainer: ताइवान के चुनाव में किसके बीच मुकाबला और इस पर दुनियाभर की नजरें क्यों?
ताइवान में 13 जनवरी को राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव होने हैं। इस छोटे से द्वीप के चुनावों पर अमेरिका और चीन से लेकर दुनियाभर के तमाम देशों की नजरें हैं। चुनावी नतीजे अमेरिका-चीन संबंधों के साथ-साथ वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित करेंगे। इस बार 3 पार्टियां मैदान में हैं, जिनमें से कुछ चीन पर नरम रवैया अपना रही हैं तो कुछ उसके खिलाफ मुखर हैं। आइए जानते हैं कि ताइवान चुनावों से जुड़ी हर बड़ी बात जानते हैं।
सबसे पहले जानिए कौन-सी पार्टियां मैदान में
ताइवान चुनाव में 3 मुख्य पार्टियां मैदान में हैं, सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP), कुओमितांग (KMT) और ताइवान पीपुल्स पार्टी (TPP)। DPP की ओर से वर्तमान उपराष्ट्रपति लाई चिंग-ते, KMT की ओर से न्यू ताइपे शहर के मेयर होउ यू-इह और TPP की ओर से ताइपे के पूर्व मेयर को वेन-जे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। वर्तमान में DPP 63 सीटों के साथ संसद में बहुमत में है और सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति साई इंग-वेन कर रही हैं।
ताइवान में किस तरह होते हैं चुनाव?
चुनावों में करीब 1.95 करोड़ मतदाता सुबह 8 से शाम 4 बजे तक मतदान करेंगे। मतदान वाले दिन ही वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी। मतदाताओं को 3 बार मतदान करना होगा। पहला राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के लिए, दूसरा जिले के स्थानीय उम्मीदवार के लिए और तीसरा पार्टी के लिए। ताइवान में 20 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ही मतदान का अधिकार है। यहां इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के बजाय मतपत्र पर मतदान करना होता है।
कौन हैं DPP के उम्मीदवार लाई चिंग-ते?
लाई एक डॉक्टर हैं, जो ताइवान के उपराष्ट्रपति भी हैं। वे ताइवान की स्वतंत्रता पर अपने मुखर विचारों के लिए जाने जाते हैं। वे ताइवान पहचान के समर्थक हैं और चीन के साथ एकीकरण के मुखर विरोधी रहे हैं। लाई को अमेरिका के खेमे का माना जाता है। इसी वजह से चीन भी उन्हें 'कट्टर अलगाववादी' कहता है। लाई का कहना है कि केवल ताइवान के लोग ही अपना भविष्य तय कर सकते हैं।
उदारवादी नेता के तौर पर जाने जाते हैं होउ यू-इह
KMT की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होउ की छवि उदारवादी नेता की रही है और वे चीन के साथ मजबूत संबंधों की वकालत करते हैं। उन्होंने 1980 के दशक में एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपना पेशेवर जीवन शुरू किया था और काफी देरी से राजनीति में कदम रखा। होउ ने जॉ शॉ-कोंग को अपना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है, जो ताइवान के चीन में विलय के समर्थक रहे हैं।
सर्जन रह चुके हैं वेन-जे
TPP के उम्मीदवार वेन-जे सर्जन रह चुके हैं। उन्होंने 2014 में राजधानी ताइपे के मेयर पद का चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था। उन्होंने जनता को एक तीसरा विकल्प देने के उद्देश्य से 2019 में TPP की स्थापना की थी। चीन को लेकर वेन-जे का रुख स्पष्ट नहीं है। बीते कुछ समय से वे KMT के नजदीक आए हैं। उन्होंने KMT के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत भी की थी, जो सफल नहीं हो सकी।
क्या है ताइवान और चीन का इतिहास?
दरअसल, दूसरे विश्वयुद्ध के बाद चीन पर कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा हो गया और सत्ताधारी नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग) की हार हुई। इसके बाद कुओमिंताग के नेता और समर्थक ताइवान चले गए। इसी कारण चीन ताइवान को खुद से अलग हुआ एक प्रांत मानता है, वहीं ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है। दोनों देशों के बीच अक्सर युद्ध जैसी स्थिति बनती रहती है। चुनाव में उसका कट्टर विरोधी उम्मीदवार जीतने पर चीन हमला करने की भी सोच सकता है।
चुनावों पर क्यों है दुनियाभर की नजर?
भौगोलिक और व्यापारिक दृष्टि से ताइवान बेहद महत्वपूर्ण है। दुनिया के करीब आधे कंटेनर जहाज ताइवान जलडमरूमध्य से होकर ही गुजरते हैं। दुनिया के अधिकांश सेमीकंडक्टर भी ताइवान ही बनाता है। रणनीतिक लिहाज से देखा जाए तो चीन अगर ताइवान पर कब्जा कर लेता है तो इससे पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र उसके कब्जे में आ जाएगा। हालांकि, ऐसा करने पर उसका अमेरिका से सैन्य टकराव हो सकता है। इस वजह से नए राष्ट्रपति की नीतियों और रुख पर सबकी नजर है।