भारत ने UN में इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन क्यों किया, क्या उसका रुख बदला?
क्या है खबर?
इजरायल-हमास युद्ध में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में उस प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया, जिसमें फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायली बस्तियों की निंदा की गई थी।
इसके विपरीत भारत ने पहले UN में इजरायल के खिलाफ उस प्रस्ताव पर वोट नहीं किया था, जिसमें गाजा में युद्धविराम की बात कही गई थी।
आइए जानते हैं कि क्यों भारत ने इजरायल के खिलाफ वोट किया और इसके क्या मायने हैं।
प्रस्ताव
UN में क्या प्रस्ताव पेश किया गया?
9 नवंबर, 2023 को UN महासभा में 'पूर्वी जेरूसलम और सीरियाई गोलान समेत कब्जे वाले फलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायली बस्तियां' शीर्षक से प्रस्ताव पेश किया गया था।
ये प्रस्ताव फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायली बस्तियों की बसागत के खिलाफ लाया गया था, जिसके पक्ष में 145 और विरोध में 7 वोट पड़े।
सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए भारत समेत फ्रांस, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों ने भी इजरायल के खिलाफ वोट किया।
प्रस्ताव
क्या भारत के रुख में आया बदलाव?
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, UN में इजरायल पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का इजरायल के खिलाफ वोट करना कोई चौंकाने वाला नहीं है और भारत हमेशा द्विराष्ट्र समाधान का समर्थन करता आया है।
उनका तर्क है कि भारत की अरब के साझेदारों के साथ संतुलन की नीति भी पुरानी है और ये प्रस्ताव आतंकवाद के मुद्दे से भी अलग था।
वोट
भारत ने क्यों किया इजरायल के खिलाफ वोट?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायल के कब्जे को नागरिक अधिकारों का उल्लंघन मनाता है और उसने अपना पक्ष मजबूती के साथ रखा है।
अमेरिका ने इजरायल द्वारा फिलिस्तीनी क्षेत्र में कब्जे का समर्थन किया है, जबकि भारत की इस मुद्दे पर राय अलग है।
UN में प्रस्ताव पर हुई वोटिंग से साफ है कि अमेरिका मामले में अलग-थलग नजर आ रहा है और कनाडा को छोड़कर उसके अन्य सहयोगी देश दूसरा दृष्टिकोण रखते हैं।
रुख
क्या इजरायल के प्रति बदला है भारत का रुख?
हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अरब देशों के नेताओं ने फिलिस्तीनियों के पक्ष में खड़े होने की अपील की थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इजरायल-हमास युद्ध के बीच अरब देशों से भी फिलिस्तीन के समर्थन में वैश्विक मंच पर कोई मजबूत प्रतिक्रिया नहीं है।
उनका मानना है कि भारत के रुख से साफ है कि वह इस संघर्ष का समाधान द्विराष्ट्र के सिद्धांत में देखता है और वह इजरायल पर हुए हमले की भी निंदा करता आया है।
रुख
पहले क्यों इजरायल के साथ खड़ा था भारत?
इससे पहले भारत ने गाजा में युद्धविराम के प्रस्ताव से दूरी बना ली थी और इस पर वोटिंग में अनुपस्थित रहा था। तब इसे इजरायल के पक्ष में देखा गया था।
उस वक्त भारत ने कहा था कि इस प्रस्ताव में कहीं भी 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमास के आतंकवादी हमले का जिक्र नहीं था और भारत की आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति रही है। इसी कारण भारत ने प्रस्ताव के समर्थन में वोट नहीं दिया था।
अरब
न्यूजबाइट्स प्लस
इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में हमेशा फिलिस्तीन ही पिसता आया है। अरब देश उसके समर्थन का दावा तो करते हैं, लेकिन कोई भी ठोस कदम नहीं उठाते हैं। इस बार भी यही स्थिति है।
अरब देशों ने इजरायल के गाजा पट्टी पर लगातार हमलों की निंदा तो की है, लेकिन अभी तक इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
इन देशों में फिलिस्तीन के समर्थन में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन सरकारों का रुख कायम है।