तेलंगाना: सोनिया गांधी की अहमियत और रेवंत रेड्डी के उनके साथ शपथ लेने पहुंचने के मायने
क्या है खबर?
अनुमुला रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में आयोजित एक भव्य समारोह में तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह नवगठित राज्य तेलंगाना में कांग्रेस के पहले मुख्यमंत्री बने हैं।
अपने शपथ ग्रहण के लिए रेड्डी फूल-मालाओं से सजी एक खुली जीप में आए और उनके बगल में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी खड़ी थीं।
आइए जानते हैं कि तेलंगाना में रेड्डी के शपथ ग्रहण में सोनिया की इस उपस्थिति के क्या मायने हैं।
अहमियत
तेलंगाना में क्या है सोनिया गांधी की अहमियत?
2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य का गठन हुआ था। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार थी।
सोनिया UPA की चेयरमैन थीं और उन्होंने राज्य के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थीं।
इसी कारण तेलंगाना में उन्हें 'सोनिया अम्मा' कहा जाता है। उन्हें राज्य के अधिकांश लोग राज्य के निर्माण के आंदोलन के पीछे एक प्रेरक शक्ति के रूप में देखते हैं।
भूमिका
तेलंगाना के निर्माण में सोनिया ने क्या भूमिका निभाई थी?
तेलंगाना के निर्माण के विधेयक को पारित कराने के लिए सोनिया ने अपनी कट्टर विरोधी भाजपा तक से बात की थी। इसके अलावा उन्होंने विधेयक को रोकने और अविश्वस प्रस्ताव लाने के लिए अपने 6 सांसदों को निष्कासित कर दिया था।
उनके इस दृढ़ निश्चय के कारण तेलंगाना का निर्माण हो सका और यही कारण है कि तेलंगाना के कई लोग भले ही कांग्रेस के समर्थक नहीं हों, लेकिन सोनिया के कट्टर समर्थक जरूर हैं।
योगदान
कांग्रेस की जीत में सोनिया का क्या योगदान रहा?
कांग्रेस ने हमेशा तेलंगाना में सोनिया के प्रभाव को भुनाने की कोशिश की है और वह कभी भी राज्य के निर्माण में उनके योगदान को याद दिलाने से परहेज नहीं करती।
इसी प्रभाव का असर है कि 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से बस तेलंगाना में ही सोनिया ने रैली की। यही नहीं, उन्होंने मतदान से पहले भावुक अपील जारी कर कांग्रेस को समर्थन देने को कहा था।
यकीनन, उनकी ये अपील कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुई।
मायने
रेवंत रेड्डी और सोनिया के साथ नजर आने के मायने?
रेवंत रेड्डी के सोनिया के साथ जीप में सवार होकर शपथ के लिए आने के 2 अहम राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
पहला, इसे रेड्डी को सोनिया के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है, जो कई अहम दावेदारों को मात देकर मुख्यमंत्री बने हैं। सोनिया का उनकी स्थिति को मजबूत करेगा।
दूसरा, पहले ही लोकप्रिय रेड्डी को सोनिया की लोकप्रियता से और फायदा हो सकता है, जिससे कांग्रेस राज्य में और मजबूत हो सकती है।
नतीजे
क्या रहे तेलंगाना चुनाव के नतीजे?
तेलंगाना चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की 119 सीटों में से 65 सीटें जीतककर राज्य गठन के बाद 10 साल से सत्ता पर काबिज भारत राष्ट्र समिति (BRS) को करारी शिकस्त दी है।
इस चुनाव में BRS राज्य के गठन में अपनी भूमिका और योगदान को भुनाने में विफल साबित हुई।
नतीजतन कांग्रेस को पहली बार यहां सत्ता में आने का मौका मिला और कर्नाटक के बाद दक्षिण भारत के दूसरे राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गई।