राजस्थान: कोटा में 75 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला ने दिया बच्ची को जन्म, जानें
राजस्थान के कोटा में हाल में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, यहाँ की एक 75 साल की बुज़ुर्ग महिला ने हाल ही में एक बच्चे को जन्म दिया है। बुज़ुर्ग महिला के माँ बनने का सपना 'इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन (IVF)' के ज़रिए पूरा हुआ है। शनिवार देर शाम बुज़ुर्ग महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया और रविवार सुबह डॉक्टरों ने इसकी पुष्टि की। आइए इस हैरान करने वाली घटना के बारे में विस्तार से जानें।
बच्ची का वजन केवल 600 ग्राम
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रविवार को डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची का वजन केवल 600 ग्राम है। और उसकी हालत नाज़ुक बनी हुई है। इस वजह से बच्ची को दूसरे अस्पताल की नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में ले जाया गया है। वहीं, बुज़ुर्ग महिला कोटा के किंकर अस्पताल में भर्ती है। बाल रोग विशेषज्ञों की एक टीम नवजात बच्ची की देखभाल कर रही है। बता दें कि महिला ने नाम का ख़ुलासा नहीं किया गया है।
समय से पहले कराना पड़ा बच्ची का जन्म
डॉ अभिलाषा किंकर ने बताया कि महिला ने पहले एक बच्चे को गोद लिया था। हालाँकि, महिला ख़ुद का अपना एक बच्चा चाहती थी, इसलिए उन्होंने IVF के ज़रिए माँ बनने के बारे में डॉक्टरों से संपर्क किया था। उन्होंने बताया कि महिला की उम्र को देखते हुए बच्ची का C-सेक्शन के ज़रिए समय से पहले ही जन्म कराना पड़ा। बच्ची का जन्म केवल साढ़े छह महीने में हुआ है, इसकी वजह से उसका वजन भी बहुत कम है।
महिला की बात सुनकर हम हैरान हो गए थे- डॉ अभिलाषा
डॉ अभिलाषा ने बताया कि महिला बुज़ुर्ग होने की वजह से शारीरिक रूप से बहुत कमज़ोर है और उनका स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा नहीं है। इससे भी बड़ी दिक्कत यह थी कि महिला के पास केवल एक ही फेफड़ा था, जो डॉक्टरों के लिए काफ़ी चुनौतीपूर्ण था। डॉ अभिलाषा ने बताया कि महिला ग्रामीण पृष्ठभूमि के साथ ही एक किसान परिवार से है। जब उसने ख़ुद का बच्चा पैदा करने की बात की तो वे सभी हैरान हो गए थे।
क्या है इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)?
IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन है। इस प्रक्रिया में पहले अंडों के उत्पादन के लिए महिला को फर्टिलिटी दवाइयां दी जाती हैं। इसके बाद सर्जरी के माध्यम से अंडो को निकाल कर प्रयोगशाला में कल्चर डिश में तैयार पति के शुक्राणुओं के साथ मिलाकर फ़र्टिलाइज़ेशन के लिए रख दिया जाता है। लैब में इसे दो या तीन दिन रखा जाता है, फिर पूरी जांच के बाद इससे बने भ्रूण को वापस महिला के गर्भ में इम्प्लांट कर दिया जाता है।
IVF प्रक्रिया में लगता है दो से तीन सप्ताह का समय
IVF की इस प्रक्रिया में दो से तीन सप्ताह का समय लग जाता है। बच्चेदानी में भ्रूण इम्प्लांट करने के बाद 14 दिनों में ब्लड या प्रेग्नेंसी टेस्ट के जरिए इसकी सफलता और असफलता का पता चलता है।
74 साल की उम्र में महिला ने दिया था जुड़वा बच्चों को जन्म
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले पिछले महीने आंध्र प्रदेश की एक 74 साल की महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म देकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। शादी के 57 साल बाद महिला ने गुंटूर के अहल्या नर्सिंग होम में IVF के माध्यम से ही बच्चों को जन्म दिया था। महिला ने बच्चों को जन्म देने के बाद कहा था, "बच्चों को देखने के बाद हम अपने सारे संघर्ष भूल गए हैं।"