
एक्सिओम-4 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री क्या करेंगे अंतरिक्ष में अध्ययन?
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और नासा इस साल एक्सिओम-4 मिशन को लॉन्च करने वाले हैं।
इस मिशन के तहत भारतीय वायुसेना के पायलट शुभांशु शुक्ला मई, 2025 में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे। वे इस मिशन में मिशन पायलट होंगे और स्पेस-X के ड्रैगन यान में अमेरिकी कमांडर पैगी व्हिटसन और पोलैंड-हंगरी के 2 वैज्ञानिकों के साथ उड़ान भरेंगे।
शुक्ला इस यात्रा में भारत के लिए कई अहम वैज्ञानिक परीक्षण करेंगे।
अध्ययन
माइक्रोग्रैविटी में तकनीकी और जीवों पर अध्ययन
अंतरिक्ष में ISS पर शुक्ला और उनकी टीम ISRO के 6 अहम वैज्ञानिक प्रयोगों पर काम करेंगे।
इनमें एक प्रयोग वॉयेजर डिस्प्ले है, जो माइक्रोग्रैविटी में कंप्यूटर स्क्रीन के इस्तेमाल पर पड़ने वाले असर को समझेगा। वहीं, दूसरा प्रयोग वॉयेजर टार्डिग्रेड्स है, जो इन सूक्ष्म जीवों के जीवन, प्रजनन और जीन गतिविधि पर अंतरिक्ष के प्रभाव का अध्ययन करेगा।
यह शोध अंतरिक्ष जीवन और जैविक तकनीकों के विकास में मदद करेगा।
अध्ययन
फसलों और सूक्ष्मजीवों पर गहराई से रिसर्च
ISS पर भेजे गए अन्य प्रयोगों में बीजों पर अंतरिक्ष यात्रा के पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन भी शामिल है।
वैज्ञानिक देखेंगे कि 6 प्रकार की फसल बीज किस तरह माइक्रोग्रैविटी में बढ़ते हैं और लौटने पर उनकी गुणवत्ता कैसी रहती है।
इसी तरह, साइनोबैक्टीरिया नामक सूक्ष्मजीवों की वृद्धि और जैव-रासायनिक गतिविधि पर अध्ययन किया जाएगा, जिससे अंतरिक्ष में लाइफ सपोर्ट सिस्टम को पहले से बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
अन्य
मानव स्वास्थ्य और छात्रों की भागीदारी पर ध्यान
मायोजेनेसिस नामक प्रयोग भी ISS पर किया जाएगा, जो मांसपेशियों के कमजोर होने के पीछे के कारणों और उपचार की संभावनाओं पर काम करेगा।
यह अध्ययन अंतरिक्ष यात्रियों और पृथ्वी पर मांसपेशी रोगों से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
इसके अलावा, भारतीय छात्रों के लिए STEM जागरूकता और बीज अंकुरण जैसे प्रयोग भी होंगे, जिनसे बच्चों को विज्ञान में रुचि बढ़ेगी और भारत के युवा वैज्ञानिकों को प्रेरणा मिलेगी।