न्यूजीलैंड: पिज्जा कंपनी ने लागू की अनोखी योजना, मरने के बाद कर सकते हैं भुगतान
अगर हम किसी रेस्टोरेंट में कुछ भी खाने जाते हैं तो हमें तुरंत उसका भुगतान भी करना पड़ता है, लेकिन न्यूजीलैंड स्थित पिज्जा चेन ने अपने ग्राहकों के लिए इससे एकदम अलग योजना लागू की है। हेल पिज्जा नामक इस कंपनी ने 'पे आफ्टर यू डाइ' योजना लागू की है। इसका मतलब है कि अभी खरीदें और बाद में भुगतान करें। यह योजना न्यूजीलैंड के कई व्यवसायों द्वारा अपनाई गई है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
लकी ग्राहकों को मिलेगा योजना का लाभ
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेल पिज्जा की इस अनोखी योजना के तहत न्यूजीलैंड में 666 ग्राहक और ऑस्ट्रेलिया में 666 ग्राहकों को चुना जाएगा। ये ग्राहक अपने ऑर्डर किए गए पिज्जा के लिए तब तक भुगताम करने से बच सकते हैं, जब तक कि उनकी मृत्यु नहीं हो जाती। इसके लिए उन्हें अलग से लेट फीस या किसी तरह का ब्याज शुल्क देने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। यह समझौता कानूनी रूप से बाध्य रहेगा।
कंपनी के मालिक ने क्या कहा?
हेल पिज्जा के CEO बेन कमिंग ने बताया कि उन्होंने यह योजना भोजन जैसी आवश्यक चीजों को खरीदने के लिए योजनाओं का इस्तेमाल करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लागू की है। उन्होंने आगे कहा, "हमें लगता है कि लोग अपने भुगतानों को भर नहीं पा रहे हैं और न्यूजीलैंड में 10.5 प्रतिशत लोन अभी बकाया है, इसलिए पे आफ्टर यू डाइ योजना की पेशकश की जरूरत है।"
जांच में योजना को बताया 'नशे की लत'
उपभोक्ता न्यूजीलैंड की एक जांच के मुताबिक, पे आफ्टर यू डाइ योजना 'नशे की लत' के रूप में काम करती है और अगर कंपनी इसके लिए ब्याज जोड़ने लगेगी तो लोग तेजी से कर्ज में डूब सकते हैं। जांच में आगे बताया गया कि उन्हें लगता है कि कोई भी पिज्जा के लिए कर्ज में डूबना पसंद नहीं करेगा और ऐसा होना चाहिए कि लोग अपने वित्तीय साधनों में रहते हुए हेल पिज्जा खरीद सकें।
महंगाई की मार से परेशान हैं न्यूजीलैंड के नागरिक
जानकारी के मुताबिक, न्यूजीलैंड के नागरिक 2022 की तुलना में इस साल खाद्य कीमतों में 12.5 प्रतिशत अधिक लागत के कारण महंगाई से जूझ रहे हैं। बढ़ती लागत की वजह से फल, सब्जियों, अंडे और आलू के चिप्स आदि चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यह वृद्धि सितंबर, 1987 के बाद से सबसे ज्यादा है। आसमान छूती कीमतों की वजह से लोग बुनियादी चीजें इस्तेमाल कर सके, इसलिए इस योजना को अपनाना पड़ रहा है।