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IPL: बॉर्डर पर तनाव के चलते स्पॉन्सरशिप को लेकर गवर्निंग काउंसिल करेगी मीटिंग

IPL: बॉर्डर पर तनाव के चलते स्पॉन्सरशिप को लेकर गवर्निंग काउंसिल करेगी मीटिंग

लेखन Neeraj Pandey
Jun 20, 2020
11:29 am

क्या है खबर?

भारत में लगातार चाइनीज सामानों के बहिष्कार की आवाज उठाई जा रही है और अब इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) भी इसकी जद में आता दिख रहा है। बीते शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा था कि IPL के टाइटल स्पॉन्सर वीवो से भारत को ही फायदा मिल रहा है। हालांकि, बीते शुक्रवार की रात को ही IPL गवर्निंग काउंसिल ने इसको लेकर मीटिंग करने का फैसला लिया है।

मीटिंग की जानकारी

शुक्रवार देर रात ट्वीट करके दी गई जानकारी

अगले हफ्ते होने वाली मीटिंग में IPL के कई स्पॉन्सरशिप डील पर चर्चा होगी जिसमें टाइटल स्पॉन्सर वीवो भी शामिल है। IPL के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर लिखा गया, 'बॉर्डर पर चल रहे तनाव से जिसमें हमारे जवानों की शहादत भी हुई है को ध्यान में रखते हुए IPL गवर्निंग काउंसिल अगले हफ्ते एक मीटिंग करेगी जिसमें कई स्पॉन्सरशिप डील पर विचार किया जाएगा।' यह ट्वीट शुक्रवार की देर रात 10:43 बजे किया गया है।

ट्विटर पोस्ट

यहां देखें IPL का ट्वीट

IPL टाइटल स्पॉन्सर

IPL के लिए हर साल वीवो देता है 440 करोड़ रूपये

BCCI ने IPL के टाइटल स्पॉन्सर के रूप में चाइनीज मोबाइल कंपनी वीवो के साथ पांच साल का करार किया है जिसके अंतर्गत उन्हें सालाना 440 करोड़ रूपये मिलते हैं। बोर्ड और वीवो का यह करार 2022 में समाप्त होगा। वीवो की तरह ही एक और चाइनीज कंपनी ओप्पो पिछले साल सितंबर तक भारतीय क्रिकेट टीम की स्पॉन्सर थी। हालांकि, अब बेंगलुरु की स्टार्टअप BYJU भारतीय टीम की स्पॉन्सर है और उन्होंने पिछले साल ही ओप्पो की जगह ली है।

धूमल का पक्ष

धूमल ने इसे भारत के लिए बताया था फायदा

धूमल ने PTI से बात करते हुए कहा था कि टाइटल स्पॉन्सर से उन्हें जो पैसे मिलते हैं उसका 42 प्रतिशत टैक्स के रूप में सरकार के पास जाता है। उन्होंने आगे कहा, "हमें यह बात समझनी होगी कि चीन की मदद के लिए एक चाइनीज कंपनी को सपोर्ट करने और भारत की मदद के लिए चाइनीज कंपनी से सपोर्ट लेने में अंतर होता है।" धूमल का कहना था कि चाइनीज स्पॉन्सर से भारत को ही फायदा मिल रहा है।

वीवो से करार

आसान नहीं होगा करार खत्म करना

धूमल ने बीते शुक्रवार को ही साफ कर दिया था कि यदि सरकार चाहेगी तो वे बिना सोचे तुरंत वीवो के साथ करार खत्म कर लेंगे। भले ही देश की बात आ जाने पर BCCI करार खत्म करने के बारे में सोच ले, लेकिन उनके लिए यह कर पाना बेहद मुश्किल होगा। 2022 तक के इस करार को खत्म करने से उन्हें 1,360 करोड़ रूपये का नुकसान होगा और फिलहाल नए स्पॉन्सर खोजना भी मुश्किल होगा।