BCCI ऑफिशियल ने बताई भारतीय खिलाड़ियों के विदेशी लीग्स में नहीं खेलने की वजह
पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफान पठान और वर्तमान खिलाड़ी सुरेश रैना ने बीते शनिवार को इंस्टाग्राम लाइव चैट पर बात की और इस दौरान उन्होंने कुछ गंभीर सवाल उठाए। दोनों खिलाड़ियों को लगता है कि कॉन्ट्रैक्ट से बाहर भारतीय खिलाड़ियों को कम से कम दो विदेशी टी-20 लीग्स में खेलने की अनुमति मिलनी चाहिए। हालांकि, BCCI के एक टॉप ऑफिशियल का मानना है कि अनुमति नहीं देने के पीछे का कारण विशिष्टता है।
विशिष्ट बनाए रखने के लिए नहीं दी जाती अनुमति- BCCI ऑफिशियल
IANS के साथ बात करते हुए एक BCCI ऑफिशियल ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों को विशिष्ट बनाए रखने के लिए ही उन्हें विदेशी लीग्स में खेलने की अनुमति नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा, "बोर्ड के नजरिए और भारतीय क्रिकेट की गुणवत्ता के लिए हम ऐसा सिस्टम बनाना चाहते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट नहीं पाने वाले खिलाड़ी भी IPL की नीलामी में अच्छी कमाई कर सकें। विशिष्टता बनाए रखना भी एक मुख्य कारण है।"
रैना और इरफान ने विदेशी लीग्स में खेलने को लेकर दिया था यह बयान
लाइव चैट के दौरान रैना ने कहा कि BCCI को अपने खिलाड़ियों को कम से कम दो विदेशी टी-20 लीग्स में खेलने का मौका मिलना चाहिए। रैना ने कहा, "कॉन्ट्रैक्ट से बाहर रहने वाले खिलाड़ियों को कम से कम दो विदेशी लीग्स में खेलने का मौका मिलना चाहिए।" इरफान ने भी रैना की बात से सहमति जताई और कहा कि जरूर खिलाड़ियों को यह मौका दिया जाना चाहिए।
विदेशी लीग्स में नहीं खेल सकते हैं भारतीय खिलाड़ी
BCCI के नियम बहुत कड़े हैं और वे अपने खिलाड़ियों को विदेशी लीग्स में खेलने की अनुमति नहीं देते हैं। विदेशी लीग्स में खेलने के लिए भारतीय खिलाड़ी को इंटरनेशनल और घरेलू क्रिकेट से संन्यास लेना होता है और उसी के बाद वे इसमें हिस्सा ले सकते हैं। अब तक केवल युवराज सिंह इकलौते ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं जो विदेशी लीग्स में खेल चुके हैं। युवराज ने ग्लोबल टी-20 कनाडा में पिछले साल हिस्सा लिया था।
लीग्स में खेलने से जल्दी एक्सपोज हो जाते हैं खिलाड़ी
टी-20 लीग्स में आपस में खेलने के कारण खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट में विपक्षी टीमों के खिलाड़ियों को आसानी से पढ़ लेते हैं। उदाहरण के तौर IPL में एक टीम में खेलने के कारण धोनी ने मुरलीधरन को आसानी से पढ़ लिया था और इसी कारण उन्होंने 2011 विश्वकप फाइनल में खुद को प्रमोट भी किया था। जो खिलाड़ी लीग में खेले बिना सीधे इंटरनेशनल क्रिकेट में आते हैं उन्हें पढ़ना अन्य टीमों के लिए मुश्किल होता है।