
खेल रत्न विवाद पर मनु भाकर ने दी सफाई, कहा- पुरस्कार मेरा अंतिम लक्ष्य नहीं
क्या है खबर?
पेरिस ओलंपिक 2024 की पदक विजेता मनु भाकर ने आखिरकार ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामांकन से बाहर किए जाने को लेकर उठे विवाद पर अपनी बात रखी है।
भाकर ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि नामांकन दाखिल करने में उनकी ओर से शायद चूक हुई है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि पुरस्कार से ज्यादा देश के लिए पदक जीतना उनकी प्राथमिकता है।
आइए इस खबर पर एक नजर डालते हैं।
पोस्ट
मेरी भूमिका देश के लिए अच्छा प्रदर्शन करने की है- मनु भाकर
भाकर ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'खेल रत्न पुरस्कार के मेरे नामांकन के लिए चल रहे मुद्दे के संबंध में मैं यह बताना चाहूंगी कि एक खिलाड़ी के रूप में मेरी भूमिका अपने देश के लिए खेलना और प्रदर्शन करना है। पुरस्कार और मान्यता मुझे प्रेरित करती है, लेकिन मेरा लक्ष्य नहीं है। मेरा मानना है कि नामांकन दाखिल करते समय शायद मेरी ओर से कोई चूक हुई है, जिसे ठीक किया जा रहा है।'
पोस्ट
कृपया इस मामले पर अटकलें न लगाएं- मनु भाकर
भाकर ने इस मामले को यहीं खत्म करने की अपील भी की। उन्होंने देश के लिए पदक जीतने को अपना सबसे बड़ा लक्ष्य बताया।
उन्होंने आगे लिखा, 'पुरस्कार चाहे जो भी हो, मैं अपने देश के लिए और अधिक पदक जीतने के लिए प्रेरित रहूंगी। सभी से अनुरोध है कि कृपया इस मामले पर अटकलें न लगाएं।'
अब ऐसी खबरें हैं कि विवाद के बाद अब खेल मंत्रालय भाकर के नामांकन की तैयारी कर रहा है।
विवाद
क्या है पूरा विवाद?
दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि खेल मंत्रालय ने खिलाड़ियों की जो सूची तैयार की है उसमें भाकर का नाम नहीं है।
इसके बाद बीते 23 दिसंबर को भाकर के पिता रामकिशन भाकर ने कहा था कि खेल रत्न पुरस्कार के लिए उनकी बेटी को नजरअंदाज किया गया है।
उनके इस बयान के बाद राष्ट्रीय खेल पुरस्कार की नामांकन की सूची विवादों में आ गई।
ओलंपिक
मनु ने पेरिस ओलंपिक में रचा था इतिहास
भाकर ने पेरिस ओलंपिक में भारत के पदकों का खाता खोला था। उन्होंने 10 मीटर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया था।
इसके साथ ही वह निशानेबाजी में पदक हासिल करने वाली भारत की पहली महिला बनी थी।
इसके बाद उन्होंने सरबजोत सिंह के साथ इसी स्पर्धा के मिश्रित स्पर्धा में कांस्य पदक पर निशाना लगाया था। वह आजाद भारत में एक ओलंपिक में 2 पद हासिल करने वाली भी पहली भारतीय खिलाड़ी बनी थी।