चांद के करीब पहुंचा चंद्रयान-2, आज ऑर्बिटर से अलग होगा लैंडर
चंद्रमा की सतह पर उतरने की यात्रा पर निकले चंद्रयान-2 के लिए आज का दिन बेहद अहम है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का स्पेसक्राफ्ट सोमवार को चांद की सतह पर उतरने वाले विक्रम लैंडर को रिलीज करेगा। यह पूरी प्रक्रिया दोपहर 12.45 मिनट से 1.45 मिनट के बीच पूरी होगी। ISRO ने बताया कि रविवार को चंद्रयान-2 के चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में प्रवेश करने के बाद लैंडर और रोवर को अलग करने का फैसला लिया गया।
एक सेकंड में पूरी होगी प्रक्रिया
ISRO चेयरमैन के सिवन ने बताया कि 2 सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर का सेपरेशन काफी तेजी से होगा। यह उतनी तेज गति से होगा, जितनी गति से कोई सैटेलाइन लॉन्चर रॉकेट से अलग होता है। इंटिग्रेटेड स्पेसक्राफ्ट को अलग-अलग करने के लिए ISRO वैज्ञानिक कमांड देंगे जिसके बाद ऑनबोर्ड सिस्टम इसे एग्जिक्यूट करेगा। ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा और लैंडर चांद की सतह की तरफ बढ़ेगा।
ऐसी पूरी होगी प्रक्रिया
चंद्रयान-2 में एक आर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल है। इनमें से ऑर्बिटर चांद के चारों ओर चक्कर लगायेगा, वहीं लैंडर विक्रम चांद की सतह पर लैंड करेगा। इसके लैंड होने के बाद इसमें से रोवर निकलकर चांद की सतह पर प्रयोग करेगा। ऑर्बिटर में लगे फ्यूल एक्सटेंशन में लैंडर रखा गया है। यह क्लैंप और बोल्ट से स्प्रिंग के जरिए बांधा गया है। कमांड के जरिए स्प्रिंग को काट दिया जाएगा और लैंडर अलग हो जाएगा।
7 सितंबर को चंद्रमा पर उतरेगा लैंडर
7 सितंबर का दिन भारत के अंतरिक्ष इतिहास के लिए बेहद खास होने वाला है। इस दिन विक्रम चांद की सतह पर लैंड करेगा। इसके 4 घंटे बाद इससे रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा। यह चंद्रमा की सतह पर 14 दिनों में कुल 500 मीटर की दूरी तय करेगा। चांद पर लैंडिंग के साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चांद पर उतरने का भारत का यह पहला प्रयास है।
22 जुलाई को लॉन्च हुआ था चंद्रयान-2
ISRO ने 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इससे पहले चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को लॉन्च होना था, लेकिन तकनीमी खामी के कारण इसकी लॉन्चिंग को रोक लिया गया था। दरअसल, रॉकेट इसके ऊपरी हिस्से में लगे क्रायोजेनिक इंजन में कुछ खामी आ गई थी, जिसे बाद में दूर किया गया। ISRO प्रमुख सिवन ने इसे चंद्रमा की तरफ भारत के ऐतिहासिक सफर की शुरुआत बताया था।
सफल साबित हुआ था चंद्रयान-1
इससे पहले भारत ने 22 अक्टूबर, 2008 को अपना चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया था, जिसमें केवल एक ऑर्बिटर शामिल था। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की कक्षा के 3400 से ज्यादा चक्कर लगाए और उसकी सतह की सैकड़ों तस्वीरें लीं। हालांकि ईंधन की कमी के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका और 29 अगस्त 2009 को चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया, लेकिन संपर्क टूटने से पहले चंद्रयान-1 अपना 95 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर चुका था।