2003 विश्वकप फाइनल जीतने के लिए हमें दोहरी क्षमता से खेलना चाहिए था- श्रीनाथ
क्या है खबर?
2003 विश्वकप के फाइनल में भारत का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ था और कंगारू टीम ने उन्हें हराकर खिताब अपने नाम किया था।
फाइनल में तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था और वह काफी महंगे साबित हुए थे।
अब स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ बातचीत के दौरान श्रीनाथ ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया चैंपियन टीम थी और उन्हें हराने के लिए भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों को दोगुनी क्षमता के साथ खेलना था।
बयान
फाइनल जीतना हो सकता था करियर का सबसे बड़ा लम्हा- श्रीनाथ
श्रीनाथ ने कहा कि भारत विश्वकप जीत सकता था, लेकिन उनके सामने दुनिया की बेस्ट टीम थी।
उन्होंने आगे कहा, "वे ऐसी लय में चल रहे थे कि कोई उनके करीब भी नहीं पहुंच पा रहा था। हमें फाइनल में हार झेलनी पड़ी और मैं भी उस मैच में कुछ खास नहीं कर पाया। फाइनल जीतना मेरे करियर का सबसे बड़ा लम्हा हो सकता था, लेकिन आप जीवन में हर चीज की उम्मीद नहीं कर सकते।"
प्रदर्शन
फाइनल में काफी महंगे रहे थे श्रीनाथ
फाइनल में श्रीनाथ का प्रदर्शन काफी खराब रहा था और उन्होंने अपने 10 ओवरों में 87 रन लुटाए थे।
श्रीनाथ के अलावा जहीर खान ने भी केवल सात ओवरों में ही 67 रन खर्च कर दिए थे। आशीष नेहरा ने 10 ओवरों में 57 रन खर्च किए और काफी किफायती रहे थे।
229 वनडे में 315 और 67 टेस्ट में 236 विकेट लेने वाले श्रीनाथ ने 2003 विश्वकप में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 11 मैचों में 16 विकेट लिए थे।
संभवता
हम सभी को दिखानी थी दोगुनी क्षमता- श्रीनाथ
श्रीनाथ ने आगे कहा कि ऑस्ट्रेलिया को हराने के लिए टीम को कुछ चीजें अलग तरीके से करना था और उस दिन प्लेइंग इलेवन के सभी खिलाड़ियों को दोगुनी क्षमता दिखानी थी।
उन्होंने कहा, "हमने बातचीत की थी कि क्या हम पहले बल्लेबाजी करें? मुझे लगता है कि वे अच्छे थे। सेम टीम ने ही पिछला विश्वकप भी जीता था। मुझे लगता है कि हम सभी को अपनी क्षमता का दोगुना देना था। शायद यह सही रास्ता होता।"
2003 विश्वकप
भारत के लिए ऐसा रहा था विश्वकप का फाइनल और पूरा टूर्नामेंट
फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 359/2 का विशाल स्कोर खड़ा किया था।
कप्तान रिकी पोंटिंग ने 121 गेंदों में नाबाद 140 तो वहीं डेमियन मार्टिन ने नाबाद 88 रनों की पारी खेली थी।
जवाब में भारत ने पहले ओवर में ही सचिन का विकेट गंवा दिया। वीरेन्द्र सहवाग (82) ने अकेले संघर्ष किया और भारत 234 के स्कोर पर सिमट गया।
टूर्नामेंट में भारत ने केवल दो मैच गंवाए और दोनों ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ थे।
सबसे ज़्यादा रन
भारत को फाइनल तक ले गए थे सचिन-सौरव
2003 विश्वकप में सचिन तेंदुलकर ने 11 मैचों में एक शतक और छह अर्धशतकों की मदद से 673 रन बनाए थे।
एक विश्वकप में यह अभी तक किसी बल्लेबाज द्वारा बनाए गए सबसे ज़्यादा रन हैं।
इसके अलावा सौरव गांगुली ने 11 मैचों में तीन शतक लगाते हुए 465 रन बनाए थे और ये दोनों टूर्नामेंट में दो सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे थे।
हालांकि, फाइनल में दोनों ही फेल रहे थे।