क्या 1921 में बनी वैक्सीन कोरोना वायरस से होने वाली मौतें रोक सकती है?
क्या लगभग 100 साल पहले आई वैक्सीन से कोरोना वायरस महामारी का इलाज हो सकता है? नई वैक्सीन की खोज के साथ-साथ वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश में भी जुटे हुए हैं। दरअसल, यूनाइटेड किंगडम (UK) के वैज्ञानिकों ने 1921 में विकसित की गई बैसिलस कैलमेट गुएरिन (BCG) वैक्सीन के नए ट्रायल शुरू किए हैं। वैज्ञानिक देखना चाहते हैं कि क्या यह वैक्सीन कोरोना वायरस से लोगों की जान बचाने में मदद कर सकती है।
कई संक्रमणों के खिलाफ प्रभावी है BCG
BCG वैक्सीन को ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) की रोकथाम के लिए तैयार किया गया था, लेकिन ऐसे भी सबूत मिले हैं कि यह दूसरे संक्रमण के खिलाफ भी प्रभावी साबित हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर द्वारा किये जाने वाले इस ट्रायल में लगभग 1,000 लोग भाग लेंगे। UK में पहले बचपन में लाखों लोगों को यह वैक्सीन लगाई थी, लेकिन अब समझा जा रहा है कि संक्रमण से बचाव के लिए उन्हें दोबारा वैक्सीन देने की जरूरत है।
अलग-अलग देशों में लगभग 10,000 लोगों पर होगा ट्रायल
UK में होने वाला ट्रायल अंतरराष्ट्रीय ब्रेस-स्टडी का हिस्सा है। ऐसे ही ट्रायल ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, स्पेन और ब्राजील में हो रहे हैं। इन सभी में लगभग 10,000 लोग हिस्सा लेने वाले हैं। इनमें मुख्यतौर पर स्वास्थ्यकर्मियों पर ध्यान दिया जाएगा क्योंकि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ये अग्रिम मोर्चे पर तैनात हैं। साथ ही इनकी मदद से शोधकर्ता वैक्सीन के असर को भी जल्द देख पाएंगे। गौरतलब है कि अभी तक कोरोना की सफल वैक्सीन उपलब्ध नहीं हुई है।
महामारी के खिलाफ अहम हथियार है BCG
मेडिकल जर्नल द लैंसेट में छपे एक आर्टिकल के अनुसार, BCG को किसी बीमारी की वैक्सीन तैयार होने से पहले की खाली जगह को भरने के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह कोरोना वायरस और आगामी महामारियों के खिलाफ लड़ाई में एक अहम हथियार साबित हो सकती है। हालांकि, इसे लंबी अवधि के समाधान के तौर पर नहीं देखा जा सकता। इस आर्टिकल के लेखकों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस भी शामिल हैं।
"कोरोना की चपेट में आने के बाद हालत बिगड़ने से बचा सकती है BCG"
एक्सेटर के एक डॉक्टर सैम हिल्टन भी इस ट्रायल में हिस्सा ले रहे हैं। डॉक्टर होने के नाते उनके संक्रमण की चपेट में आने की आशंका अधिक है। बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि BCG के बारे में कहा जाता है कि यह कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के बाद आपकी हालत खराब होने से बचा सकती है। वो इसे खुद के बचाव के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं।
भारत में 1962 से अनिवार्य है BCG
BCG वैक्सीन को आम तौर पर जन्म के समय बच्चे को लगाया जाता है और ये टीबी के संक्रमण से बचाती है। लगभग एक सदी पुरानी BCG वैक्सीन को लेकर सभी देशों के अलग-अलग कार्यक्रम है। जहां कई देशों में सभी बच्चों को ये लगाई जाती है, वहीं कई देशों में इसे टीबी का संक्रमण कम होने के बाद बंद कर दिया गया है। कई देशों में इसका प्रयोग स्वैच्छिक है। भारत में 1962 से BCG वैक्सीन लगवाना अनिवार्य है।
महामारी की शुरूआत में देखने को मिला संक्रमण और BCG वैक्सीन के बीच संबंध
कोरोना वायरस महामारी की शुरूआत में ये पाया गया था कि जिन देशों में BCG वैक्सीन लंबे समय से अनिवार्य है, वहां संक्रमण और मृत्यु दर कम रही। वहीं जिन देशों में ये अनिवार्य नहीं है, वहां अधिक संक्रमण फैला और अधिक लोगों की मौत हुई। इन दोनों के बीच संबंध स्थापित करने के लिए तभी से कई शोध चल रहे हैं और उसके बाद हुए कई अध्ययनों में इसकी पुष्टि भी हुई है।
कोरोना वायरस की वैक्सीन कब तक आ सकती है?
इस सवाल का पुख्ता जवाब इस समय काफी मुश्किल है। दुनियाभर में 10 संभावित वैक्सीन इंसानी ट्रायल के अंतिम चरण में पहुंच चुकी है और अगले कुछ महीनों में इन्हें हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि अगले साल जनवरी से कोरोना वैक्सीन की डिलीवरी शुरू हो जाएगी। हालांकि, सभी विशेषज्ञ इस पर एकमत नहीं है। फिर भी अगले कुछ महीनों में वैक्सीन के उपलब्ध होने की उम्मीद है।
दुनियाभर में 3.71 करोड़ लोग संक्रमित हुए
वैक्सीन और प्रभावी इलाज के लंबे होते इंतजार के बीच दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, पूरे विश्व में अब तक लगभग 3.71 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 10.71 लाख लोगों की मौत हुई है। सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका में 77.16 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और लगभग 2.14 लाख लोगों की मौत हुई है। भारत में 70 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं।