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    #NewsBytesExplainer: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय जासूसों के पकड़े जाने का मामला क्या है? 
    2020 में ऑस्ट्रेलिया ने 'भारतीय जासूसों' को देश से निकाल दिया था

    #NewsBytesExplainer: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय जासूसों के पकड़े जाने का मामला क्या है? 

    लेखन आबिद खान
    May 01, 2024
    11:40 am

    क्या है खबर?

    विदेश में लक्षित हत्याओं में भारतीय खुफिया अधिकारियों की भूमिका के आरोपों के बीच अब ऑस्ट्रेलिया में भी इसी तरह का मामला सामने आया है।

    खबर है कि ऑस्ट्रेलिया ने 2020 में कुछ भारतीयों को देश से निष्कासित कर दिया था, जिन पर जासूसी के आरोप लगे थे।

    ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का दावा है कि ये जासूस कथित तौर पर गोपनीय जानकारी चुराने की कोशिश करते पकड़े गए थे।

    आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।

    मामला

    क्या है मामला?

    ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (ABC) के मुताबिक, 2020 में ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठन (ASIO) ने भारतीयों द्वारा चलाए जा रहे कथित जासूसी रैकेट का भंडाफोड़ किया था।

    हालांकि, इस रैकेट में कितने लोग शामिल थे, इसकी सही संख्या अभी पता नहीं है।

    'द ऑस्ट्रेलियन'और 'द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड' ने कहा कि 2 भारतीय जासूसों को देश से निष्कासित किया गया था, जबकि ABC ने किसी संख्या का जिक्र नहीं किया है।

    आरोप

    भारतीयों पर क्या आरोप लगे थे?

    आरोप है कि ये लोग संवेदनशील रक्षा परियोजनाओं और हवाई अड्डे की सुरक्षा के साथ ऑस्ट्रेलिया के व्यापार संबंधों पर गोपनीय जानकारी चुराने की कोशिश कर रहे थे।

    इसके अलावा ये ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीयों की निगरानी कर रहे थे और कई राजनेताओं के साथ अच्छे संबंध विकसित करने की कोशिश कर रहे थे।

    ASIO के महानिदेशक माइक बर्गेस ने बताया था कि इन जासूसों ने एक अधिकारी से एक हवाई अड्डे पर सुरक्षा प्रोटोकॉल की जानकारी मांगी थी।

    ऑस्ट्रेलिया

    ऑस्ट्रेलिया ने और क्या-क्या आरोप लगाए?

    ASIO के कैनबरा मुख्यालय में मार्च, 2021 में दिए गए अपने भाषण में बर्गेस ने कहा था, "जासूसों ने वर्तमान और पूर्व राजनेताओं, एक विदेशी दूतावास और एक राज्य पुलिस सेवा के साथ संबंध विकसित किए थे। उन्होंने अपने देश के प्रवासी समुदाय पर नजर रखी। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के व्यापार संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने एक ऑस्ट्रेलियाई सरकारी सुरक्षा अधिकारी के साथ संबंध बनाए, जिसकी रक्षा प्रौद्योगिकी के संवेदनशील मामलों तक पहुंच थी।"

    भारत

    ऑस्ट्रेलिया ने सीधे तौर पर नहीं लिया था भारत का नाम 

    बर्गेस ने मामले में कभी भी भारत का नाम नहीं लिया। अमेरिका की यात्रा के दौरान जब बर्गेस से पूछा गया कि क्या भारत सरकार के विदेशी संचालन ने ASIO के लिए कोई चिंता पैदा की है तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया था।

    उन्होंने कहा था, "मैं किसी भी सरकार के किसी भी कार्य पर टिप्पणी नहीं करता। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि अगर हमने विदेशी हस्तक्षेप का मामला देखा तो हम उससे निपटेंगे।"

    अखबार

    वाशिंगटन पोस्ट ने भी दी थी जासूसों को निकाले जाने की जानकारी

    हाल ही में द वाशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि भारतीय खुफिया एजेंसी अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW) के 2 सदस्यों को ASIO के खुफिया रोधी ऑपरेशन के बाद 2020 में ऑस्ट्रेलिया से निष्कासित कर दिया गया था।

    ABC के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में जासूसी अभियानों में विशेष रूप से सक्रिय माने जाने वाले मित्र देशों में सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, इजरायल और भारत शामिल हैं।

    प्रतिक्रिया

    मामले पर भारत का क्या कहना है?

    ऑस्ट्रेलियाई से कथित भारतीय जासूसों के निकाले जाने को लेकर अभी तक भारत ने किसी भी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की है। खबर लिखे जाने तक इस मुद्दे पर न तो भारतीय विदेश मंत्रालय और न ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ कहा है।

    ABC ने भी खबर के संबंध में भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया था, लेकिन उच्चायोग ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

    साजिश

    पन्नू की हत्या की साजिश मामले में भी घिरा है भारत

    पिछले साल अमेरिका ने आरोप लगाया था कि भारतीय नागरिकों ने उसकी धरती पर एक सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या करने की साजिश रची थी, जिसे नाकाम कर दिया गया था।

    इस मामले में एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई भी जारी है।

    अब द वाशिंगटन पोस्ट ने इस साजिश में RAW के अधिकारी विक्रम यादव के शामिल होने की बात कही है, जिसे भारत ने खारिज किया है।

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