15 साल से छुट्टी पर रहे कर्मचारी ने वेतन नहीं बढ़ाने पर कंपनी पर किया मुकदमा
क्या है खबर?
एक IT कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने अपनी कंपनी पर वेतन बढ़ाने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है।
हैरान करने वाली बात यह है कि यह कर्मचारी पिछले 15 सालों से सिक लीक पर है। इसके बावजूद उसने दावा किया कि दिव्यांग होने के कारण उसके साथ भेदभाव किया गया और बीते 15 सालों में उसका वेतन नहीं बढ़ाया गया।
हालांकि, उसकी यह याचिका खारिज हो गई है।
सिक लीव
2008 से सिक लीव पर है इयान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, लंदन से पढ़ाई पूरी करने वाले इयान क्लिफोर्ड IBM कंपनी में IT विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं। वह 2008 से सिक लीव पर हैं।
उन्होंने 2013 में शिकायत करते हुए कहा कि उनका वेतन नहीं बढ़ाया गया है और इन 5 साल की छुट्टियों के पैसे भी नहीं मिले।
इसके बाद उन्हें कंपनी की दिव्यांग योजना में जगह दी गई और दोनों के बीच एक समझौता हुआ।
समझौता
क्या है समझौता?
समझौते के मुताबिक, काम करने में असमर्थ कर्मचारी को नौकरी ने निकाला नहीं जाएगा और न ही उस पर काम की कोई जिम्मेदारी होगी।
ऐसे कर्मचारी को बीमारी से ठीक होने, रिटायर होने या मृत्यु होने तक उसके वेतन का 75 प्रतिशत दिया जाएगा।
उस वक्त इयान ने समझौते को स्वीकार किया और उन्हें 2013 से अभी तक हर साल लगभग 55 लाख रुपये मिले हैं। इसके अलावा छुट्टियों के पैसे वाले मामले में उन्हें 9 लाख रुपये दिए गए।
मुकदमा
2022 में इयान ने कंपनी पर दर्ज किया मुकदमा
समझौते के वक्त इयान ने कहा था कि वह दोबारा इस मामले को नहीं उठाएंगे।
इसके बावजूद फरवरी, 2022 में इयान ने कंपनी के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाते हुए 2013 से वेतन नहीं बढ़ाने के लिए मुकदमा कर दिया।
इयान ने कहा कि महंगाई काफी बढ़ गई है, ऐसे में ये पैसे खर्च पूरा करने के लिए काफी नहीं है।
उन्होंने अपनी तुलना शारीरिक रूप से फिट कर्मचारियों से की, जिन्हें छुट्टियों के दौरान भी पूरी सैलरी मिलती है।
फैसला
कोर्ट ने मुकदमा खारिज करते हुए क्या कहा?
इयान ने रोजगार से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाले ट्रिब्यूनल में यह मुकदमा दायर किया था, लेकिन न्यायाधीश पॉल हाउसगो ने उनके मामले को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, "सक्रिय कर्मचारियों को वेतन वृद्धि मिल सकती है, लेकिन निष्क्रिय कर्मचारियों को नहीं। 2013 में हुए समझौते को अब 10 साल हो गए हैं, जिस पर आपने उस वक्त खुद सहमति जताई थी। यह किसी तरह का भेदभाव नहीं है और आपको अच्छा-खासा लाभ मिल रहा है।"