बॉयो-सेक्योर वातावरण को लेकर कोहली ने जताई चिंता, जानिए क्या कुछ कहा
कोरोना वायरस के कारण क्रिकेटर्स का जीवन बदल गया है और उन्हें टूर्नामेंट्स खेलने के लिए बॉयो-सेक्योर वातावरण में रहना पड़ रहा है। खिलाड़ियों के लिए जो बेस बनाया जाता है वे उससे बाहर नहीं जा सकते और साथ ही लिमिटेड लोगों से ही मिल सकते हैं। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने अब बॉयो-सेक्योर वातावरण को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। आइए जानें उन्होंने क्या कुछ कहा।
खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर देना होगा ध्यान- कोहली
RCB टीवी के साथ बात करते हुए कोहली ने कहा कि जब ग्रुप अच्छा होता है तो बबल में रहना कठिन नहीं होता है। उन्होंने आगे कहा, "सीरीज कितनी लंबी होगी इसको लेकर गंभीर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि देखना होगा कि 80 दिन तक एक ही माहौल में रहने और कुछ अलग नहीं करने का खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर कैसा असर पड़ेगा।" कोहली ने आगे कहा कि मानसिक तौर पर खिलाड़ियों की कुशलता सबसे अहम है।
बॉयो-बबल में हुई है क्रिकेट की वापसी
कोरोना के बाद क्रिकेट की वापसी बॉयो-बबल में ही हुई है और हर किसी को इसका उपयोग करना ही होगा। ECB ने साउथहैम्प्टन और मैनचेस्टर में बॉयो-बबल बनाए जहां खिलाड़ी रहकर क्रिकेट खेल रहे थे। इसी प्रकार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने UAE में बॉयो-बबल तैयार किया है। बॉयो-बबल में जाने से पहले खिलाड़ी क्वारंटाइन रहते हैं और इसमें जाने के बाद वे बाहर नहीं जा सकते हैं।
मोर्गन ने जताई थी आशंका, दौरों से हट सकते हैं खिलाड़ी
पिछले महीने एक ऑनलाइन चैरिटी इवेंट के दौरान बात करते हुए मोर्गन ने कहा था कि उन्होंने एक टीम के तौर पर इस बात को स्वीकार किया है कि खिलाड़ी अपने मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ने के कारण बॉयो-बबल से अंदर-बाहर हो सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, "मुझे ऐसा लगता है कि लोग दौरों से भी हट सकते हैं। चीजों की सच्चाई यही होने वाली है।" मोर्गन ने कहा कि खिलाड़ियों के आराम वाला माहौल तैयार करना जरूरी था।
लगातार बबल में रहना खिलाड़ियों के लिए चिंता का विषय
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में हिस्सा ले रहे खिलाड़ी 25 अगस्त से ही बॉयो-बबल में हैं। इसकी समाप्ति के तुरंत बाद कई खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाएंगे और 14 नवंबर से वहां बॉयो-बबल का हिस्सा बनेंगे। तीनों फॉर्मेट की टीम में शामिल खिलाड़ी जनवरी तक बॉयो-बबल में ही रहेंगे। IPL और ऑस्ट्रेलिया दौरे को देखें तो कुछ खिलाड़ी लगभग पांच महीने से अधिक समय बबल में ही बिता देंगे और कोहली की चिंता का मुख्य कारण यही है।