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टाइटैनिक के मलबे से 111 साल बाद मिला शार्क के दांत से बना हार
टाइटैनिक के मलबे में मिला शार्क के दांत से बना हार

टाइटैनिक के मलबे से 111 साल बाद मिला शार्क के दांत से बना हार

लेखन गौसिया
May 26, 2023
07:10 pm

क्या है खबर?

उत्तर अटलांटिक महासागर में डूबे टाइटैनिक जहाज के मलबे से 111 साल बाद एक हार बरामद किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्वेर्नसे स्थित मैगलन नामक फर्म ने एक स्कैनिंग प्रोजेक्ट के लिए 2 पनडुब्बियों की मदद से टाइटैनिक जहाज की 7 लाख तस्वीरें लीं और इनसे पूरी जगह का एक स्कैन बनाया। इसमें एक सोने का हार भी दिखा, जो शार्क के दांत से बनाया गया था।

हार

दुनिया की सबसे बड़ी शार्क का दांत है हार का मुख्य केंद्र

यह अंडरवाटर स्कैनिंग प्रोजेक्ट अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसके तहत ली गईं टाइटैनिक के मलबे की तस्वीरों में फर्नीचर और अन्य मलबे के साथ-साथ एक सोने का हार देखा गया है। इस हार का मुख्य केंद्र मेगाडॉन नामक शार्क का दांत है, जो विलुप्त हो चुकी अब तक की सबसे बड़ी शार्क है। तस्वीरों में यह दांत साफ दिखाई दे रहा है। मैगलन के CEO रिचर्ड पार्किंसन ने इस खोज को सुंदर और चौंकाने वाला बताया है।

कारण

इस कारण मलबे से नहीं हटाया गया अनोखा हार

यूनाइटेड किंगडम (UK) और अमेरिका के बीच एक समझौते के कारण बारीकी से निरीक्षण के लिए हार को मलबे से नहीं हटाया जा सकता। हालांकि, मैगलन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से उस परिवार को ट्रैक करने की उम्मीद कर रही है, जो हार के असली मालिक हैं। AI टाइटैनिक के 2,200 यात्रियों के जहाज पर सवार होने के फुटेज का विश्लेषण करेगा, जिससे हार के मालिक की पहचान की उम्मीद है।

बयान

मैगलन के CEO  ने क्या कहा?

ITV से बातचीत के दौरान मैगलन के CEO रिचर्ड पार्किंसन ने इस खोज को हैरान करने वाला बताया है। उन्होंने कहा, "टाइटैनिक 2 हिस्सों में है और उसके आगे और पीछे के हिस्से के बीच में 3 वर्ग मील का मलबा है। यह जल्दी समझ में नहीं आता है। हालांकि, हमारी टीम ने इस क्षेत्र को इतने विस्तार से मैप किया है कि हम इन विवरणों पर ध्यान दे सकते हैं।"

टाइटैनिक जहाज

1912 में टाइटैनिक ने की थी अपनी पहली और आखिरी यात्रा 

टाइटैनिक जहाज 10 अप्रैल, 1912 को ब्रिटेन के साउथेम्प्टन बंदरगाह से अमेरिका के न्यूयॉर्क के लिए निकला था, तभी उत्तर अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकरा गया। हिमखंड से टकराने के बाद टाइटैनिक डूब गया और इसके 2 टुकड़े हो गए। इसका मलबा 3.8 किलोमीटर की गहराई में समा गया था। इस हादसे में करीब 1,500 लोग मारे गए थे। टाइटैनिक की यह पहली और आखिरी यात्रा थी।