#NewsBytesExplainer: पाकिस्तान पर क्यों भड़के हुए हैं बलूच और राजधानी इस्लामाबाद को क्यों घेरा?
क्या है खबर?
पाकिस्तान में बलूचों का विरोध-प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। पाकिस्तान सरकार की क्रूरता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हजारों बलूच 1,600 किलोमीटर का रास्ता तय करके राजधानी इस्लामाबाद तक पहुंच गए हैं।
हालांकि, सुरक्षाबलों ने इन प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद के बाहर ही रोक दिया और उन पर जमकर लाठियां बरसाईं।
आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और बलूचिस्तान के लोग प्रदर्शन क्यों रहे हैं।
विरोध
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं बलूच?
पाकिस्तानी सरकार के अत्याचार का सामना करने वाले बलूचिस्तान प्रांत में विरोध-प्रदर्शन, धरना और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है।
मौजूदा प्रदर्शन 24 वर्षीय बलूच युवक मोला बख्श की पुलिस हिरासत में मौत के बाद शुरू हुआ है। आतंकवाद निरोधक पुलिस विस्फोटक बरामद होने के आरोप में उसे 29 अक्टूबर को उसके घर से उठा ले गई थी।
22 नवंबर को हिरासत में ही उसकी गोली लगने से मौत हो गई, जिसके बाद से प्रदर्शन जारी है।
हत्या
बख्श की मौत के बारे में क्या-क्या पता है?
मोला एक लोक संगीत परिवार के सदस्य थे और टेलर थे। उन्हें 22 नवंबर को आतंकवाद विरोधी अदालत में पेश किया गया था, जिसने आगे की जांच के लिए उन्हें अतिरिक्त 10 दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया।
हालांकि, 22 और 23 नवंबर की दरम्यानी रात में ही मोला की हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने कहा कि उग्रवादियों के साथ एक मुठभेड़ हुई थी और इसी में मोला भी मारा गया।
शव
शव को सड़क पर रख एक हफ्ते तक किया विरोध
मोला की हत्या से गुस्साए परिजनों और लोगों ने बलूचिस्तान में लगभग एक हफ्ते तक उसके शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया।
29 नवंबर को प्रशासन के दबाव में शव को दफनाया गया, लेकिन जब आतंकवाद निरोधक विभाग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो बलूचों का गुस्सा फिर से भड़क उठा और उन्होंने इस्लामाबाद का घेराव करने का निर्णय लिया।
इस विरोध-प्रदर्शन को भारी जनसमर्थन प्राप्त है और लोग आंदोलनकारियों का फूलों से स्वागत कर रहे हैं।
इस्लामाबाद
इस्लामाबाद पहुंचने पर क्या हुआ?
पाकिस्तान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद में प्रवेश करने से पहले ही रोक लिया। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की तेज बौछारें की गईं और खूब लाठियां बरसाईं।
इस दौरान पुलिस ने भारी संख्या में आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें अज्ञात स्थान पर ले गई।
कथित तौर पर अपमान, उत्पीड़न और यातना सहने के 26 घंटे बाद केवल महिलाओं और बच्चों को रिहा किया गया। महिलाओं ने अपने कड़े अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा किया।
निंदा
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर किसकी क्या प्रतिक्रिया?
बलूच यकजहती समिति ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा, "हम बलूच नरसंहार और न्यायेतर अपहरण के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखेंगे।"
बलूच मानवाधिकार परिषद ने इस्लामाबाद पुलिस और अंतरिम सरकार की "अमानवीय और क्रूर प्रतिक्रिया" पर गहरी चिंता व्यक्त की।
परिषद ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की और उन पर बलूच कार्यकर्ताओं को पीटने और गिरफ्तार करने के साथ-साथ मार्च में भाग लेने वाले बुजुर्ग पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
जानकारी
मीडिया कवरेज पर रोक
रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू मीडिया ने दबाव में आकर मार्च की कवरेज पर पूरी तरह रोक लगा दी है। फिर भी, इस अहिंसक आंदोलन ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है, जिससे पाकिस्तानी सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं।
कारण
प्रदर्शन की सबसे अहम बात क्या?
इस प्रदर्शन की सबसे खास बात महिलाओं द्वारा इसका नेतृत्व है। मोला की हत्या की जानकारी मिलने पर 23 नवंबर को ही बलूचिस्तान में ऐसी सैकड़ों महिलाएं सड़कों पर उतर आई थीं, जिनके पति, भाई और बेटे गायब हैं।
उनके ही नेतृत्व में ईरानी सीमा के पास दक्षिणी केच जिले से इस्लामाबाद तक मार्च हुई।
रूढ़िवादी परिवेश के बावजूद इतने बड़े स्तर पर महिलाओं का प्रदर्शन में शामिल होना और इसका नेतृत्व करना एक ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है।
प्रभाव
प्रदर्शनकारी क्या मांग कर रहे?
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि लोगों के गायब होने और गैर-न्यायिक हत्याओं को खत्म किया जाए। इसके अलावा बलूच युवाओं की न्यायेतर हत्याओं में शामिल लोगों की जवाबदेही तय की जाए।
द डिप्लोमैट की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं का इस प्रदर्शन का नेतृत्व करना सत्ता का मुकाबला करने और प्रांत में होने वाले अत्याचारों को उजागर करने में एक प्रभावी रणनीति साबित हुआ है।
न्यूजबाइट्स प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
बलूचिस्तान पर 1947 के दौर में कलात खान का शासन था और वह पाकिस्तान में विलय नहीं चाहते थे।
1948 में पाकिस्तान ने सैन्य और कूटनीति के संयोजन के साथ इस इलाके पर कब्जा कर लिया। तब मोहम्मद अली जिन्ना ने बलूचिस्तान को स्वायत्तता देने का वादा किया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अब बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक प्रांत है और पाकिस्तान इस इलाके में मानवधिकारों का गंभीर उल्लंघन करता है। 1948 से ही बलूचिस्तान में विद्रोही समहू सक्रिय हैं।