कोरोना वैक्सीन आने के बाद भी लोगों को इसकी खुराक देने में क्या चुनौतियां आएंगी?
क्या है खबर?
कई संभावित वैक्सीन्स के ट्रायल के अंतिम चरणों में पहुंचने के बाद उम्मीद बंधी है कि दुनिया को अगले कुछ महीनों में कोरोना वायरस से छुटकारा मिल सकता है।
अब कई देशों ने वैक्सीन की उम्मीद में उसके वितरण की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
इन तरीकों से भले ही वैक्सीन की आपूर्ति संबंधी बाधाओं को पार कर लिया जाएगा, लेकिन फिर भी कई ऐसी चुनौतियां होंगी, जो वैक्सीन बनने के बाद भी सामने आती रहेंगी।
सुरक्षित ट्रायल
सिर्फ वैक्सीन बनाने से मुश्किल है सुरक्षित वैक्सीन बनाना
जैसा विशेषज्ञ बार-बार कह रहे हैं कि देशों को तेजी से वैक्सीन बनाने की जगह सुरक्षित वैक्सीन तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए।
उनका कहना है कि ट्रायल के सभी चरण पूरे होने के बाद ही वैक्सीन को हरी झंडी मिलनी चाहिए।
राजनीतिक फायदे या जल्दबाजी में लिए गए किसी भी फैसले के कारण लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो सकता है। इतिहास में इसके कई उदाहरण भी मौजूद हैं।
एंटी-वैक्सर
वैक्सीन के विरोध में मुखर होते स्वर
जैसे कुछ लोग वैक्सीन से उम्मीद लगाए बैठे हैं और इसकी खुराक लेने के इच्छुक हैं, वैसे ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खुराक लेने से इनकार कर देंगे।
यह ठीक वैसे ही होगा जैसे कुछ लोग नियमों के बावजूद मास्क नहीं लगा रहे और दो गज की दूरी का पालन नहीं कर रहे।
कुछ ही महीनों में वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है, लेकिन इसका विरोध करने वाले लोग पूरे काम पर पानी फेर सकते हैं।
विरोध
भारत में भी बढ़ रहा है वैक्सीन का विरोध
बीते दिनों हुए एक सर्वे में सामने आया था कि अमेरिका में 35 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो मुफ्त होने पर भी वैक्सीन की खुराक नहीं लेंगे।
भारत में भी वैक्सीन के विरोध में स्वर तेज होने लगे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग इसे लेकर अपनी आवाज मुखर कर रहे हैं।
फिलहाल यह भले ही बहुत छोटे स्तर पर है, लेकिन यह साफ है कि वैक्सीन को लेकर लोगों की एक राय नहीं है।
क्या आप जानते हैं?
लोग वैक्सीन का विरोध क्यों करते हैं?
वैक्सीन का विरोध करने वालों के पास इसके कई कारण है। इनमें से सेहत के लिए खतरा होने से लेकर धार्मिक वजहें भी शामिल हैं। इस बारे में आप यहां टैप कर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
चुनौती
लोग वैक्सीन लेने से इनकार कर देंगे तो क्या होगा?
पश्चिमी देशों में वैक्सीन का विरोध करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
अनुमान है कि लगभग 50 प्रतिशत लोग वैक्सीन के प्रति नकारात्मक राय रखते हैं। बहुत लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पहले भी वैक्सीन लेने से इनकार किया है और अब भी कर सकते हैं।
इससे यह होगा कि कई लोग बिना वैक्सीन के रह जाएंगे, जिस वजह से उनके भविष्य में महामारी से संक्रमित होने की आशंका रहेगी।
जागरूकता की कमी
भारत में क्या चुनौतिया आएंगी?
वैक्सीन के सबसे बड़े उत्पादकों में शामिल होने के बाद भी भारत वैक्सीनेशन के मामले में काफी पीछे है।
भारत में व्यस्क वैक्सीनेशन की दर और जागरूकता कम है। ऐसे कारक महामारी के प्रकोप को और गंभीर बना सकते हैं। इसके अलावा वैक्सीन के विरोध में उठने वाली आवाजें भी राह में रोड़ा डाल सकती हैं।
अगर बड़ी संख्या में लोग वैक्सीन लेने से इनकार करते हैं तो यह उसके लक्ष्य के पूरी तरह खिलाफ होगा।
क्या आप जानते हैं?
ऐसी स्थिति में क्या किया जा सकता है?
अगर ज्यादा लोग वैक्सीन लेने से इनकार करते हैं तो सरकारों को इसे अनिवार्य करने का नियम बनाना होगा। कई देशों में बच्चों के लिए वैक्सीनेशन पहले से अनिवार्य किया गया है।
चुनौती
दूसरी के इंतजार में पहली वैक्सीन नहीं लेंगे कई लोग
कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो उपलब्ध होने पर सुरक्षा चिंताओं के चलते पहली वैक्सीन नहीं लेंगे।
इन लोगों का मानना है कि उपलब्ध होते ही पहली वैक्सीन की खुराक लेने से ज्यादा फायदेमंद सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन का इंतजार करना है।
ये सब वो चुनौतियां हैं जो लोगों को वैक्सीन की खुराक देने से पहले आएंगी। इससे पहले भी इसकी आपूर्ति और लॉजिस्टिक की अलग चुनौतिया हैं। उनके बारे में आप यहां टैप कर जान सकते हैं।